ठगे जा रहे हेल्थ पॉलिसी होल्डर, करोड़ों का प्रीमियम जमा कराने पर भी बिना इलाज मरने को मजबूर, कंज्यूमर फोरम में सालों चलते हैं केस

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Jitendra Shrivastava
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ठगे जा रहे हेल्थ पॉलिसी होल्डर, करोड़ों का प्रीमियम जमा कराने पर भी बिना इलाज मरने को मजबूर, कंज्यूमर फोरम में सालों चलते हैं केस

संजय शर्मा, BHOPAL. प्रदेश के हजारों पालिसी होल्डर परिवार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के मकड़जाल में फंसकर लाचार हो गए हैं। बीमार होने पर सरल और सुलभ इलाज का भरोसा दिलाकर कंपनियां लोगों को पॉलिसी बेच देती हैं, लेकिन जब इलाज की जरूरत पड़ती है तो यही कंपनियां बहानेबाजी पर उतर आती हैं। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की इस जालसाजी में सैकड़ों परिवार समय पर उपचार तक नहीं करा पाते। कुछ मामलों में तो पॉलिसी होल्डर खुद को ठगा महसूस करते रह जाते हैं और परिवार का बीमार सदस्य उचित इलाज के बिना ही दम तोड़ देता है। प्रदेश में साल दर साल हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों की ऐसी ही मनमानियों की शिकायतें बढ़ रही हैं।

बीमा लोकपाल-कंज्यूमर फोरम में सालों अटकते हैं केस

'द सूत्र' ने प्रदेश में हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों द्वारा पॉलिसी होल्डर्स को क्लेम न मिलने के ऐसे कई मामलों की पड़ताल की हैं। ऐसे सैकड़ों परिवार क्लेम की उम्मीद में पहले बीमा कम्पनियों के चक्कर काटते रहते हैं और फिर न्याय की उम्मीद लेकर बीमा लोकपाल और कंज्यूमर फोरम में गुहार लगाते हैं, लेकिन यहां भी उन्हें क्लेम के लिए सालों तक इंतजार करना पड़ता है। निर्णय होने के बाद भी बीमा कम्पनी उन्हें क्लेम की राशि नहीं देती। 'द सूत्र' हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों की मनमानी और उनकी वजह से वर्षों से तनाव झेल रहे लोगों की कहानियां आपके सामने ला रहा है।

फोरम में 2023 में हर महीने 53 से ज्यादा परिवाद पहुंचे

पहले हम बात करते हैं कोरोना के बाद हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों के कारोबार में आए उछाल और पालिसी होल्डर्स को क्लेम का भुगतान करने से जुड़ी शिकायतों की। बीमा लोकपाल के सामने हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों द्वारा क्लेम न देने की 1932 शिकायतें दर्ज हैं। वहीं स्टेट कंजूमर फोरम में वर्ष 2023 में प्रतिमाह 53 से ज्यादा परिवाद पहुंचे हैं। यानी पूरे साल में 637 बीमा कम्पनी पीड़ितों ने अपील की है। प्रदेश के डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में चल रहे केसेज का डेटा इससे कहीं ज्यादा बड़ा है। सबसे ज्यादा शिकायतें स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा पॉलिसी होल्डर्स को क्लेम न देने से जुड़े केसेस की हैं। स्टार हेल्थ पॉलिसी होल्डर्स को क्लेम न देने के मामले में कम्पनी का रवैया ठीक नहीं है।

दो केस से समझाते हैं इंश्योरेंस कंपनियों की कारगुजारी

1. अब हम बात करते हैं उस परिवार की जो स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा क्लेम न देने से पिछले 12 सालों से परेशान है। राजेंद्र प्रसाद शर्मा राजधानी भोपाल में दुर्गेश विहार इलाके में रहते हैं। उन्होंने 2011 में स्टार हेल्थ कम्पनी से 2 लाख रुपए की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी इसमें परीजन भी शामिल थे। 2012 में बेटी स्वारिका के बीमार होने पर जांच में पेट में गठान होने का पता चला। ऑपरेशन के बाद जब शर्मा ने क्लेम किया तो कम्पनी ने इसे प्री एक्टिंग डिजीज का केस बताकर इंकार कर दिया। राजेंद्र प्रसाद ने कई बार कम्पनी के चक्कर काटे और फिर कंजूमर फोरम में केस लगाया। 11 साल वे भटकते रहे। फरवरी 2023 में फोरम ने उनके पक्ष में निर्णय दिया, लेकिन स्टार हेल्थ कम्पनी ने साल पूरा होने पर भी राशि नहीं दी।

2. दूसरा मामला भोपाल के साउथ टीटी नगर में रहने वाले प्रमोद कुमार तिवारी से जुड़ा हैं। उनके द्वारा 2017 से 2019 में स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी से परिवार के लिए पॉलिसी ली थी। बाद में इस पॉलिसी को दूसरी कम्पनी में मर्ज करा लिया। यह पॉलिसी 15 लाख रुपए की थी। पॉलिसी वैलिड रहने के दौरान प्रमोद कुमार की पत्नी बीमार हो गई तो अलग-अलग अस्पतालों में उनके इलाज पर 5.56 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन कम्पनी ने क्लेम नहीं दिया। फोरम पहुंचे इस मामले में कम्पनी ने बीमारी को छिपाने की दलील दी जिसे न मानते हुए तिवारी के पक्ष में निर्णय सुनाया गया है। इस मामले में भी हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी की जिद के कारण पॉलिसी होल्डर का पूरा परिवार कई साल तक मुश्किल झेलता रहा है।

फैक्ट फाइल :

  • वर्ष 2023 में 637 पॉलिसी होल्डर्स ने लगाया है कंज्यूमर फोरम में केस
  • बीमा लोकपाल के सामने चल रही है 1932 मामलों की सुनवाई
  • 2023 में 879 मामले थे बीमा लोकपाल के सामने विचाराधीन
  • हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर ने 2023 में 62,042 करोड़ जीडीपी जमा की जो पिछले फाइनेंशियल ईयर से 20.07 फीसदी ज्यादा है।
  • अक्टूबर 2023 में 37.01% का योगदान सकल घरेलू उत्पाद में हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर का है जो अक्टूबर 2022 में 34.71% ही था।


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