संजय शर्मा, BHOPAL. राजधानी के एक बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से दुष्कर्म की घटना की गुत्थी सुलझाने में एसआइटी जुटी है। तीन दिन बीत गए हैं, लेकिन अब तक मामले में जो भी तथ्य सामने आए हैं वे भी जांच को सुलझाने वाले नहीं हैं। बच्ची को हॉस्टल से ले जाने और फिर अगले दिन FIR दर्ज कराने के बीच के समय की जांच भी जारी है। पीड़ित की मां द्वारा जांच में सहयोग न करने की बात भी सामने आ रही है। एसआइटी अब मासूम से रेप की वारदात के खुलासे के लिए स्कूल-हॉस्टल के सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल बोर्ड की डिटेल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। कोर्ट में भी पीड़ित बच्ची के बयान दर्ज कराए जा चुके हैं। उधर बाल आयोग भी स्कूल और हॉस्टल में पड़ताल करने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस सबके बीच कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं। 'द सूत्र' ने एसआइटी अध्यक्ष एसीपी रजनीश कश्यप से जांच के बिंदुओं पर बात की तो कई जानकारियां सामने आईं हैं।
पेंचों में ऐसे उलझी अमानवीय वारदात
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इस वारदात को लेकर हर व्यक्ति के दिमाग में कई सवाल और संदेह हैं। इन्हीं सवालों का जवाब पुलिस की एसआइटी तलाश रही है। असल में होशंगाबाद रोड स्थित स्कूल में 8 साल की बच्ची का एडमिशन 18 अप्रैल को कराया गया था। बच्ची की मां उसी पुलिस सब इंस्पेक्टर को लेकर स्कूल गई थी जिस पर वो समझौते का दबाव बनाने का आरोप लगा रही है। बच्ची का आधार कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट जैसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं होने पर भी सब इंस्पेक्टर के कहने पर एडमिशन कर लिया गया। एडमिशन फॉर्म पर भी महिला ने बच्ची की जगह अपना नाम ही दर्ज किया था। जब सब बच्चों की छुट्टियां हो रही थीं तब बच्ची को हॉस्टल में छोड़कर मां ऑपरेशन की वजह से इंदौर लौट गईं।
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शनिवार को उसने मोबाइल पर बात की और अगले दिन यानी रविवार को हॉस्टल आ गई। यहां से वह बच्ची को अपने साथ ले गई। फिर रात को जेपी अस्पताल पहुंची जहां बच्ची की जांच हुई। महिला यहीं एसआई के मिलने और दवाब बनाने के आरोप लगा रही है। रात में मिसरोद पुलिस के पहुंचने पर महिला मेडिकल टेस्ट अगले दिन कराने का बोलकर बच्ची को अपने साथ लेकर चली गई थी। एसीपी-मिसरोद रजनीश कश्यप का कहना है की उसने पुलिस को यह लिखकर भी दिया था। लेकिन अगले दिन भी देरी की और रात 8 बजे थाने में फिर दर्ज कराई गई। पुलिस अब हॉस्टल में काम करने वाली तीन महिला कर्मचारी, वहां आने वाले स्टाफ के लोग, स्कूल संचालक और उसके परिवार के लोगों के संबंध में जानकारी जुटा रही है। बच्ची के द्वारा वारदात का दिन स्पष्ट न बताने के कारण पुलिस पूरे सप्ताह के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
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पुलिस थाने में केस दर्ज कराने वाली महिला भी कई आरोपों में घिरी है। स्कूल प्रबंधन ने उसके पुराने आपराधिक बैक ग्राउंड को आधार बनाकर स्कूल के खिलाफ साजिश का अंदेशा जताया है। स्कूल प्रबंधन का कहना है एडमिशन के समय ही महिला को छुट्टियां शुरू होने की जानकारी देकर अभी बच्ची को नहीं छोड़ने की सलाह दी गई थी। तब उसने माहौल में एडजस्ट होने का हवाला देकर बच्ची को हॉस्टल में रखवाया था। उससे भोपाल में ही रहने और किसी जॉब में न होने के बाद भी ऐसा करने के बारे में सवाल किए थे लेकिन सब इंस्पेक्टर के कहने पर एडमिशन किया गया था। महिला दो शादियां कर चुकी है और यह बच्ची उसके पहले पति से है।
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स्कूल की पड़ताल करने पहुंची बाल आयोग की टीम को स्कूल प्रबंधन ने सभी जरूरी दस्तावेज नहीं दिखाए। बच्ची के साथ होने वाली घटना के सम्बन्ध में भी स्कूल का जवाब आधा-अधूरा रहा। स्कूल प्रबंधन ने हॉस्टल अपना होने से भी इंकार किया, जबकि उस पर साफ तौर पर स्कूल के नाम का बोर्ड लगा हुआ है। स्कूल और हॉस्टल अलग-अलग कैंपस में हैं, जबकि इनका एक कैंपस में होना जरूरी है। महिला जो बताती है बच्ची केवल उतना ही बोल रही है इस वजह से पुलिस को घटना को लेकर निष्कर्ष निकालने में दिक्कत हो रही है। बच्ची जो सरनेम बता रही है वैसे दो-तीन लोग हैं। पुलिस अब इनके स्कूल कैंपस में आने-जाने की जानकारी भी जुटा रही है।