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BHOPAL. भोपाल के इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने फर्जी सेल डीड के आधार पर कॉलेज चलाने के आरोप में विधायक और अन्य अधिकारियों के खिलाफ तीन दिन में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। हालांकि, कॉलेज का संचालन जारी रहेगा। आरिफ मसूद भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं।
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इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज भोपाल का है मामला
भोपाल के इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की जांच के बाद शिक्षा विभाग के द्वारा 9 जून 2025 को आदेश जारी करते हुए उसकी मान्यता को रद्द कर दिया था जिसके बाद विधायक ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने ही भ्रष्टाचार की ऐसी पोल खुली की कॉलेज के छात्रों को तो राहत मिल गई। लेकिन हाईकोर्ट ने आरिफ मसूद सहित उसे संरक्षण देने वाले सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर पर भी भ्रष्टाचार की धाराओं में एफआईआर दर्ज करने का आदेश भोपाल कमिश्नर को दिया हैं।
आरिफ मसूद को मिला था मौका
जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिविजनल बेंच में इस मामले की सुनवाई में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। आरिफ मसूद ने अमन एजुकेशन सोसाइटी के अंतर्गत चल रहे प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता के लिए पहली सेल डीड जो जाम की थी वह 2 अगस्त 1999 की थी।
कोर्ट ने यहां पाया कि यह सेल डीड फैब्रिकेटेड यानी फर्जी थी क्योंकि खसरा नंबर 26 जिसका क्षेत्रफल 2.83 एकड़ है। उसमें खरीदार अमन एजुकेशन सोसाइटी के सेक्रेटरी आरिफ मसूद को दिखाया गया था जबकि इसकी असली सेल लीड में खरीदार आरिफ मसूद की पत्नी रुबीना मसूद थी। इसके बाद भी आश्चर्यजनक तरीके से फर्जीवाड़ा करने के बाद भी कार्यवाही करने की जगह सरकार ने उसे दोबारा से सेल डीड जमा करने का मौका दिया।
आरिफ मसूद ने कॉलेज की मान्यता के लिए दोबारा एक दस्तावेज जमा किया जिसमें क्या दिखाया गया था कि 7 नवंबर 1999 को विलेज कोहेफिजा में आरिफ मसूद ने इस खसरा नंबर 26 को राबिया सुल्तान से खरीदा था। 2004 में दोबारा जमा की गई इस सेल डीड की लगभग 20 सालों तक किसी ने जांच ही नहीं की और इसी दस्तावेज के सहारे आरिफ मसूद का कॉलेज बे रोकटोक चलता रहा।
सब रजिस्टार की जांच में सामने आया सच
साल 2004 में परी बाजार भोपाल के सब रजिस्टार की एक जांच में यह सामने आया की आरिफ मसूद के द्वारा मान्यता के लिए जमा की गई सेल डीड राजस्व के रिकॉर्ड में नहीं है, यानी आरिफ मसूद ने दोबारा जो सेल डीड जमा की थी वह भी फर्जी थी।
इसके बाद आरिफ मसूद के कॉलेज को 26 जून 2025 को कॉलेज से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए नोटिस दिया गया और 9 जून 2025 को प्रियदर्शनी कॉलेज पर कार्यवाही करते हुए उसकी मान्यता समाप्त कर दी गई।
5 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी
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20 साल तक चला भ्रष्टाचार का खेल
जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में हैरत जताते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया ऐसा लग रहा है कि इस मामले में भ्रष्टाचार जड़ों तक फैला हुआ है। पहली बार फर्जी दस्तावेज जमा करने पर जिस व्यक्ति पर कार्यवाही की जानी चाहिए थी उसे सरकार ने दोबारा दस्तावेज जमा करने का मौका दिया। इसके बाद दोबारा जमा की गई सेल डीड को 20 सालों तक किसी ने जांचा तक नहीं। कोर्ट ने इस मामले में तत्कालीन सरकार सहित जिम्मेदार अधिकारियों को भी आड़े हाथों लिया।
3 दिन में दर्ज करो FIR
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह लिखा की प्रथमदृष्टया ही यह धोखाधड़ी का मामला है इसलिए भोपाल कमिश्नर कोई आदेश दिया जाता है कि तीन दिनों के भीतर आरिफ मसूद के खिलाफ धारा 420,467,468 IPC के तहत मामला दर्ज किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इतने दिनों तक लापरवाही बरतने और आरिफ मसूद का साथ देने वाले सभी जिम्मेदार अधिकारियों को भी इस मामले में शामिल किया जाए और उन पर भी आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
कोर्ट ने कहा ऐसा लग रहा है कि आरोपी आरिफ मसूद के राजनीतिक संबंध बहुत मजबूत है इसलिए इस FIR के बाद जांच की निगरानी के लिए एक SIT भी गठित की गई।
कोर्ट ने डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस कैलाश मकवाना को निर्देश दिया है कि एडीजी कम्युनिकेशन भोपाल संजीव शमी की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की जाए और इस SIT के अन्य दो सदस्य भी संजीव शमी ही चुनेंगे। SIT को अपनी रिपोर्ट 3 महीने में कोर्ट में पेश करनी होगी और अब इस मामले की सुनवाई एक महीने बाद के लिए तय की गई है
कॉलेज के छात्रों को मिली राहत
कोर्ट ने माना की इस मामले में उन छात्रों की कोई गलती नहीं है जो इस कॉलेज में पढ़ रहे हैं। इसलिए कोर्ट ने कॉलेज की मान्यता रद्द करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि इस कॉलेज में पढ़ाई जारी रहेगी। हालांकि कोर्ट के अगले आदेश तक कोई भी नए एडमिशन नहीं किया जा सकेंगे।
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