ASI सर्वे का 86वां दिन : भोजशाला में सर्वे की गति बढ़ाने नए सदस्य शामिल, 27 जून तक चलेगा सर्वे

मध्यप्रदेश के धार भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम में नए सदस्य शामिल हुए हैं। ये सदस्य भोजशाला में हो रहे सर्वे की गति को बढ़ाने का काम करेंगे। ASI की टीम ने आज  शनिवार, 15 जून को 86वें दिन सर्वे कार्य किया...

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Jitendra Shrivastava
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ASI सर्वे का 86वां दिन : धार भोजशाला में ASI की टीम ने आज शनिवार, 15 जून को 86वें दिन सर्वे कार्य किया। केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम भोजशाला में वैज्ञानिक सर्वेक्षण का काम कर रही है। एएसआई की टीम ने भोजशाला सहित आसपास की क्षेत्र में सर्वे शुरू कर दिया है। अब पूरे दिन यहां पर काम होगा। मध्यप्रदेश के धार भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम में नए सदस्य शामिल हुए हैं। ये सदस्य भोजशाला में हो रहे सर्वे की गति को बढ़ाने का काम करेंगे।

सर्वे कार्य में एएसआई के 16 अधिकारी

सर्वे के दौरान भोजशाला में जो साक्ष्य  सामने आए हैं, इन साक्ष्यों को एएसआई की टीम कोर्ट के सामने रखेगी। एक दिन पहले भोजशाला के गर्भगृह में भराव करके गड्ढों को बंद किया गया था, उतरी भाग में मिट्टी हटाने का काम चल रहा है। शनिवार को एएसआई की टीम में शामिल होने के लिए कुछ सदस्य भोजशाला आए हैं, पिछले कुछ दिनों से सदस्यों की संख्या कम थी, जिसका असर सर्वे की गति पर भी पड़ा था। पर अब फिर पुराने सदस्य टीम में आ चुके हैं, एएसआई के 16 अधिकारी, कर्मचारी, 28 मजदूर व पक्षकारों की मौजूदगी में सर्वे हो रहा है

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4 जुलाई को होनी है हाईकोर्ट में सुनवाई

भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि एएसआई को सर्वे में अब तक सैकड़ों पुरावशेष मिल चुके हैं। जिसमें प्राचीन मूर्तियां भी शामिल है। धार स्थित भोजशाला में 22 मार्च से चल रहे सर्वे चल रहा है आज 15 जून को 86 दिन पूरे हो चुके हैं। सर्वे कार्य 27 जून तक जारी रहेगा। 4 जुलाई को इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है और एएसआई की ओर से भोजशाला में सर्वे की पूरी रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

1948 में मिले थे शिलालेख

भोजशाला को मां सरस्वती मंदिर घोषित करने के लिए याचिका लगाने वाले आशीष गोयल ने बताया कि ऐतिहासिक किले में शिलालेख की वीथिका बनी हुई है। इसमें 13 शिलालेख रखे हुए हैं। इसके समान शिलालेख वर्तमान में भोजशाला की दीवार पर भी लगे हुए हैं। किले के संग्राहलय में रखे ये अभिलेख 1948 में भोजशाला से मलबा हटाने पर मिले थे। एएसआई ने इन्हें अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है। किले में 11वीं शताब्दी की काले पाषाण की कुबेर मूर्ति भी मौजूद है। 1988 में मिली मूर्ति को सर्वे में शामिल किया गया है। इसके अलावा अर्धनारीश्वर की मूर्ति भी है। यह बहुत ही विशिष्ट मूर्ति है।

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