नियमों में उलझी मध्यप्रदेश के 2.50 लाख संविदाकर्मियों नौकरी, कान्ट्रेक्ट खत्म होने ही कैरियर भी खत्म

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Chakresh
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नियमों में उलझी मध्यप्रदेश के 2.50 लाख संविदाकर्मियों नौकरी, कान्ट्रेक्ट खत्म होने ही कैरियर भी खत्म

BHOPAL. मध्य प्रदेश के 38 विभागों में सालों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों का भविष्य अधर में है। सरकार द्वारा बनाई गई नीति कागजी साबित हो रही है। संविदा नीति घोषित होने के 6 महीने बाद भी संविदा कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि संविदा नीति के अनुसार, प्रतिवर्ष अनुबंध प्रक्रिया समाप्त होगी, लेकिन छह महीने में अनुबंध तोड़कर संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका है। श्योपुर, उज्जैन, आगर और रायसेन में कई मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, संविदा कर्मचारियों को एनपीएस के दायरे में नहीं लिया गया है। बीमा, अनुकंपा नियुक्ति, ग्रेच्युटी का लाभ भी नहीं दिया गया है।

नीति तैयार, मगर अमल ही नहीं हो रहा

सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार स्पष्ट कर चुके हैं कि जीएडी ने नीति तैयार कर दी है, इसका विभागों को क्रियान्वयन करना है। रायसेन और सागर समेत अन्य जिलों में 2.25 लाख से कम आय वाले संविदा कर्मचारियों का टैक्स काटा जा रहा है। वहीं, धार, इंदौर, देवास, बुरहानपुर में प्रोफेशनल टैक्स नहीं काटा जा रहा है। महिला बाल विकास विभाग में 20 से ज्यादा जिलों में प्रोफेशनल टैक्स काटा जा रहा है, जबकि 30 जिलों में नहीं काटा जा रहा है।

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कई बैठकों के बाद बनी नीति, पर नतीजा शून्य

मध्य प्रदेश में संविदा पर भर्ती 2004-05 में शुरू हुई थी। 2008 में चुनाव के बाद सरकार ने नियमित करने का वादा किया था, लेकिन संविदा कर्मचारी नियमित नहीं हुए। 2013 में फिर से सरकार ने नियमित करने का आश्वासन दिया था। 2018 में 25 से ज्यादा बैठकों के बाद एक नीति बनी, लेकिन उसमें भी विसंगतियां बरकरार रहीं। 2023 जुलाई में एक और नीति बनी, लेकिन उसका भी अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है। तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेस ने शासकीय नियमित पदों से समकक्षता निर्धारण करने के लिए 20 विभागों के अफसरों की बैठक ली थी। मंशा थी कि संविदा कर्मचारियों का वेतन समान किया जाए, लेकिन समकक्षता का निर्धारण नहीं हो पाया और वेतन भी कम हो गया।

संविदा कर्मचारियों की मांगें

  1. संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
  2. संविदा कर्मचारियों को एनपीएस के दायरे में लिया जाए।
  3. संविदा कर्मचारियों को बीमा, अनुकंपा नियुक्ति, ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाए।
  4. संविदा कर्मचारियों को समान वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं।


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