संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ प्रदेश के सबसे महंगे और बड़े लॉ कॉलेज में हैं और इसके कर्ताधर्ता खुद अक्षय कांति बम है जो कांग्रेस से बीजेपी में जा चुके हैं। लेकिन अब यह नाम वापसी की जगह 17 साल पुराने केस में उलझे हैं और अपनी होशियारी के चलते अपनी मुश्किलें बढ़ा बैठे हैं।
अग्रिम जमानत आवेदन की जरूरत ही नहीं थी
17 साल पुराने मामले में जिला कोर्ट ने गवाह के बयान और तर्क पर 24 अप्रैल को पाया कि मारपीट, जान से मारने की धमकी जैसी धाराओं के साथ अक्षय बम और उनके पिता कांतिलाल बम पर धारा 307 (हत्या के प्रयास) की धारा भी बनती है जिसमें 10 साल की सजा है। इसलिए यह सभी 10 मई को अगली सुनवाई में पेश हो और टीआई खजराना भी केस डायरी पेश करें। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को गिरफ्तारी को लेकर कोई वारंट ही जारी नहीं किया, दोनों को केवल कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए गए थे। जमानत खारिज करते हुए न्यायाधीश ने भी लिखा है कि इस प्रकरण में अभियुक्तगण की गिरफ्तारी की आशंका प्रकट नहीं होती है ऐसे में अग्रिम जमानत आवेदन पत्र निरस्त किया जाता है।
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पुरानी जमानत खत्म होने का डर, इसलिए गए कोर्ट
इस मामले में अक्षय और उनके पिता कांतिबम दोनों ही पुराने मामले में जमानत पर है। लेकिन इन्हें अब गिरफ्तारी का डर इसलिए सता रहा है कि क्योंकि जो पूर्व में धाराएं लगी यह सभी सात साल से कम सजा की थी और इसमें गिरफ्तारी मुद्दा नहीं था। इसलिए आसानी से जमानत थी। लेकिन अब धारा 307 बड़ी धारा है, इसमें इन्हें यह डर सता रहा है कि कोर्ट में 10 मई को पेश होने के बाद कहीं वहीं से ही पुलिस की गिरफ्तारी नहीं हो जाए। क्योंकि इसमें गिरफ्तारी का ही प्रावधान है। इसलिए पिता-पुत्र दोनों ही अग्रिम जमानत को लेकर मामले में सुरक्षित होना चाहते थे। लेकिन जानकारों का कहना है कि कोर्ट ने अभी पुलिस को गिरफ्तारी का बोला ही नहीं है, यदि कोर्ट 10 मई को आगे कोई आदेश देती है तो उस समय उन्हें आगे जमानत को लेकर प्रक्रिया का अवसर मिलेगा, लेकिन अभी जल्दबाजी में आवेदन लगा दिया है।
यह है पूरा केस
घटना दिनांक 4 अक्तूबर 2007 को समय लगभग 10:30 बजे से 4:15 बजे के बीच अभियुक्तगण अक्षय, कांति बम और अन्य द्वारा फरियादी के गांव में जाकर उसकी भूमि पर फरियादीगण के नौकरों को धमकाया गया था तथा उनके साथ मारपीट की गई थी और वहां कटी हुई रखी सोयाबीन में आग लगा दी गई थी। अभियुक्त कांतिलाल एव उसका लड़का अक्षय, सतवीर, सुरक्षागार्ड मनोज, सोनू बंदूक लेकर और अन्य 7-8 लोग भी आए थे जिनमें से कांतिलाल ने कहा था कि यही युनूस गुड्डू है इसे गोली मारकर जान से खत्म कर दो तभी रिंकू ने युनूस का हाथ पकड़कर उसे पीछे से खींच लिया था। वह और रिंकू चिल्लाए भी थे कि उन्हें बचाओ उन्हें अभियुक्तगण गोली मार देंगे। प्रकरण में फरियादी युनुस के दिनांक 19 अक्तूबर 2007 को लिए गए धारा 161 दं.प्र.सं. 1973 के कथन में भी यह लेख है कि इस पर सतवीर सिह ने गोली चलाई थी तभी मेरे साथी रिंकू वर्मा ने हाथ पकड़कर खींच लिया जिससे गोली मेरे पास से निकल गई। साक्षी कैलाश, उस्मान ने भी अपने धारा 161 द.प्र.सं. के कथन में अभियुक्तगण द्वारा फरियादी युनूस पटेल की ओर बंदूक करके गोली चलाना बताया है। इन बयानों पर कोर्ट ने 24 अप्रैल को पाया कि इसमें 323, 294, 506, 147, 149 की धाराओं के साथ 307 भी बनती है। कोर्ट ने आरोपियों को 10 मई को पेश होने के आदेश दिए हैं।