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Photograph: (the sootr)
सरकारी विभाग के अधिकारी अपने विभाग की संपत्ति और जमीनों की देखरेख और सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका एक बड़ा उदाहरण सामने आया है। राजधानी भोपाल के पशुपालन विभाग की 99 एकड़ जमीन को बीते 35 वर्षों में भूमाफिया ने निशाना बनाया। विभाग के अधिकारियों ने अपनी करोड़ों रुपए की जमीन को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। इन 35 सालों में विभाग में 21 संचालक पदस्थ रहे, लेकिन किसी ने भी विभाग की जमीन की सुध नहीं ली।
अब राजधानी के कुख्यात मछली परिवार के कारनामे उजागर हुए तो यह बात भी सामने आई कि पशुपालन विभाग की 99 एकड़ जमीन की भी लूट की गई। विभाग की कई एकड़ जमीन पर अब आलिशान इमारतें और अन्य पक्के निर्माण किए जा चुके हैं।
7 एकड़ पर मिला अवैध कब्जा
पशुपालन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला काफी पुराना है। हाल ही में तीन तहसीलदारों, तीन आरआई और 11 पटवारियों की टीम ने सीमांकन किया, तो यह खुलासा हुआ कि 99 एकड़ में से लगभग 7 एकड़ पर अवैध निर्माण हो चुका है। इन निर्माणों में मकान, दुकानें, पेट्रोल पंप, स्कूल, रिसोर्ट और सड़कें तक शामिल हैं।
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स्थायी अतिक्रमण का खेल
विभाग द्वारा दी गई भूमि पर नगर निगम, बिल्डर और कालोनाइजर ने कब्जे किए हैं। वहां तरह-तरह के व्यावसायिक और आवासीय निर्माण हो चुके हैं। सरकारी जमीन की यह लूट अधिकारियों की नाक के नीचे हुई और किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।
अधिकारियों की नाक के नीचे हुए इस अतिक्रमण के मामले कोऐसे समझें35 वर्षों में 21 संचालक बदले: पशुपालन विभाग की 99 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और लूट की घटना 35 वर्षों के दौरान विभाग के 21 संचालकों के कार्यकाल में हुई। जमीन पर अवैध कब्जे: 99 एकड़ में से 7 एकड़ पर 80 से अधिक स्थायी अतिक्रमण पाए गए, जिसमें मकान, दुकान, पेट्रोल पंप, स्कूल, रिसोर्ट और सड़कें शामिल हैं। अधिकारियों की लापरवाही: विभाग के अधिकारियों और कलेक्टरों की नाक के नीचे यह लूट होती रही, और तत्कालीन तहसीलदारों ने इस भूमि की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया। सीमांकन के दौरान खुलासा: पशुपालन विभाग के भूमि का सीमांकन करने पर यह खुलासा हुआ कि अतिक्रमणकारियों ने विभाग की भूमि पर अवैध निर्माण कर लिया था। कार्रवाई की शुरुआत: विभाग ने अब अवैध कब्जों को हटाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है, और अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं। |
35 साल में क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
संचालकों की भूमिका: पशुपालन विभाग में विभिन्न संचालकों के कार्यकाल में यह ज़मीन बिना किसी रोक-टोक के लूटी जाती रही। सबसे लंबा कार्यकाल डॉ. आरके रोकड़े का रहा, जो 2009 से 2021 तक विभाग में संचालक रहे। उनके समय में भोपाल बायपास के निर्माण के दौरान यह जमीन भूमाफियाओं के निशाने पर आ गई। इस दौरान नगर निगम ने 50 दुकानें बना कर बेच डालीं, और विभाग को इस बारे में जानकारी भी नहीं दी।
अतिक्रमणकारियों का बचाव: विभाग द्वारा संपत्ति की सीमांकन की कार्रवाई करने पर यह सामने आया कि कई तहसीलदारों और प्रशासनिक अधिकारियों ने अवैध कब्जे के मामले पर चुप्पी साध रखी थी।
12 साल में गोविंदपुरा तहसील में पदस्थ रहे तहसीलदारों ने नामांतरण करते समय ध्यान नहीं दिया कि यह भूमि किसके नाम है और किस प्रयोजन के लिए छोड़ी गई है। नतीजतन लोग सरकारी जमीन पर पक्के निर्माण कर बैठे।
पशुपालन विभाग की जमीन का सीमांकन
सीमांकन में क्या पाया गया?
27 अगस्त को किए गए सीमांकन के दौरान यह तथ्य सामने आए कि 99 एकड़ में से 11 एकड़ पर विभाग की पोल्ट्री फार्म स्थित है, जबकि बाकी के हिस्से पर 80 से अधिक स्थायी अतिक्रमण पाए गए। इन अतिक्रमणों में मकान, दुकानें, पेट्रोल पंप, स्कूल, रिसोर्ट और सड़कें शामिल हैं। यही नहीं, नगर निगम और नेशनल हाइवे अथारिटी द्वारा भी इस भूमि पर निर्माण कराया गया है।
अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया:
विभाग अब इस ज़मीन से अवैध कब्जे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। पशुपालन विभाग के संचालक, डॉ. पीएस पटेल ने कहा है कि विभाग की 99 एकड़ भूमि का सीमांकन पूरा कर लिया गया है, और अब छह एकड़ पर अवैध कब्जे मिले हैं, जिन्हें हटाया जाएगा। प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
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मछली परिवार पर कार्रवाई में खुला था मामला
पशुपालन विभाग की भोपाल के अनंतपुरा कोकता बायपास क्षेत्र में स्थित 99 एकड़ जमीन पर कब्जे का यह पूरा मामला राजधानी भोपाल में पकड़े गए ड्रग माफिया शाहवर मछली और यासीन मछली से जुड़ा है। मछली परिवार के इन कुख्यात ड्रग तस्करों की गिरफ्तारी के बाद यह सामने आया था कि इनके द्वारा भोपाल में कई जगह सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे किए गए हैं।
प्रशासन ने इसके लिए 12 पटवारियों की टीम बनाकर इनके द्वारा कब्जाई जमीनों की जांच की। इसी दौरान यह बात भी सामने आई कि पशुपालन विभाग एमपी की भी 7 एकड़ से अधिक जमीन पर इनके द्वारा कब्जा कर पक्के निर्माण और कॉलोनियां काटी गई हैं। इस तथ्य के सामने आने के बाद प्रशासन ने पशुपालन विभाग की 99 एकड़ जमीन की जांच की, जिसमें जमीन की बड़ी लूट उजागर हुई।
अधिकारियों की जिम्मेदारी और उनका बयान
संचालक का बयान:
सेवानिवृत्त संचालक, डॉ. आरके रोकड़े ने बताया कि उन्होंने भूमि के कब्जे के बारे में रिपोर्ट ली थी, लेकिन अतिक्रमण की कोई जानकारी नहीं मिली थी। उन्होंने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार किया और कहा कि यह घटना प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है।
कलेक्टर का बयान:
भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि गोविंदपुरा एसडीएम और तहसीलदार ने जमीन के सीमांकन की रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें अतिक्रमण पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
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