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एम्स भोपाल पर दवाओं की खरीद में गड़बड़ी के आरोपों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
जानकारी के अनुसार, उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए यह फैसला लिया है। हालांकि वे 31 अगस्त 2025 तक पद पर बने रहेंगे और कार्यकाल पूरा करेंगे।
डॉ. सिंह ने बताया कि उन्होंने 15 दिन पहले ही स्वास्थ्य मंत्रालय को इस्तीफा भेज दिया था, जिसकी औपचारिक स्वीकृति अब तक नहीं मिली है। मंत्रालय ने नए निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है और योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं।
एम्स भोपाल पर हाल ही में लगे ये आरोप
बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने एम्स भोपाल का निरीक्षण (inspection) किया था। इस दौरान कुछ गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
ये गड़बड़ी आई थी सामने:
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अमृत फार्मेसी से ₹400 की दवा ₹2100 में खरीदी गई।
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टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ियों की आशंका।
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दवा खरीद और अनुबंधों में बड़ी धनराशि की अनियमितता।
टीम ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी है और अब मंत्रालय आगे की कार्रवाई तय करेगा।
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किया गया GFR 2017 का उल्लंघन
यह मामला केंद्रीय जीएफआर 2017 (General Financial Rules 2017) के उल्लंघन का है। इसमें दवाओं की खरीदी के लिए टेंडर प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। एम्स भोपाल, जो कि देश का इकलौता एम्स है, जहां पिछले तीन से चार सालों से दवाओं के टेंडर नहीं हुए।
यह दवा सीधे अमृत फार्मेसी से दवाएं खरीदी जाती रही हैं। इस प्रक्रिया को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इनमें से आधी शिकायतें एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से समाप्त हुए समझौते से जुड़ी थीं।
शिकायतों के बाद शुरू हुई जांच
इस गड़बड़ी को लेकर शिकायतों का सिलसिला जारी था। इन शिकायतों के बाद केंद्रीय मंत्रालय की टीम एम्स भोपाल में पहुंची थी। उन्होंने एम्स के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन, और अन्य अधिकारियों से 4 घंटे तक पूछताछ की। टीम ने दस्तावेजों की जांच की और दवाओं की खरीद प्रक्रिया की पूरी समीक्षा की।
भोपाल सांसद ने किया था हस्तक्षेप
भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने इस मुद्दे को स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी में उठाया था। 15 मई को दिल्ली में हुई बैठक में, उन्होंने कमेटी के अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव से इस मामले की जांच का अनुरोध किया था। इसके बाद केंद्रीय मंत्रालय ने जांच प्रक्रिया शुरू की।
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विवादों में रहा डॉ. अजय सिंह का कार्यकाल
डॉ. अजय सिंह के कार्यकाल में एम्स भोपाल में कई विवाद सामने आए। कुछ मुद्दों ने संस्थान की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।
🔎 मुख्य विवाद:
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दवाओं की अधिक कीमत पर खरीद।
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इंटरव्यू के मानकों की अनदेखी कर जूनियर स्टाफ को प्रमोशन।
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मेडिकल सुप्रीटेंडेंट की पोस्ट लंबे समय तक खाली रहना।
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गामा नाइफ, एचएलएल टेंडर रद्द जैसे कई प्रोजेक्ट्स का समय पर पूरा न होना।
हालांकि डॉ. सिंह पर किसी भी जांच की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कुछ अज्ञात लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए।
प्रमुख उपलब्धियां भी रहीं
एम्स भोपाल की सफलता के आंकड़े:
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भर्ती मरीजों की संख्या 58.7% बढ़ी, कुल 58,762 मरीजों का इलाज हुआ।
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आयुष्मान योजना से 42.72 करोड़ रुपए के क्लेम किए गए।
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हार्ट, किडनी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू किए गए।
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आधुनिक चिकित्सा उपकरण जैसे आर्टिफिशियल हार्ट, लंग मशीन, एडवांस कैथलैब, डेक्सा स्कैन जोड़े गए।
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संस्थान में 85% स्टाफ पद भरे गए और "वन हेल्थ, वन स्टेट" जैसी योजनाएं बनाई गईं।
डॉ. अजय सिंह का कार्यकाल - एक नजर में
क्षेत्र | जानकारी |
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निदेशक पद ग्रहण | वर्ष 2022 |
इस्तीफा दिया | जुलाई 2025 |
पद पर बने रहेंगे | 31 अगस्त 2025 तक |
विवाद | दवा खरीद, टेंडर, स्टाफ प्रमोशन |
उपलब्धियां | ट्रांसप्लांट्स, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, रोगियों की संख्या में वृद्धि |
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