अमरवाड़ा उपचुनाव में 'तीसरी ताकत' से हारी कांग्रेस, गोंगपा को हल्के में न लेते तो बचा रहता गढ़!

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा उपचुनाव में सबसे अहम रोल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी गोंगपा का रहा। कांग्रेस ने महाकौशल और विंध्य में तीसरी ताकत कही जाने वाली गोंगपा को हल्के में लिया। नतीजा, मुंह की खानी पड़ी....

Advertisment
author-image
Ravi Kant Dixit
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. आखिरकार 16 साल बाद कांग्रेस ने छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट गंवा दी। बीते 72 वर्षों में यह पांचवीं बार है, जब कमलनाथ के गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस को निराशा हाथ लगी है। अब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए कमलेश शाह ने टक्कर के मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह को मामूली अंतर से हरा दिया। मुकाबला इतना कड़ा था कि बीजेपी प्रत्याशी कमलेश अपने गृह ग्राम बसूरिया के बूथ से भी हार गए, पर अंत भला तो सब भला। आखिरी राउंड में उन्होंने सीट जीत ली। 

महाकौशल और विंध्य में तीसरी ताकत है गोंगपा

इस पूरे चुनाव में अहम रोल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी गोंगपा का रहा। कांग्रेस ने महाकौशल और विंध्य में तीसरी ताकत कही जाने वाली गोंगपा को हल्के में लिया। नतीजा, मुंह की खानी पड़ी। दरअसल, आठ महीने पहले ही हुए विधानसभा चुनाव में गोंगपा ने 12 से ज्यादा सीटों पर दोनों पार्टियों को झटका दिया था। यानी यहां गोंगपा प्रत्याशियों को मिले वोटों ने ही कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ा था। फिर लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की हार में भी गोंगपा प्रत्याशी की अहम भूमिका रही। छिंदवाड़ा की हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने गोंगपा से गठबंधन की कोशिश की, लेकिन यह कामयाब नहीं हुई। इस तरह कांग्रेस जीतते-जीतते भी अमरवाड़ा सीट गंवा बैठी। 

ये खबर भी पढ़े...

अमरवाड़ा उपचुनाव : कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी ने लहराया जीत का परचम , बीजेपी के खाते में जुड़ी गई और एक सीट

कांग्रेस की हार के तीन अहम कारण...

  1. 1. प्रदेश में सियासी तौर पर फिलहाल अमरवाड़ा में बीजेपी की जीत से ज्यादा चर्चा गोंगपा प्रत्याशी देव रावेन भलावी के प्रदर्शन की है। वे तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 28 हजार 723 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को करीब 3 हजार 27 वोट से हार का सामना करना पड़ा। 

  2. 2. अमरवाड़ा में कांग्रेस की हार में नोटा का भी अहम रोल रहा। शुरुआत में लग रहा था कि कांग्रेस सीट निकाल लेगी, पर आखिरी दौर में बाजी पलट गई। नोटा को हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले। मतलब कांग्रेस प्रत्याशी 3 हजार 27 वोटों से हारे और नोटा के खाते में 3 हजार 403 वोट गए। 

  3. 3. गौरतलब है कि देव रावेन को 2023 के विधानसभा चुनाव में अमरवाड़ा सीट पर 18 हजार 231 वोट मिले थे। वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में अमरवाड़ा में गोंगपा प्रत्याशी को 60 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। कुल मिलाकर यहां कांग्रेस को गोंगपा को हल्के में लेना भारी पड़ गया। 

फ्लैश बैक: लोकसभा चुनाव से समझिए गोंगपा का असर

लोकसभा चुनाव के रण में छिंदवाड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे नकुलनाथ की हार में गोंगपा प्रत्याशी देव रावेन का अहम रोल माना जाता है। वे रॉबिनहुड बनकर उभरे थे। हालांकि, इस चुनाव में सीधा मुकाबला तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही था, लेकिन जब आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है तो गोंगपा की भूमिका समझ आती है। छिंदवाड़ा से बीजेपी सांसद बने विवेक बंटी साहू को 6 लाख 44 हजार 738 वोट मिले थे। वहीं, नकुलनाथ को 5 लाख 31 हजार 120 वोट मिले। यानी नकुल की 1 लाख 13 हजार 618 वोटों से हार हुई। वहीं, गोंगपा प्रत्याशी देव रावेन भलावी को 55 हजार 988 वोट मिले थे। यानी नकुल की हार में देव रावेन ने आधा ​काम किया था। बाकी काम यहां बसपा को मिले 11 हजार 823 वोट, राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी को मिले 9 हजार 638 वोट और बाकी चार निर्दलीयों को मिले 26 हजार 590 वोटों ने कर दिया था। सामूहिक तौर पर नकुल की हार में तो इन्हें भी 'तीसरी ताकत' कहा जा सकता है।

खास यह है कि गोंगपा ने 2023 में सूबे की 50 से ज्यादा सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। आइए जानते हैं महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में तीसरी ताकत के रूप में उभरी गोंगपा की पूरी कहानी...

वोटर्स के मन में जगह नहीं बना पाई कांग्रेस

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि गोंगपा को पसंद करने वाले मूल वोटर भी कांग्रेस को पसंद करते रहे हैं। अब अमरवाड़ा और छिंदवाड़ा की हार में सबसे बड़ी वजह कांग्रेस की निष्क्रियता और कई नेताओं का तटस्थ ना होना सामने आता है। इसके उलट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखती है। गोंगपा ने अमरवाड़ा में सक्रियता दिखाते हुए बीजेपी की मुश्किल आसान कर दी। वहीं, कांग्रेस के खाटी वोटरों के मन में जगह बनाकर इस उम्मीद से वोट काटे कि वह अमरवाड़ा में जीत रही है।

2023 में दिखाया था दम 

गोंगपा ने विधानसभा चुनाव 2023 में धौहनी, मानपुर, बांधवगढ़, ब्यौहारी, शहपुरा और जबेरा में निर्दलियों के साथ मिलकर खासे वोट खींचे थे, इसके कारण कांग्रेस को बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं पुष्पराजगढ़, अमरवाड़ा और लखनादौन सीट पर गोंगपा ने बीजेपी का खेल बिगाड़ा था, इससे कारण कांग्रेस को फायदा हुआ था। 

गोंगपा की ताकत भी समझ लीजिए 

जब दिग्विजय सिंह सत्ता से उतरे थे, तब गोंगपा का छिंदवाड़ा समेत कई आदिवासी बाहुल्य जिलों में वर्चस्व था। अमरवाड़ा से मनमोहन शाह बट्टी, परसवाड़ा से दरबू सिंह उइके और घंसौर (अब लखनादौन) से राम गुलाम 2003 में विधायक चुने गए थे। 

पिता ने नींव रखी, बेटी बीजेपी में 

गोंगपा की नींव दादा हीरा सिंह मरकाम ने रखी थी। हालांकि, पोती मोनिका बीजेपी का दामन थाम चुकी हैं। उन्हें अमरवाड़ा विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, हीरा सिंह के पुत्र तुलेश्वर मरकाम छत्तीसगढ़ में पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए पाली दानाखार से विधायक हैं।

कांग्रेस गोंगपा का प्रदर्शन अमरवाड़ा उपचुनाव