जबलपुर सड़क हादसे में लापहवाही बरतने को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 108 एम्बुलेंस सेवा के दो ड्राइवर और एक इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। वहीं, घायल मरीजों को जबलपुर मेडिकल कॉलेज की जगह राइट टाउन स्थित मोहनलाल हरगोविंद दास अस्पताल (MH Hospital) में भर्ती कराने के मामले में उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं।
निजी अस्पताल में किया भर्ती
इस हादसे में घायल 11 मरीजों में से दो को सिविल अस्पताल सिहोरा से मेडिकल कॉलेज जबलपुर रेफर किया गया था। हालांकि, 108 एम्बुलेंस के ड्राइवर और स्टाफ ने इन्हें मेडिकल कॉलेज की बजाय राइट टाउन स्थित मोहनलाल हरगोविंद दास अस्पताल में भर्ती करा दिया। इसके पहले इन मरीजों की मेडिकल कॉलेज में पर्ची कटवाई गई थी, लेकिन बाद में उन्हें वहां न ले जाकर निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। कलेक्टर सक्सेना ने इस गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही तुरंत कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
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3 कर्मचारी निलंबित, 2 को शोकॉज नोटिस
इस पूरे मामले में कलेक्टर सक्सेना ने इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन शिवानी चौधरी सहित दो ड्राइवर राजेंद्र पटेल और श्रवण पाठक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। वहीं, ऑपरेशन मैनेजर नितिन कुमार, जोनल मैनेजर अंकुश नायडू को कारण बताओ नोटिस दिया गया है, जिनके ऊपर जांच के बाद कार्रवाई होने की संभावना है।
अब सांठगांठ की होगी जांच
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश चिकित्सा अधिकारियों को दिए हैं। साथ ही, एम्बुलेंस संचालकों और निजी अस्पतालों के बीच सांठगांठ की जांच कराने का भी निर्णय लिया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि इस मामले में 108 एम्बुलेंस सेवा के जोनल और ऑपरेशन मैनेजर को भी नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि यह 108 एम्बुलेंस सेवा कटनी जिले की थी, जिसने घायल ठाकुर लाल कोल और मंगोबाई को मेडिकल कॉलेज की बजाय निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। दोनों मरीजों की स्थिति में सुधार होने पर उन्हें वापस सिहोरा अस्पताल भेज दिया गया है।
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एम्बुलेंस सुविधा लंबे समय से विवादों में
जबलपुर में लंबे समय से चली आ रही 108 सहित निजी एम्बुलेंस संचालकों की मनमानी पर अब कोई कार्रवाई की जाएगी या यह मामला सिर्फ एक एम्बुलेंस तक ही सीमित रह जाएगा यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन मरीजों को लुटने से बचाने के लिए निजी अस्पतालों के साथ एम्बुलेंस संचालकों की मिलीभगत को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाना बेहद जरूरी है।
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