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Photograph: (thesootr)
MP News: इंदौर हाईकोर्ट की बेंच ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उसने RSS और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अशोभनीय कार्टून सोशल मीडिया पर शेयर किया। इस कार्टून ने धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत किया।
क्या है अभद्र कार्टून बनाने का पूरा मामला?
आरोपी हेमंत मालवीय के खिलाफ थाना लसूड़िया, जिला इंदौर में गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं में BNS की धारा 196, 299, 302, 352, 353(3) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए शामिल हैं।
हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उसने फेसबुक पर एक विकृत कार्टून (cartoon) पोस्ट किया। इस कार्टून में RSS की पारंपरिक वेशभूषा में एक व्यक्ति प्रधानमंत्री के सामने अश्लील मुद्रा में दिखाया गया था। प्रधानमंत्री को डॉक्टर के रूप में दर्शाया गया था, जो स्टेथोस्कोप और इंजेक्शन लेकर RSS की वेशभूषा वाले व्यक्ति पर प्रयोग कर रहे थे।
साधारण व्यंग्य नहीं सोची समझी साजिश - HC
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने कहा कि यह कोई साधारण व्यंग्य नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया कृत्य है। इसका उद्देश्य समाज में वैमनस्य फैलाना और धार्मिक भावनाओं को आहत करना है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह कोई जायज उपयोग नहीं बल्कि घोर दुरुपयोग है।
कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी ने केवल कार्टून साझा नहीं किया, बल्कि उस पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से सराहा। उसने अन्य लोगों को इसे साझा करने और उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। इससे यह संकेत मिलता है कि आरोपी न केवल इस अपराध को स्वीकार करता है, बल्कि भविष्य में भी ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की प्रवृत्ति रखता है।
भगवान शिव पर टिप्पणी, कोर्ट सख्त
कोर्ट ने यह उल्लेख किया कि कार्टून में भगवान शिव का संदर्भ जोड़कर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की गई। "हे शिव के अवतार, पिछवाड़ा हाजिर है..." जैसे वाक्य का इस्तेमाल किया गया। न्यायालय ने कहा कि ऐसी भाषा और चित्रण सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाते हैं। यह धर्म का अपमान भी करते हैं।
अदालत में नहीं चली कार्टूनिस्ट की दलीलें
आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि यह सिर्फ एक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति थी और टिप्पणियां किसी और की थीं, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि खुद पोस्ट को साझा करने और उस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने से आरोपी की मंशा साफ नजर आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के मामलों का दिया हवाला
हेमंत मालवीय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के इमरान प्रतापगढ़ी केस और केरल हाईकोर्ट के एक पुराने निर्णय का हवाला दिया गया। कोर्ट ने कहा कि दोनों मामलों के तथ्य वर्तमान प्रकरण से अलग हैं। वहां न तो कोई धार्मिक संकेत था और न ही अभद्र चित्रण।
हेमंत मालवीय की होगी गिरफ्तारी
जस्टिस अभ्यंकर ने कहा कि हेमंत मालवीय की गिरफ्तारी जरूरी है, ताकि पुलिस उससे गहन पूछताछ कर सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत गिरफ्तारी पूरी तरह उचित है। आरोपी को धारा 41-ए के तहत नोटिस या अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
जमानत याचिका हुई खारिज
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने टिप्पणी की कि यह समाज में घृणा फैलाने वाला गंभीर अपराध है, जिसमें आरोपी को किसी भी प्रकार की राहत देना न्यायहित में नहीं होगा।
यह था विवादित कार्टून में
कार्टून में RSS को उसकी वर्दी (खाकी हाफ पैंट, सफेद शर्ट) में एक मानव रूप में दिखाया गया, जो झुककर पीएम मोदी के सामने खड़ा है। मोदी को स्टेथोस्कोप और इंजेक्शन के साथ दिखाया गया, जिसे वो RSS के पीछे लगा रहे हैं।
कोर्ट ने साथ ही इस बात पर आपत्ति जताई कि इस कार्टून के साथ भगवान शिव पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी जोड़कर पोस्ट को और भी अपमानजनक बनाया गया। कोर्ट ने कहा, यह कृत्य जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण है, जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने और समाज में शांति भंग करने के उद्देश्य से किया गया प्रतीत होता है।
फरियादी भी RSS के सदस्य
फरियादी एडवोकेट विनय जोशी की ओर से गोविंद राय पुरोहित और सरकारी वकील अमित रावल ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। फरियादी भी RSS के सदस्य हैं। आवेदक आपराधिक प्रवृत्ति का है और पूर्व में इस तरह की पोस्ट करता रहा है। प्रकरण अभी प्रारंभिक स्तर पर है और अनुसंधान शेष है।
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