संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के सबसे बड़े रियल एस्टेट ग्रुप में से एक अपोलो ग्रुप की ही कंपनी दिव्यदेव डेवलपर्स के प्रमुख निर्मल अग्रवाल व अनिल अग्रवाल के साथ ही मनोज गर्ग को ईओडब्ल्यू ने नोटिस जारी कर दिया है। इन सभी को बयान के लिए पेश होने के आदेश दिए गए हैं। नोटिस में है कि ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज केस 197/2023 की जांच की जा रही है। इस शिकायत में है कि आपके द्वारा मेसर्स गोयल डेवलपर्स के डायरेक्टर प्रेमचंद गोयल के साथ मिलकर 60 करोड़ के करीब की राशि अवैधानिक रूप से प्राप्त की गई है और शासन को अरबों रुपए के राजस्व का नुकसान किया गया है। इसलिए इस मामले में भी दस्तावेज, खातों की जानकारी लेकर ईओडब्ल्यू के सामने पेश होकर जवाब दें। ईओडब्ल्यू एसी धनंजय शाह ने इसकी पुष्टि की है और कहा है कि जांच हो रही है और नोटिस देकर सभी को बुलाकर बयान हो रहे हैं।
'द सूत्र' ने खबर की थी ब्रेक
ईओडब्ल्यू में शिकायत की खबर 'द सूत्र' ने सात अगस्त को ब्रेक की थी। अब इस खबर पर ईओडब्ल्यू की मुहर लग गई है। जांच एजेंसी ने औपचारिक तौर पर शिकायत पंजीबद्ध कर ली है और जांच शुरू कर दी है। यह मामला इस ग्रुप द्वारा साल 2011-12 में अपने प्रोजेक्ट की बिक्री के दौरान करीब 55 करोड़ रुपए राशि डायरियों पर लेने का है। जिसमें शिकायत हुई थी। डायरियों पर सौदे होने की जानकारी हाईकोर्ट इंदौर बेंच में 2016 में हुए एक आदेश में भी सामने आई थी, जिसमें ग्रुप ने भी माना था कि उन्होंने ऑन मनी (ऊपर से ब्लैक मनी) अलग से ली है। इंकमटैक्स ट्रिब्यूनल में भी एक साल पहले एक केस में यह मुद्दा उठा है।
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शिकायतकर्ता ने EOW को सौंपी दर्जन भर कंपनियों की सूची
इधर शिकायतकर्ता ने इन ग्रुप के डायरेक्टरों की दर्जन भर से ज्यादा कंपनियों की सूची भी ईओडब्ल्यू को सौंपी है, जिसमें गड़बड़ी की आशंका जताई गई है और जांच की मांग की गई है। यह सभी सूची ईओडब्ल्यू ने अपने पास ले ली है। इसमें मनोज गर्ग के डायरेक्टर वाली कंपनियों में भास्कर इन्फ्रास्ट्रक्चर, दिव्या माइनिंग कॉर्प लिमिटेड, डीबी इन्फ्राटेक प्रालि, ड्रोना इन्फ्रामाइन एंड पॉवर प्रालि, तुष्टि ट्रेडिंग प्रालि, देव इंटरप्राइजेस, डीबी सिटी हाउसिंग, वेरिएंट इन्फ्रा प्रालि, शाशवत होम्स प्रालि, शारदा साल्वेंट सहित कई कंपनियां है। वहीं निर्मल व अनिल अग्रवाल वाली कंपनियों में मुख्य तौर पर केडी रियल होम्स, एनआर रियल होम्स, दिव्य देव डेवलपर्स, अपोलो क्रिएशंस, प्रिंसेस अपोलो, अपोलो रियलटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, अपोलो फाउंडेशन, प्रिंसेस अपोलो रियलकॉन साल्यूशंस, अपोलो बिल्डटेक, न्यूटाउन बिल्डटेक प्रालि है।
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ग्रुप की सभी कॉलोनियों के ऑडिट की मांग की
शिकायतकर्ता ने ईओडब्ल्यू से शिकायत में कहा कि अपोलो ग्रुप पर सितंबर 2013 में आयकर छापा हुआ था, इसमें डायरियों पर सौदे कर ब्लैक मनी लेने की बात आई थी। यह राशि करीब 55 करोड़ रुपए थी जिसे ग्रुप ने सेटलमेंट कमीशन में मान्य भी किया था। तब ग्रुप को इस राशि पर बनने वाली स्टाम्प ड्यूटी जो करीब पांच करोड़ बनती है वह भरना थी, लेकिन नहीं भरी। तब इस ड्यूटी के साथ ही दस गुना पेनल्टी का प्रावधान है जो 50 करोड़ बनती है। शिकायर्ता ने मांग की है कि इस तरह अपोलो ग्रुप जिन्होंने दिव्यादेव डेवलपर्स के नाम से इस कॉलोनी के लिए काम किया था, उनके निर्मल व अनिल अग्रवाल के साथ प्रेम गोयल पर मप्र शासन के साथ चार सौ बीसी का केस होना चाहिए। साथ ही अपोलो ग्रुप की अपोल क्रिएशंस, हाई स्पीड, निरंजनपुर प्रोजेक्ट, गढ़ा गोल्फ क्लब प्रोजेक्ट आदि को ऑडिट में लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह ग्रुप यहां पर भी इस तरह ऑन मनी लेकर सौदे कर सकता है।
यह है मामला
अपोलो ग्रुप पर इंदौर में 21 सितंबर 2013 में इंकमटैक्स सर्च हुई थी। यह ग्रुप निर्मल अग्रवाल और अनिल कृष्णदास अग्रवाल का है। मेसर्स दिव्यादेव डेवलपर्स और अपोलो क्रिएशनंस प्रालि फ्लेगशिप आनर्सशिप ने निपानिया का प्रोजेक्ट किया। छापे के बाद जांच में स्वीकार किया कि ऑन मनी लेते हैं। निपानिया प्रोजेक्ट रेशो डील पर हुआ था। अपटाउन अपोलो में जमीन मेसर्स गोयल डेवलपर्स की थी। डेवलपमेंट के लिए यह दिव्यादेव को दी थी। कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट प्लाट के बदले में दिव्यदेव को 45 फीसदी विकसित एरिया मिलेगा। इंकमटैक्स छापे में आया कि कुल ऑन मनी (यानि ब्लैक में) 55.50 करोड़ रुपए मिले। यह भी क्लेम गया कि निर्मल व अनिल अग्रावल ने इसमें से 35.81 करोड़ रुपए गोयल डेवलपर्स को दिए जो लैंड आनर्स थे और 19.69 करोड रुपए अग्रवाल के पास रहे। साल 2010-11 में 17.16 करोड और 2011-12 में 22.78 करोडड रुपए ऑन मनी थी। यह मनी दिव्यादेव डेलवपर्स ने प्राप्त की। इसमें से 17.16 और 18.64 करोड़ मेसर्स गोयल को दी। हालांकि सेटलमेंट कमीशन और हाईकोर्ट के सामने प्रेम गोयल ने किसी भी राशि के मिलने से इंकार किया था।
1.70 करोड़ की प्रॉपर्टी केवल 46 लाख में दिखाई थी
इसी सर्च में मिली हार्ड डिस्क के आधार पर इंकमैटक्स ने खरीदारों को भी इंकमटैक्स चोरी के नोटिस दिए थे, इसमें एक ज्योति गर्ग को भी 1.32 करोड़ की राशि को लेकर नोटिस गया था। इसमें कहा गया कि यह प्रॉपर्टी 1.78 करोड़ रुपए में खरीदी गई, लेकिन रजिस्ट्री केवल 46.43 लाख रुपए की हुई। बाकी राशि ब्लैक में दी गई, तो क्यों ना इस पर इंकमटैक्स लगाया जाए। गर्ग ने प्लाट नंबर डी 48 ब्रोकर सचिन द्वारा खरीदा था, सौदा 5663 वर्गफीट का वास्तव में 3151 रुपए प्रति वर्गफीट के भाव हुआ होकर कुल 1.78 करोड़ में हुआ था, लेकिन इसे केवल 46.43 लाख का बताया गया। हालांकि, 30 अगस्त 2022 को इंकमटैक्स ट्रिब्यूनल ने गर्ग के हक में फैसला सुनाया और इंकमटैक्स द्वारा ग्राहक पर निकाली गई टैक्रस डिमांड खारिज कर दी।