100वां तानसेन समारोह:संगीत सम्राट की नगरी में बच्चा भी सुर में रोता है

तानसेन समारोह या तानसेन संगीत समारोह हर साल दिसंबर में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के बेहत गांव में मनाया जाता है। देश-विदेश के संगीत प्रेमी यहां आकर प्रस्तुति देने के लिए आतुर रहते हैं। आपको बताते हैं इस समारोह के महत्व और इतिहास के बारे में... 

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Jitendra Shrivastava
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तानसेन समारोह का शुभारंभ सिंधिया शासन काल में ही 1924 में हुआ था। यह 100वां आयोजन है। यह 4 दिन का संगीतमय कार्यक्रम है। तानसेन समारोह मूल रूप से एक स्थानीय त्योहार हुआ करता था, लेकिन यह पूर्व केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री बीवी केसकर की पहल थी। इसके बाद तानसेन समारोह को एक लोकप्रिय राष्ट्रीय संगीत समारोह में बदला गया। दुनिया भर से कलाकार और संगीत प्रेमी यहां महान भारतीय संगीत उस्ताद तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह समारोह मध्य प्रदेश सरकार का संस्कृति विभाग तानसेन के मकबरे के पास आयोजित करवाता है। इस समारोह में पूरे भारत से कलाकारों को गायन और वाद्य प्रसतुति देने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

खास होगा 100वां तानसेन समारोह

इस बार तानसेन संगीत समारोह का 100वां वर्ष है। शताब्‍दी वर्ष के अवसर पर संस्‍कृति विभाग ने इस समारोह को विस्‍तार प्रदान किया है साथ ही नई गतिविधियां भी जोड़ी हैं। संस्‍कृति विभाग के संचालक एनपी नामदेव ने बताया कि तानसेन समारोह का शुभारम्‍भ सीएम मोहन यादव की उपस्थिति किया गया। यह समारोह 19 दिसम्‍बर तक तानसेन समाधि स्‍थल, बेहट एवं गुजरी महल में आयोजित किया जाएगा।

इस बार संगीत के क्षेत्र में सक्रियता और उत्‍कृष्‍टता राष्‍ट्रीय तानसेन सम्‍मान 2023 से सुप्रसिद्ध तबला वादक पं. स्‍वपन चौधरी, कोलकाता को अलंकृत किया जाएगा। राष्‍ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्‍मान कला, संस्‍कृति एवं साहित्‍य के क्षेत्र में सक्रिय कार्य करने वाली इंदौर की ''सानन्‍द'' संस्‍था को अलंकृत किया जाएगा। यह सम्‍मान समारोह 18 दिसम्‍बर, 2024 को मुख्‍य समारोह के दौरान आयोजित होगा।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास

15 दिसम्‍बर से मुख्‍य आयोजन शुरू होगा। इसमें सुबह 10 बजे से तानसेन समारोह का पारम्‍परिक कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में मजीद खां और साथी शहनाई वादन, ढोली बुआ महाराज सतं व सच्चिदानंदनाथ साथियों द्वारा हरिकथा, मौलाना इकबाल साथियों के साथ मीलाद की प्रस्‍तुति देंगे। इसके बाद आठ वाद्यों के साथ 350 कलाकारों द्वारा कर्ण महल के बाजू का परिसर, किला ग्‍वालियर में सायं 4:30 बजे एक साथ प्रस्‍तुति दी जाएगी। इसे गिनीज वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का प्रयास किया जायेगा।

तानसेन सम्‍मान और राजा मानसिंह तोमर सम्‍मान

संगीत के क्षेत्र में सक्रियता, सुदीर्घ साधना एवं उत्‍कृष्‍टता को सम्‍मानित करने के उद्देश्‍य से मध्‍यप्रदेश शासन द्वारा स्‍थापित राष्‍ट्रीय तानसेन सम्‍मान वर्ष 2023 से सुप्रसिद्ध तबला वादक पं. स्‍वपन चौधरी, कोलकाता को अलंकृत किया जाएगा। राष्‍ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्‍मान कला, संस्‍कृति एवं साहित्‍य के क्षेत्र में सक्रिय कार्य करने वाली इंदौर की ''सानन्‍द'' संस्‍था को अलंकृत किया जाएगा। यह सम्‍मान समारोह 18 दिसम्‍बर को मुख्‍य समारोह के दौरान आयोजित होगा।

1980 में हुई थी तानसेन अलंकरण की स्थापना 

संगीतकार तानसेन की स्मति में 1924 से हर साल ग्वालियर में तानसेन समारोह आयोजित हो रहा है। आजादी के पहले सिंधिया रियासत इसका आयोजन करती थी, इसमें देश के मूर्धन्य कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर संगीत सम्राट तानसेन को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते रहे। 1980 में मध्यप्रदेश शासन ने “तानसेन अलंकरण” की स्थापना की। इसमें अभी तक देश के 53 कलाकार “तानसेन संगीत अलंकरण” से सम्मानित किए जा चुके हैं। वर्ष 1989 में भारत रत्न पंडित रविशंकर ने कहा था कि यहां एक जादू सा होता है, जिसमें प्रस्तुति देते समय एक सुखद रोमांच की अनुभूति होती है।

तानसेन की नगरी में पत्थर भी ताल में लुढ़कता है 

संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर के लिए एक कहावत बहुत प्रसिद्ध हैं। यह कहावत है कि यहां बच्चे रोते हैं, तो सुर में और पत्थर लुढ़कते है तो ताल में। तानसेन का जन्म लगभग 505 वर्ष पूर्व ग्वालियर जिले के बेहट गांव के मकरंद पाण्डे के घर हुआ था। तानसेन जब संगीत सीख रहे थे तब ग्वालियर पर राजा मानसिंह तोमर का शासन था। उनके पास रहकर तानसेन ने संगीत की शिक्षा ली। बाद में तानसेन वृंदावन चले गए और वहां उन्होंने स्वामी हरिदास जी और गोविन्द स्वामी से संगीत की उच्च शिक्षा प्राप्त की। संगीत शिक्षा में पारंगत होने के बाद वे शेरशाह सूरी के पुत्र दौलत खां के पास रहे। इसके बाद बांधवगढ़ (रीवा) के राजा रामचन्द्र की राजसभा में तानसेन को उच्चतम स्थान मिला।

खबर से संबंधित सामान्य प्रश्न

तानसेन समारोह कब शुरू हुआ और इसका 100वां आयोजन क्यों विशेष है?
तानसेन समारोह का शुभारंभ 1924 में सिंधिया शासन काल में हुआ था। इस साल इसका 100वां आयोजन है, इसलिए इसे विशेष बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम को विस्तार दिया है और नई गतिविधियां जोड़ी हैं।
तानसेन समारोह में कौन-कौन से प्रमुख सम्मान दिए जाते हैं?
इस समारोह में दो प्रमुख सम्मान दिए जाते हैं: -राष्ट्रीय तानसेन सम्मान : संगीत क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए। इस बार पंडित स्वपन चौधरी (तबला वादक) को यह सम्मान दिया जाएगा। -राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान : कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को। इस बार इंदौर की 'सानन्द संस्था' को यह सम्मान दिया जाएगा।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किस आयोजन में किया जाएगा?
15 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम में 350 कलाकार आठ वाद्यों के साथ ग्वालियर के किले के कर्ण महल परिसर में प्रस्तुति देंगे। इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का प्रयास किया जाएगा।
तानसेन समारोह का आयोजन कहां और कब होता है?
तानसेन समारोह ग्वालियर में तानसेन के समाधि स्थल, बेहट और गुजरी महल में आयोजित किया जाता है। इस वर्ष इसका मुख्य आयोजन '15 दिसंबर से 19 दिसंबर' तक होगा।
तानसेन समारोह के ऐतिहासिक महत्व और इसके विशेष आकर्षण क्या हैं?
तानसेन समारोह संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित किया जाता है। यह आयोजन देशभर के कलाकारों और संगीत प्रेमियों को एक मंच पर लाता है। इसके अलावा ग्वालियर की प्रसिद्ध कहावत "यहां पत्थर भी ताल में लुढ़कता है" इस नगरी की संगीत परंपरा को दर्शाती है।



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