त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के सर्वेसर्वा राजेश शर्मा और महेंद्र गोयनका के खेल को तो आयकर विभाग ने उजागर कर दिया। इस मामले में 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति भी अटैच कर दी, मगर उसी दिन कई और “जमीन के दीवानों” के यहां छापे पड़े थे, जिनका कनेक्शन अभी तक उजागर नहीं हुआ है।
इन लोगों में सिर्फ 2000 रुपए महीने की नौकरी से शुरुआत करने वाले कंस्ट्रक्शन कारोबारी बने रामवीर सिंह सिकरवार तक एजेंसी के हाथ कब पहुंचेंगे? वैसे खुद को राजकुमार सिकरवार का रिश्तेदार बताकर ब्यूरोक्रेसी में अपने संबंध बनाने वाले रामवीर की कहानी भी अलग ही है। thesootr को हाथ लगे कुछ सबूतों के जरिए आज आपको बताएंगे इसी कहानी को…
इन लोगों पर हुआ था आयकर का एक्शन…
19 दिसंबर को जब त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के राजेश शर्मा पर आयकर की छापामारी हुई, उसी दिन पूरे प्रदेश में 50 अन्य जगहों पर भी IT की रेड पड़ी थी। इन लोगों में
राजकुमार सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )
रामवीर सिंह सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )
विश्वनाथ साहू (रियल एस्टेट कारोबारी)
दीपक भावसार (पूर्व मंत्री के करीबी )
विनोद अग्रवाल (रियल एस्टेट कारोबारी)
प्रदीप अग्रवाल (रियल एस्टेट कारोबारी)
रूपम सेवानी (रियल एस्टेट कारोबारी)
के अलावा कुणाल अग्रवाल, अल्का अग्रवाल, वीरेंद्र पाल सिंह, हरदीप कौर, तेजींदर सिंह, सूरजीत कौर, राकेश शर्मा, किशोरी देवी शर्मा, संजय जैन, राधिका शर्मा और प्रेम नारायण शर्मा का नाम सामने आया था। तब दीपक भावसार का नाम खास तौर पर चर्चा में आया था। क्योंकि वह एक प्रभावशाली पूर्व मंत्री के बेहद करीबी है। इसी तरह एक पूर्व मुख्य सचिव का नाम भी उछल रहा है।
सिर्फ दो लोगों पर हुआ एक्शन
अब तक जो कुछ कार्यवाही हुई है उसमें मुख्यतौर पर राजेश शर्मा और महेंद्र गोयनका पर ही कार्यवाही हो पाई है। इसके अलावा सेंट्रल पार्क के बिल्डर कुणाल अग्रवाल और पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का नाम चर्चा में रहा है। बाकी सारे नामों से फिलहाल कोई कनेक्शन उजागर नहीं हो सका है। इधर मामूली हैसियत से निकलकर चंद सालों में बिल्डर बनने वाले रामवीर सिंह सिकरवार और ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर की नजदीकियां जग-जाहिर हो ही चुकी हैं। बताया जा रहा है कि रामवीर सिंह किसी जमाने में सिर्फ दो हजार रुपए महीने की नौकरी किया करता था, मगर आज बड़े बिल्डरों में शुमार है। इतना ही नहीं रामवीर सिंह सिकरवार ने कभी सब्जी तो कभी दूध डेयरी का काम भी किया। थोड़ा काम जमा तो पेवर ब्लॉक की फैक्ट्री लगाई और उसके बाद पेट्रोल पम्प भी डाला।
रामवीर सिंह ने खुद के राजकुमार सिकरवार की रिश्तेदारी का हवाला देकर ब्यूरोक्रेसी में पैठ बनाई और अफसरों के लिए वन टू का फोर करने लगा। अब प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि उसकी लाटरी तब खुली, जब एक IAS अफसर की एक्सीडेंट में मौत हो गई और उनके पैसों को रामवीर ही मैनेज करता था। पैसा आने के बाद वह राजनीति में भी आ गया और नीलबाड़ रातीबड़ इलाके में अधिकारियों के पैसे से जमीनों का काम कर काले धन को सफेद का काम करने लगा। बता दें कि रामवीर ने भोपाल के ही दो बिल्डरों के साथ पार्टनरशिप में कोलार रोड पर भी एक प्रोजेक्ट शुरू किया था, पार्टनरों से विवाद के बाद उसे अलग कर दिया गया।
सबके सब ऊंचे ओहदों के मालिक, लेकिन जमीनों के दीवाने
- राजेश शर्मा : त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा न केवल कंस्ट्रक्शन के धंधे में हैं, बल्कि भोपाल में क्रशर संचालकों के संगठन का नेतृत्व भी करते हैं। उनका नाम बिल्डर और जमीन के बड़े खेल में भी शामिल है।
- दीपक भावसार : पूर्व मंत्री के खास माने जाने वाले दीपक भावसार राजधानी के बेहद प्रतिष्ठित क्लब के अन ऑफिशियल संचालक हैं। यह भी पता चला है कि दीपक के माध्यम से ही भोपाल से संचालित एक बड़े अखबार समूह के परिवार के सदस्य का नाम भी प्राइम लोकेशन की जमीन के लेन-देन में शामिल है।
- रूपम सेबानी : भोपाल के न्यू मार्केट में 400 करोड़ के होटल प्रोजेक्ट का मालिकाना हक रखने वाले रूपम सेबानी का नाम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से भी जुड़ा है।
- विनोद अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल : दोनों भाई हैं, जो क्वालिटी बिल्डर के नाम से फर्म चलाते हैं। बता दें कि प्रदीप अग्रवाल भोपाल के चर्चित प्यारे मियां कांड में भी लिप्त था। उस पर भी नाबालिक लड़कियों के यौन शोषण मामले में FIR हुई थी।
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