एमपी हाईकोर्ट में अंबेडकर मूर्ति विवाद, वकीलों और भीम आर्मी के बीच जमकर मारपीट

ग्वालियर हाईकोर्ट में अंबेडकर मूर्ति लगाने को लेकर वकीलों और भीम आर्मी में हिंसक टकराव देखने को मिला। वकीलों ने भीम आर्मी कार्यकर्ता की जमकर पिटाई की। इस मामले में चीफ जस्टिस ने मांगी रिपोर्ट।

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Rohit Sahu
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ग्वालियर हाईकोर्ट में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने के मामले में वकीलों के 2 गुटों के बाद अब भीम आर्मी की एंट्रो हो गई है। शनिवार को सोशल मीडिया पर वकीलों और भीम आर्मी के पदाधिकारियों के बीच तीखी टिप्पणियों और देख लेने की धमकियों का सिलसिला चला। इसके बाद शाम होते-होते दोनों गुट कोर्ट परिसर के बाहर जमा हो गए और फिर मारपीट के साथ जबरदस्त हंगामा हुआ।

वकीलों ने कहा था कोर्ट आकर दिखाएं

शनिवार को सोशल मीडिया पर चली बयानबाजी में वकीलों ने चेतावनी दी थी कि ये कोई गली मोहल्ला नहीं है कोर्ट है यहां के दिखाए भीम आर्मी। इसके बाद भीम आर्मी नेता रूपेश केन अपनी टीम के साथ हाईकोर्ट परिसर के बाहर पहुंचे। वकीलों ने उनकी उपस्थिति को लेकर पहले ही नाराजगी जाहिर की थी। जैसे ही शाम पांच बजे कोर्ट से वकील निकले, दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और देखते ही देखते माहौल हिंसक हो गया।

कोर्ट परिसर के बाहर पुलिस के सामने झड़प और मारपीट

तनाव को देखते हुए पुलिस बल पहले से ही तैनात था, लेकिन फिर भी पुलिस झड़प को नहीं रोक सकी। वकीलों ने पुलिस की मौजूदगी में ही भीम आर्मी से जुड़े नेता रूपेश केन को घेरकर मारपीट शुरू कर दी। दरअसल जय भीम के नारों के साथ जैसे ही भीम आर्मी ने कदम बढ़ाया, वकीलों की भीड़ ने जवाब में हमला कर दिया।

विवाद बढ़ता देख थाना प्रभारी इला टंडन, दीप्ती तोमर, अजय पवार सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात को नियंत्रण में लिया। भीम आर्मी कार्यकर्ताओं को हटाकर सड़क खाली करवाई गई। झड़प के दौरान रूपेश केन जमीन पर गिर गए, जिन्हें पुलिस ने परीक्षण के लिए अस्पताल पहुंचाया।

भीम आर्मी ने पल्ला झाड़ा, कहा- निष्कासित हैं रूपेश

इस पूरे घटनाक्रम के बाद भीम आर्मी ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि रूपेश केन को 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही छह साल के लिए निष्कासित किया जा चुका है। उनका संगठन से कोई नाता नहीं है।

दोनों पक्षों ने लगाए आरोप, पुलिस देखेगी फुटेज

एसएसपी धर्मवीर सिंह के मुताबिक, वकील गौरव व्यास और रूपेश केन दोनों ने विवि थाने में आवेदन दिए हैं। दोनों ने एक-दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया है। पुलिस अब घटनास्थल के वीडियो फुटेज के आधार पर जांच करेगी।

बार एसोसिएशन का विरोध और मूर्ति लगाने की कोशिश

दरअसल, डॉ. अंबेडकर की मूर्ति स्थापना को लेकर बार एसोसिएशन ने पहले ही विरोध जताया था। उनका कहना है कि हाईकोर्ट की सात सदस्यीय बिल्डिंग कमेटी ने मूर्ति लगाने की अनुमति नहीं दी है। बावजूद इसके अंबेडकर अनुयायी वकील मूर्ति लेकर कोर्ट पहुंच गए और क्रेन से स्थापना की कोशिश की गई, जिस पर बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया। इसके बाद से यह विवाद चल रहा है। 

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चीफ जस्टिस ने मांगी रिपोर्ट, बार पदाधिकारी जाएंगे जबलपुर

मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने ग्वालियर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को 19 मई को चर्चा के लिए जबलपुर बुलाया है। बार अध्यक्ष पवन पाठक 18 मई को रवाना होंगे। चीफ जस्टिस ने साफ कहा है कि बिना सामूहिक सहमति के प्रतिमा नहीं लगाई जाएगी।

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