आबकारी विभाग ने ठेकेदार पर ही मढ़ा आरोप, तीन कारों में 5 लाख की शराब जब्त

आबकारी विभाग ने जबलपुर में ठेकेदार पर अवैध शराब के आरोप लगाए हैं। तीन लग्जरी गाड़ियों से 5 लाख की शराब ज़ब्त की गई। विभाग ने ठेकेदार और उसके कर्मचारियों को दोषी ठहराया। वहीं, मारपीट के वायरल वीडियो को गलत आरोपों का हिस्सा बताया है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (thesootr)

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बरेला शराब दुकान पर सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे द्वारा की गई मारपीट और धमकी के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। जहां एक ओर ठेकेदार अजय सिंह बघेल ने संजीव दुबे पर गाली-गलौच और मारपीट के गंभीर आरोप लगाते हुए मामला मुख्यमंत्री, आबकारी मंत्री और प्रमुख सचिव तक पहुंचाया है, वहीं आबकारी विभाग ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में ठेकेदार और उनके कर्मचारी को ही पूरे प्रकरण का दोषी ठहराया है।

भारी मात्रा में जब्त हुई अवैध शराब

आबकारी विभाग द्वारा जारी की गई सफाई के अनुसार, दिनांक 17 जुलाई 2025 की सुबह करीब 11:30 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि तिलहरी क्षेत्र में चार पहिया वाहनों में अवैध शराब छिपाई गई है। कार्रवाई करते हुए विभाग ने तीन गाड़ियों से 216.75 बल्क लीटर अवैध शराब ज़ब्त की, जिसकी कीमत लगभग 5 लाख रुपए बताई गई है, वहीं जब्त की गई गाड़ियों का अनुमानित मूल्य 20 लाख रुपए है।

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बरेला शराब दुकान से जुड़ा मामला

विभाग के मुताबिक, जब गाड़ियों की रैकी की जा रही थी, उसी दौरान पता चला कि चौथी गाड़ी बरेला शराब दुकान से शराब लोड कर रही है। मौके पर पहुंचे अधिकारी जब दुकान में जांच करने पहुंचे, तो सेल्समैन उपेंद्र मिश्रा ने न सिर्फ जांच में सहयोग नहीं किया, बल्कि विभागीय अधिकारियों के साथ अभद्रता और अपशब्दों का प्रयोग किया।

आरोप है कि उपेंद्र मिश्रा ने जांच रोकने के लिए यह तक कह दिया  कि “जो करना है कर लो, मालिक का आदेश नहीं आया तो जांच नहीं होगी।” विभाग के द्वारा जारी की गई सफाई के अनुसार इसी उग्र व्यवहार के बाद बरेला दुकान में विवाद की स्थिति बनी, जिसका वीडियो वायरल कर अब आबकारी विभाग की छवि को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

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तीन गाड़ियों में पकड़ी गई लाखों की शराब

  1. मारुति रिट्ज MP20CC8899 – 94 बोतल विदेशी मदिरा + 100 पाव देसी मसाला शराब = 88.5 बल्क लीटर
  2. फोर्ड इकोस्पोर्ट (बिना नंबर) – 72 बोतल विदेशी मदिरा + 100 पाव देसी मसाला शराब = 72 बल्क लीटर
  3. टाटा जेस्ट MP20TA1079 – 39 बोतल विदेशी मदिरा + 150 पाव देसी मसाला शराब = 56.25 बल्क लीटर

इन तीनों वाहनों से बरामद शराब बरेला शराब दुकान की बताई गई है।

अब उपेंद्र मिश्रा पर केस दर्ज

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपेंद्र मिश्रा को गाड़ी में बिठाकर लाया जा रहा था, लेकिन वह रास्ते में भाग गया। वहीं दुकान के मुख्य संचालक शिवप्रताप कौरव, निवासी गाडरवारा, पर पहले से 34(2) के तहत मामला दर्ज है। इसके साथ ही तीनों ज़ब्त गाड़ियों की संलिप्तता भी स्पष्ट रूप से बरेला दुकान से जुड़ी हुई बताई गई है।

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वीडियो को बताया भ्रम फैलाने वाला

आबकारी विभाग ने साफ किया है कि उपेंद्र मिश्रा की ओर से जांच में बाधा उत्पन्न की गई, बावजूद इसके उस पर शासकीय कार्य में बाधा का केस नहीं दर्ज किया गया, लेकिन अन्य मामलों में कानूनी कार्रवाई जारी है।

विभाग ने यह भी कहा है कि वायरल वीडियो के जरिए “झूठे आरोप लगाकर आबकारी विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, इसके बाद भी संजीव दुबे के द्वारा कर्मचारियों की पिटाई को जस्टिफाई नहीं किया जा सकता।

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जबलपुर में चल रहा शराब सिंडिकेट

इस पूरी घटना से यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या बरेला शराब दुकान सहित अन्य दुकानों के जरिए अवैध शराब परिवहन का कोई बड़ा सिंडिकेट संचालित हो रहा है? क्योंकि जब्त तीनों गाड़ियों में बरेला की शराब लदी पाई गई और उन्हें किसी गुप्त ठिकाने पर ले जाया जा रहा था।

इससे पहले भी जबलपुर में कई दुकानों में एमआरपी से अधिक दाम पर शराब बिकने के वीडियो सामने आ चुके हैं। जबलपुर कलेक्टर के द्वारा की गई कार्यवाही के बाद भी लगातार जबलपुर शहर में MRP से ऊपर शराब बेची जा रही है।

क्या दबाव बनाने वायरल हुआ वीडियो

प्रेस विज्ञप्ति में यह भी संकेत दिया गया है कि ठेकेदार द्वारा वायरल किया गया वीडियो केवल एक दुकान तक सीमित है और उसके जरिए पूरे विभाग की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है, जबकि असल में विभाग अवैध शराब पर सख्ती से कार्रवाई कर रहा है।

जांच की निगरानी अब जनता की नजरों में

अब यह देखना अहम होगा कि इस पूरे मामले में पुलिस और प्रशासन निष्पक्ष जांच कर पाता है या फिर यह मामला राजनीतिक और विभागीय दबाव में दबा दिया जाएगा इसका फैसला आने वाले दिनों में होगा।

जहां एक ओर ठेकेदार का कर्मचारी मारपीट और धमकी की बात कहकर खुद को पीड़ित बता रहा है, वहीं आबकारी विभाग आरोपों का खंडन करते हुए उसे "अपराध से बचने की रणनीति" बता रहा है। शराब व्यापार से जुड़े इस मामले ने जबलपुर के प्रशासनिक और व्यावसायिक तंत्र की अंदरूनी खींचतान को उजागर कर दिया है। जांच पूरी होने तक यह मामला शहर की निगाहों में बना रहेगा।

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