Result Deteriorated Due To Shortage Of Teachers In MP
BHOPAL. मध्यप्रदेश बोर्ड का रिजल्ट उत्तर प्रदेश और बिहार से भी करीब 22 प्रतिशत कम रहा। माध्यमिक शिक्षा मंडल का हायर सेकेंडरी रिजल्ट 64.49 प्रतिशत रहा। MP के 35 फीसदी छात्र-छात्राएं कम नंबर होने की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेंगे। अगर इसमें 36 प्रतिशत फेल स्टूडेंट्स को भी जोड़ लिया जाए तो आंकड़ा 70 फीसदी के पार निकल जाता है। आखिर मध्यप्रदेश में बच्चों के खराब रिजल्ट की वजह क्या है।
मध्यप्रदेश में शिक्षकों की कमी
गुरु बिन ज्ञान कहां, बच्चों का रिजल्ट बिगड़ने की सबसे बड़ी वजह यही है कि MP में टीचर्स की कमी है। मध्यप्रदेश शासन के राजपत्र के अनुसार शिक्षकों के 34 हजार 789 पद खाली हैं। उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती-2023 16 अलग-अलग विषयों में सिर्फ 8720 पदों के लिए हो रही है। इसमें भी नए पद सिर्फ 5052 हैं। 45 प्रतिशत पद बैकलॉग के हैं। वर्ग-1 शिक्षक भर्ती 2018 में 22 हजार पद थे, लेकिन 2023 में नए पद सिर्फ 5052 हैं। वर्ग-1 में उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती-2023 में पदों की संख्या बेहद कम है। कैंडिडेट्स ने रोस्टर में पद बढ़ाने की मांग की थी।
30 प्रतिशत स्टूडेंट्स के नंबर 55 प्रतिशत से भी कम
MP में हायर सेकंडरी परीक्षा में 2 लाख 92 हजार 799 स्टूडेंट्स ने फर्स्ट डिवीजन हासिल किया। सेकंड डिवीजन वाले स्टूडेंट्स की संख्या 1 लाख 9 हजार 268 है। वहीं थर्ड डिवीजन सिर्फ 422 स्टूडेंट्स को मिला। सेकंड और थर्ड डिवीजन वाले 30 प्रतिशत स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिनके नंबर 55 प्रतिशत से कम हैं। करीब 33 हजार छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में कम नंबरों की वजह से शामिल नहीं हो पाएंगे।
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यूपी-बिहार से भी पिछड़ा मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश रिजल्ट के मामले में इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार से पिछड़ गया है। बिहार का रिजल्ट 87.21 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश का 82.60 प्रतिशत रहा। मध्यप्रदेश का रिजल्ट 64.49 प्रतिशत रहा।
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