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गुजरात पुलिस ने आखिरकार 10 साल से फरार चल रहे ताम्रध्वज उर्फ तामराज को गिरफ्तार कर लिया है। ताम्रध्वज, बलात्कार के दोषी आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं का कट्टर अनुयायी रहा है। उस पर देशभर में गवाहों पर जानलेवा हमला करने, तेजाब फेंकने और हत्या करने जैसे गंभीर आरोप हैं। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव का रहने वाला यह अपराधी 6 राज्यों में वांटेड था और हरियाणा सरकार ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।
गिरफ्तारी कहां से और कैसे हुई?
गुजरात पुलिस की सूरत क्राइम ब्रांच ने गुप्त सूचना के आधार पर उत्तर प्रदेश के नोएडा से ताम्रध्वज को गिरफ्तार किया। सूरत पुलिस कमिश्नर अनूप सिंह गहलोत के अनुसार, गिरफ्तारी से बचने के लिए तामराज ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था और 'स्टीफन' नाम से नोएडा में मिशनरी की तरह रह रहा था। वह लंबे समय से फरार था और बार-बार अपना ठिकाना बदल रहा था।
आसाराम के लिए खतरा बन चुके लोगों को बनाया निशाना
जानकारी के अनुसार, ताम्रध्वज सिर्फ एक साधारण अनुयायी नहीं था, बल्कि वह आसाराम और नारायण साईं के आपराधिक नेटवर्क का अहम हिस्सा था। पुलिस जांच में यह सामने आया है कि उसने उन लोगों को निशाना बनाया, जिन्होंने आसाराम के खिलाफ बयान दिए थे। कई गवाहों पर हमले करवाने और उनकी हत्या करने के आरोप भी उस पर लगे हैं।
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जेल में आसाराम से मिलने की कोशिशें
ताम्रध्वज ने कई बार जेल में आसाराम और नारायण साईं से मिलने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा। वह इस कदर कट्टर समर्थक था कि उसके लिए आसाराम और नारायण साईं की छवि को बचाना ही मुख्य मकसद बन गया था। पुलिस के अनुसार, वह एक बड़ा अपराधी नेटवर्क चला रहा था, जो गवाहों पर दबाव बनाने और उन्हें नुकसान पहुंचाने का काम करता था।
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छत्तीसगढ़ से हरियाणा तक अपराधों का नेटवर्क
ताम्रध्वज छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के बड़भूम गांव का रहने वाला है। लेकिन उसके अपराधों का दायरा केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं था। वह हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों में वांटेड था। हरियाणा सरकार ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी रखा था।
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आसाराम के नेटवर्क पर कसेगा शिकंजा
गुजरात पुलिस की इस गिरफ्तारी से आसाराम और नारायण साईं के अपराध सिंडिकेट पर और शिकंजा कस सकता है। ताम्रध्वज से पूछताछ के बाद इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों और गुप्त फंडिंग से जुड़े अहम सुराग मिलने की संभावना है। पुलिस अब यह जांच भी करेगी कि आखिर इतने सालों तक वह फरार कैसे रहा और किस-किस ने उसकी मदद की।
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