ग्वालियर में जीवाजी विश्वविद्यालय ने बड़ों को बचाने में सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के 4 कर्मियों को नौकरी से निकाला, 5 को नोटिस 

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Jitendra Shrivastava
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ग्वालियर में जीवाजी विश्वविद्यालय ने बड़ों को बचाने में सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के 4 कर्मियों को नौकरी से निकाला, 5 को नोटिस 

जितेंद्र सिंह, GWALIOR. गजराराजा मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस छात्रा की डुप्लीकेट मार्कशीट और डिग्री मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय (जेयू) के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों की बलि ले ली है। जेयू प्रशासन ने मामला ठंडा करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के चार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जबकि इन कर्मचारियों को मामले से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, विश्वविद्यालय के पांच स्थायी कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पुलिस की छानबीन में सामने आया है कि अब तक मेडिकल कॉलेज के 13 विद्यार्थियों की डुप्लीकेट मार्कशीट और डिग्री विश्वविद्यालय से जारी की गई है।



10 जून को दबोचे थे गिरोह के दो सदस्य



महाराष्ट्र मालेगांव निवासी प्रतीक्षा पुत्री श्रीनिवास और उसका साथी मोहम्मद शफीक ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित होटल विराट में रुके हुए थे। दोनों मेडिकल कॉलेज से बीजेपी नेता सतीश बोहरे की भांजी डॉ. प्रतीक्षा पुत्री हर्ष शर्मा के मेडिकल डॉक्यूमेंट निकलवाने का प्रयास कर रहे थे। मेडिकल कॉलेज का कर्मचारी सतीश बोहरे और उनकी भांजी को जानता था तो उसकी सूचना पर भाजपा नेता ने झांसी रोड थाना पुलिस को सूचना दे दी, जिसके बाद 10 जून को दोनों को होटल से गिरफ्तार किया गया था। 



इंटर्नशिप के कागज निकालने आई थी युवती



युवती मालेगांव नगर निगम में डुप्लीकेट डिग्री के आधार पर रीजनल मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ है। नौकरी के लिए युवती ने अक्टूबर 2022 में जीवाजी विश्वविद्यालय से डॉ. प्रतीक्षा शर्मा की डुप्लीकेट मार्कशीट और डिग्री पहले ही ले जाकर उपयोग कर चुकी है। अब वह इंटर्नशिप के डुप्लीकेट दस्तावेज प्राप्त करने के लिए ग्वालियर आई थी। पूछताछ में पता चला कि युवती और उसके साथी ने डॉ. प्रतीक्षा शर्मा की एमबीबीएस डुप्लीकेट मार्कशीट और डिग्री प्राप्त करने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय में आवेदन किया था। दो दिन में हाथों-हाथ डुपलीकेट मार्कशीट और डिग्री प्राप्त करने में विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्ता सामने आ रही थी, जिसके बाद जीवाजी विश्वविद्यालय ने शुक्रवार (17 जून) को सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के चार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। विश्वविद्यालय के पांच स्थायी कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनका जवाब आने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।



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बड़े अधिकारियों को बचाने छोटों की ली बलि



महाराष्ट्र की युवती को दो दिन में डुप्लीकेट मार्कशीट और डिग्री देने में बड़े अधिकारियों या कर्मचारियों की भूमिका है। पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों की बलि ले ली। दरअसल, एमबीबीएस की डुप्लीकेट डिग्री के लिए फाइल डिग्री शाखा से बढ़ाई गई थी। उस पर सहायक कुल सचिव के हस्ताक्षर थे। कुलपति के हस्ताक्षर के बाद अंकसूचियों का सत्यापन परीक्षा व गोपनीय विभाग से कराया गया। डिग्री बनने के बाद उस पर जांचकर्ता के हस्ताक्षर भी हुए। हाथों-हाथ डिग्री प्राप्त करने के आवेदन पर कुलपति के पीए ने हस्ताक्षर किए। डुप्लीकेट डिग्री की फाइल कई अधिकारियों और कर्मचारियों की टेबल से होकर गुजरी, लेकिन किसी ने जांच करने या पता लगाने की जहमत नहीं उठाई। तमाम जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी जिनके फाइल पर हस्ताक्षर हैं उन्हें बचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन गरीब कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जिनके न तो फाइल पर हस्ताक्षर हैं न उनका फाइल से कोई लेना-देना है। 



13 मेडिकल छात्रों की डुप्लीकेट डिग्री निकली



झांसी रोड टीआई शैलेंद्र भार्गव के अनुसार जीवाजी विश्वविद्यालय से अभी इतनी जानकारी प्राप्त हुई है कि एमबीबीएस के अब तक 13 छात्र-छात्राओं ने डुप्लीकेट डिग्री प्राप्त की हैं। उनमें से कितने सही हैं इसकी पड़ताल विश्वविद्यालय से उनके नाम और पते मिलने के बाद की जाएगी।


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