इंदौर-उज्जैन के बीच 8 मेट्रो स्टेशन फाइनल, इन जगहों पर होगा स्टॉपेज
इंदौर से उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए स्टेशन और रूट का निर्धारण कर लिया गया है। इस मेट्रो प्रोजेक्ट पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
इंदौर से उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए स्टेशन और रूट का निर्धारण कर लिया गया है। इस 47 किलोमीटर लंबे रूट पर कुल आठ स्टेशन बनेंगे, जिनमें से पहला स्टेशन लवकुश चौराहे पर और अंतिम स्टेशन महाकाल लोक के पास होगा।
डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार
बता दें कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने इस प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली है, जिसे दिसंबर के अंत तक मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को सौंप दिया जाएगा। रूट के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से का काम सड़क की सेंट्रल लाइन के हिसाब से किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए डिपो बनाने के लिए प्रशासन से रेवती के पास 20 हेक्टेयर भूमि मांगी गई है।
इस मेट्रो प्रोजेक्ट पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इनमें से 60 प्रतिशत राशि लोन के रूप में ली जाएगी, जबकि बाकी 40 प्रतिशत में से 20 प्रतिशत केंद्र सरकार और 20 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। हालांकि, अफसरों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट तीन साल में यानी सिंहस्थ महाकुंभ से पहले पूरा करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
FAQ
इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का कुल रूट कितना होगा और कितने स्टेशन बनेंगे?
इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो रेल का रूट 47 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें कुल आठ स्टेशन बनाए जाएंगे। पहला स्टेशन लवकुश चौराहे पर और अंतिम स्टेशन महाकाल लोक के पास होगा।
इस मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) कौन तैयार करेगा और कब सौंपी जाएगी?
इस प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने तैयार की है, जिसे दिसंबर के अंत तक मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को सौंप दिया जाएगा।
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कितनी भूमि की आवश्यकता होगी और यह कहाँ स्थित होगी?
इस प्रोजेक्ट के लिए डिपो बनाने के लिए प्रशासन से रेवती के पास 20 हेक्टेयर भूमि मांगी गई है।
इस मेट्रो प्रोजेक्ट पर कुल कितने खर्च का अनुमान है और वित्तीय व्यवस्था क्या होगी?
इस मेट्रो प्रोजेक्ट पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। 60 प्रतिशत राशि लोन के रूप में ली जाएगी, जबकि बाकी 40 प्रतिशत में से 20 प्रतिशत केंद्र सरकार और 20 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा।