संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर का रणः इंदौर लोकसभा सीट के लिए 9 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिया है इसी के साथ अब 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसमें कांग्रेस के अक्षय बम के साथ 8 अन्य ने नाम वापस लिए हैं, अब चुनाव में अंतिम तौर पर 14 प्रत्याशी शेष रह गए हैं। उधर कांग्रेस ने अभी तय नहीं किया है कि वह किस प्रत्याशी को समर्थन देगी। इंदौर में कुल 26 उम्मीदवारों ने नामांकन फार्म जमा किए थे, इसमें से 3 के फार्म स्क्रूटनी कमेटी ने रिजेक्ट कर दिए और 9 ने 29 अप्रैल को नाम वापस ले लिए। अब 14 प्रत्याशी बचे हैं।
इन तीन के फार्म हुए थे निरस्त
मोती सिंह (कांग्रेस के डमी प्रत्याशी), रविंद्र लोखंडे और सुनील तिवारी
इन 9 प्रत्याशियों ने लिए नाम वापस
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अक्षय कांति बम (कांग्रेस), धर्मेंद्र सिंह झाला (भूतपूर्व वायु सैनिक) (निर्दलीय), सुनील अहिरवार (निर्दलीय), भावना संगेलिया (जनता कांग्रेस), दिलीप ठक्कर (निर्दलीय), विजय इंगले (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया), लीलाधऱ् चौहान (निर्दलीय), नासिर खान (आम भारतीय पार्टी), जयदेव परमार (निर्दलीय)
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यह चुनाव 14 अब चुनाव मैदान में
शंकर लालवानी (बीजेपी), संजय सोलंकी (बहुजन समाज पार्टी), बसंत गेहलोत (जनसंघ पार्टी), पवन कुमार (अखिल भारतीय परिवार पार्टी)), अजीत सिंह पिता निहाल सिंह (कम्युनिस्ट), अर्जुन सीताराम (बहुजन मुक्ति पार्टी)। इसके साथ जनहित पार्टी से निर्दलीय अभय जैन, परमानंद तोलानी (निर्दलीय), लविश खंडेलवाल (निर्दलीय), रवि सिरवैया (निर्दलीय), अयाज अली (निर्दलीय), मुदित चौरसिया (निर्दलीय), अंकित गुप्ता (निर्दलीय), पंकज गुप्ते (निर्दलीय) है।
इंदौर में अब जीत का मिशन देश की नंबर वन जीत
इंदौर में बीजेपी ने 8 लाख जीत का मिशन रखते हुए देश की सबसे बड़ी जीत का नारा दिया था। बीते चुनाव 2019 में 6.89 लाख की सबसे बड़ी जीत थी और वहीं इंदौर में शंकर लालवानी की जीत देश की 12वीं बड़ी जीत थी जो 5.47 वोट की थी। इंदौर में 25.13 लाख मतदाता है। अब बीजेपी कोशिश है कि अधिक से अधिक वोटिंग कराना, बीते चुनाव में 69.33 फीसदी थी। हालांकि अब एकतरफा चुनाव और बीते दो चरणों में गिरी वोटिंग प्रतिशत को देखते हुए वोटिंग अधिक कराना एक मुश्किल काम है। लेकिन अब देखना है कि गिरे हुए वोट में से लालवानी कितने ले जाते हैं। बीते चुनाव में 16.24 लाख करीब वोट गिरे और लालवानी को 10.68 लाख वोट मिले थे। कांग्रेस को 5.20 लाख मिले थे और बाकी अन्य प्रत्याशियों को 40 हजार से भी कम वोट मिले थे। ऐसे में संभावना है कि लालवानी देश की सबसे बड़ी जीत हासिल कर सकते हैं।