निगम बिल घोटाले में शामिल 31 अधिकारी-कर्मचारियों की व्यापमं घोटाले की तरह हो सकती है मौत, कांग्रेस ने पीएम और डीजीपी को लिखा पत्र

मध्यप्रदेश कांग्रेस के महासचिव राकेश यादव ने आशंका जताई है कि इंदौर नगर निगम में करोड़ों के घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर घोटाले के सच को छिपाने के लिए उन्हें समाप्त करने की कोशिश की जा सकती है...

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. स्वच्छता के बाद घोटालों में तेजी से नंबर वन वन बन रहे इंदौर में 28 करोड़ के ताजा निगम बिल घोटाले के मामले में कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने चौंकाने वाली आशंका जताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही मप्र डीजीपी को पत्र लिखा है। इसमें 31 निगम अधिकारी और कर्मचारियों की मौत, हत्या की आशंका जताई है। मामले की जांच सेंट्रल एजेंसी सीबीआई को देने की मांग भी की गई है। 

इस तरह की जताई गई है आशंका

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प्रदेश कांग्रेस के महासचिव राकेश यादव ने पीएम और डीजीपी को पत्र लिखकर कहा है कि बिला घोटाले में व्यापमं कांड की तर्ज पर घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की हत्या का दौर शुरू होने की आशंका है। इसमें 12 अधिकारी और 19 कर्मचारी है। सबसे ज्यादा लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर स्वाभाविक मृत्यु दर्शाने की प्रबल आशंका है। इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ से ज्यादा की राशि फर्जी बिल से हड़पने में इंदौर नगर निगम में अनेक अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता हैं। ऐसी परिस्थितियों में बीजेपी एक हाई प्रोफाइल नेता के संरक्षण में इस घोटाले का षड्यंत्र रचकर अंजाम दिया गया हैं। इसमें दो एमआईसी सदस्य मिले हैं। यह भी आरोप लगाए कि सीसीटीवी फुटेज भी गायब कर दिए गए हैं। जिससे पता चल सके कि कौन इन फाइलों को लेकर आ-जा रहा था।

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व्यापमं घोटाले का दिया उदाहरण

यादव ने कहा है कि मप्र में पूर्व में व्यापमं घोटाले में 2007 से 2015 के बीच व्यापमं मामले से जुड़े 32 लोगों की मौत अज्ञात वजहों से हुई थी। किसी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी और किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। आज तक इन मौतों का सच सामने नहीं आया हैं। यह सभी लोग किसी न किसी हादसे का शिकार हुए थे। ऐसी प्रबल आशंका है की इंदौर नगर निगम में करोड़ों के घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर घोटाले के सच को छिपाने के लिए समाप्त करने की कोशिश की जा सकती हैं।

फर्जी बिल का मामला सिर्फ ड्रेनेज कार्यों तक सीमित नहीं 

यह भी आरोप लगाए गए हैं कि अनेक निर्माण कार्यों में फर्जी बिलों को लगाकर भुगतान कराया गया है। जांच शुरू होने पर घोटाले के दायरे में अन्य विभागों के अधिकारी भी आएंगे। भ्रष्टाचार में शामिल लेखा विभाग के अधिकारियों की जिंदगी बचाना बेहद जरूरी है वरना व्यापमं जैसा इस निगम कांड का सच सामने नहीं आएगा।

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