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रवि अवस्थी,भोपाल।
भोपाल। नीम-हकीम तो खतरा-ए-जान माने ही जाते हैं,लेकिन आयुर्वेद डॉक्टर भी यदि मरीजों पर एलोपैथी नुस्खे आजमा रहा है ,तो सावधान हो जाइए ! यह नुस्खा मंहगी भी पड़ सकता है। मंदसौर में तीन साल की बच्ची जिला आयुष चिकित्सा अधिकारी से एलोपैथी इलाज करवाकर मुसीबत में पड़ चुकी है। हैरानी की बात यह कि बच्ची की आवाज राज्य विधानसभा में पहुंचकर भी दब गई।
सूत्रों के मुताबिक,मंदसौर निवासी दीपक वर्मा ने बीते साल दिसंबर में अपनी 3 साल की बेटी शिवांगी के पैर का इलाज प्रभारी आयुष जिला चिकित्सा अधिकारी (डॉ कमलेश धनोतिया) से कराया,लेकिन उन्होंने इलाज में आयुर्वेद की जगह एलोपैथी की दवाईयां लिखीं। डॉ धनोतिया के नुस्खे को आजमाते ही शिवांगी की तकलीफ कम होने की जगह और बढ़ गई। उसके पैर में इंफेक्शन फैल गया। पैर में जगह-जगह लाल चकते उभर आए।
जांच में दोषी, नहीं हुआ कोई एक्शन
सूत्रों के मुताबिक, दीपक की शिकायत पर विभागीयस्तर पर इसकी जांच हुई। जांच में उज्जैन संभागीय आयुष अधिकारी डॉ.ज्योति पांचाल ने डॉ.कमलेश धनोतिया को दोषी पाया। उनके तर्कों को खारिज करते हुए जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चिकित्सक का कृत्य तय चिकित्सा सेवा के मापदंडों के विपरीत है। रिपोर्ट में पूर्व की अन्य शिकायतों को लेकर प्रभारी जिला आयुष अधिकारी की प्रशासनिक दक्षता पर सवाल उठाए गए।
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पेंशन बजट आवंटन में भी बड़ी धांधली
मंदसौर जिला आयुष अस्पताल में पेंशन बजट आवंटन में भी बड़े पैमाने पर धांधली उजागर हुई। इसे लेकर भी विभाग की ओर से प्रभारी जिला आयुष अधिकारी को शोकॉज नोटिस दिया गया।
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विधानसभा तक पहुंची आवाज बैरंग लौटी
मंदसौर जिला आयुष अस्पताल में गड़बड़ी का ये मामले राज्य विधानसभा तक भी पहुंचे। क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक विपिन जैन ने पिछले मानसून सत्र में एक लिखित सवाल के जरिए सरकार का ध्यान इन गड़बड़ियों की ओर आकर्षित किया।
विधायक ने लिखा- वह स्वयं मंदसौर प्रभारी जिला आयुष अधिकारी की कार्यशैली के खिलाफ जिम्मेदार अफसरों को पत्र लिख चुके हैं। यहां तक कि सीएम हेल्प लाइन में भी चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ कई शिकायतें हुईं,लेकिन विभाग दोषी चिकित्सक पर मेहरबान बना हुआ है।
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सरकार राजी,विधायक ने कदम वापस खींचे
सूत्रों के मुताबिक,प्रश्न की गंभीरता को को देखते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इसे पूछे जाने की मंजूरी दी। तय प्रक्रिया के तहत जवाब के लिए प्रश्न (क्रमांक 2410) आयुष विभाग को भेजा गया। यह निर्देश भी दिए गए कि जवाब हर हालत में 18 जुलाई तक विधानसभा सचिवालय को मिल जाए,ताकि इसे 4 अगस्त की प्रश्नोत्तरी के तारांकित सवालों में शामिल किया जा सके।
बताया जाता है,कि प्रश्न का उत्तर भी आयुष विभाग ने तैयार किया,लेकिन जब इसे जमा करने की बारी आई तो विधानसभा पोर्टल से सवाल ही गायब मिला। अब,सवाल नहीं तो जवाब कैसा ? विधानसभा सूत्रों ने बताया कि विधायक जैन के लिखित आग्रह पर ही सवाल को ऐन मौके पर पोर्टल से हटाना पड़ा।
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मानसून सत्र में सवाल वापसी का नया रिकॉर्ड
संसदीय प्रक्रिया में विधायक को सदन में सवाल लगाने व इसे वापस लेने का अधिकार प्राप्त है। बताया जाता है कि पूर्व के सत्रों में औसतन 10-12 विधायक ही अलग-अलग कारणों से अपने सवाल वापस लेते रहे हैं,लेकिन पिछले मानसून सत्र में यह रिकॉर्ड टूटा।
सूत्रों का दावा है कि मानसून सत्र में करीब तीन दर्जन से अधिक विधायकों ने अपने सवाल वापस लिए या इनमें सुधार कराया। मंदसौर विधायक ने भी इसी अधिकार का उपयोग किया,लेकिन क्यों? इस बारे में उनका पक्ष जानने फोन कॉल्स व लिखित संदेश के जरिए कई बार प्रयास किया गया,लेकिन वह जवाब देने से बचते रहे।