मप्र में सिंतबर 2022 से लागू हुआ 87-13 फीसदी के फार्मूले से अभी मप्र के युवाओं को मुक्ति मिलने के कोई आसार नहीं हैं। 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर भले ही याचिकाएं हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो गई है, लेकिन अभी इन पर सुनवाई की तारीख सामने नहीं आई है। इसके लिए द सूत्र ने पक्षकारों के अधिवक्ताओं से चर्चा की तो यह सामने आया।
इसलिए अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं
ओबीसी पक्ष के अधिवक्ता रामेशवर ठाकुर ने द सूत्र को बताया कि भले ही याचिकाएं हाईकोर्ट मप्र से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो चुकी हैं, लेकिन ट्रांसफर के बाद याचिकाओं का नया नंबर सामने आता है, लेकिन इस मामले में अभी तक सुप्रीम कोर्ट से नई याचिका नंबर ही जनरेट नहीं हुआ है। इस मामले में मप्र शासन ने भले ही इन्हें ट्रांसफर करवाया है लेकिन उन्होंने इस मामले में जल्द सुनवाई को लेकर कोई पहल नहीं की है। जब तक नंबर नहीं आएगा, तब तक सुनवाई की कोई नई तारीख ही सामने नहीं आ सकेगी। ठाकुर ने ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से फिर आरोप लगाया कि जब तक एजी प्रशांत मेहता है, इस मामले में कोई भी कदम आगे नहीं बढ़ेगा, क्योंकि उनकी ही विधिक सलाह के चलते यह 87-13 फीसदी फार्मूला आया है।
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अभी पूरी याचिकाएं शिफ्ट भी नहीं हुई
वहीं याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने द सूत्र को बताया कि यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट से अभी नया याचिका नंबर नहीं आया है। वहीं हमारी आपत्ति तो भी यह भी है कि कई याचिकाएं जो इसी केस से जुड़ी थी वह हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर नहीं हुई है। यह पिक एंड चूज नहीं चल सकता है। ऐसी करीब 20 याचिकाएं लंबित हैं, इन पर आवेदन बना रहे हैं, जो हम सुप्रीम कोर्ट में लगाएंगे और इसी दौरान मेंशन लेकर कोशिश करेंगे कि इसकी जल्द सुनवाई की जाए। एक याचिकाकर्ता प्रज्ञा शर्मा की याचिका पर सुनवाई 4 नवंबर को लिस्ट में दिख रही है, इस पर अधिवक्ताओं ने कहा कि केस छत्तीसगढ़ के साथ लिंक है, बाकी याचिका नंबर जनरेट नहीं हुआ है, ऐसे में 87-13 फार्मूला व 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर फिलहाल सुनवाई संभव नहीं है।
27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अभी नहीं
साल 2019 की परीक्षा से अटके हुए हैं उम्मीदवार
तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय ओबीसी आरक्षण को विधानसभा में एक्ट पास कर 14 से बढाकर 27 फीसदी कर दिया गया। लेकिन इस आधार पर हुई परीक्षाओं को लेकर मामले हाईकोर्ट में चले गए जहां से 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर स्टे दे दिया गया। इसके बाद रिजल्ट अटके, तब मप्र शासन ने एक फार्मूला बनाया जिसे 87-13-13 फीसदी फार्मूला कहा गया। यानी 87 फीसदी पद 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ भरे जाएंगे और 13 फीसदी पद ओबीसी को देंगे या अनारक्षित को देंगे, यह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय होगा, तब तक यह 13 फीसदी पदों पर 13 फीसदी ओबीसी और 13 फीसदी अनारक्षित दोनों का चयन करते हुए इन्हें प्रोवीजनल रिजल्ट के दायरे में रखा जाएगा, जिसके हक में फैसला आएगा यह पद उस वर्ग को दे दिए जाएंगे।
इसके बाद से ही राज्य सेवा परीक्षा 2019, 2020, 2021 के अंतिम रिजल्ट में 13 फीसदी पद होल्ड है। ईएसबी की भी कई परीक्षाओं के 13 फीसदी रिजल्ट होल्ड है। इसी तरह पीएससी की कई और परीक्षाओं में यही फार्मूला लगा हुआ है, हर तरह की भर्ती यहां तक की पात्रता परीक्षा में भी इसे लागू कर दिया गया और इसके चलते हर जगह 13 फीसदी पद होल्ड हैं, जिससे हजारों पद और लाखों उम्मीदवार इंतजार में हैं।
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