वक्फ कृषि भूमि की नीलामी है वैध - HC, जनहित याचिका को बताया निराधार

डिविजनल बेंच ने अपने फैसले में दोनों ही आपत्तियों को पूरी तरह निराधार माना। अदालत ने कहा कि डॉ. फरजाना गजल एक योग्य, वरिष्ठ और मुस्लिम महिला अधिकारी हैं, जो उप सचिव स्तर से भी ऊपर की रैंकिंग में आती हैं।

author-image
Neel Tiwari
New Update
Auction Waqf agricultural land
Listen to this article
00:00 / 00:00

MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में वक्फ बोर्ड द्वारा कृषि भूमि की लीज पर की जा रही नीलामी को पूर्णत वैध ठहराया है। इस मामले में दायर जनहित याचिका क्रमांक 18916/2025 को कोर्ट ने न केवल अस्वीकार्य ठहराया, बल्कि इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी याचिकाएं अदालत का कीमती समय बर्बाद करती हैं। इस याचिका पर निर्णय जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच द्वारा 22 मई 2025 को सुनाया गया।

वक्फ संपत्ति की लीज और नीलामी के खिलाफ थी याचिका

यह जनहित याचिका अमीर आजाद अंसारी और अन्य व्यक्तियों द्वारा दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने दो मुख्य आपत्तियां उठाईं। पहली आपत्ति यह थी कि वक्फ बोर्ड की वर्तमान मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. फरज़ाना ग़ज़ल पूर्णकालिक सीईओ नहीं हैं, और उनका इस पद पर कार्य करना वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 23 के खिलाफ है। दूसरी आपत्ति यह थी कि एक पुराने, वर्ष 1994 के सरकारी परिपत्र के अनुसार वक्फ संपत्तियों की लीज या नीलामी केवल मुतवल्ली (संपत्ति के ट्रस्टी) द्वारा ही की जा सकती है, न कि वक्फ बोर्ड द्वारा। याचिकाकर्ताओं ने इन्हीं आधारों पर नीलामी को अवैध ठहराने की मांग की थी।

ये खबर भी पढ़िए... मध्य प्रदेश में प्रोफेसर के जैसे स्कूल शिक्षकों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ेगी, भेजा गया पत्र

कोर्ट ने आपत्तियां को माना निराधार 

डिविजनल बेंच ने अपने फैसले में दोनों ही आपत्तियों को पूरी तरह निराधार माना। अदालत ने कहा कि डॉ. फरजाना गजल एक योग्य, वरिष्ठ और मुस्लिम महिला अधिकारी हैं, जो उप सचिव स्तर से भी ऊपर की रैंकिंग में आती हैं। उन्हें सरकार द्वारा उच्च शिक्षा विभाग से तीन वर्षों के लिए डिपुटेशन पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में लाया गया है, और वहीं से वक्फ बोर्ड में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है। उनके नियुक्ति आदेश में 'अस्थायी' शब्द का प्रयोग केवल कार्यकाल की अवधि (तीन वर्ष) के लिए किया गया है, न कि उनकी योग्यता या पद की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए। ऐसे में उन्हें 'पूर्णकालिक सीईओ नहीं' मानने का कोई कानूनी आधार नहीं बनता।

ये खबर भी पढ़िए... ओपन स्कूल परीक्षा परिणाम 2025 घोषित: बालिकाओं ने फिर मारी बाजी

दलील को कोर्ट ने ठुकराया

दूसरी आपत्ति में याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 1994 के एक पुराने परिपत्र का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि वक्फ संपत्तियों की नीलामी सिर्फ मुतवल्ली द्वारा की जा सकती है। अदालत ने इस पर भी स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा कि यह परिपत्र अब अप्रासंगिक (obsolete) हो चुका है, क्योंकि उसे 2014 में अधिसूचित “वक्फ प्रॉपर्टी लीज रूल्स” ने पूरी तरह प्रतिस्थापित कर दिया है। इन नए नियमों में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान किया गया है कि वक्फ संपत्तियाँ न केवल मुतवल्ली द्वारा बल्कि वक्फ बोर्ड द्वारा भी लीज पर दी जा सकती हैं। इसका अर्थ यह है कि बोर्ड द्वारा की जा रही नीलामी पूरी तरह से विधिसम्मत है।

ये खबर भी पढ़िए... आतंकी हमले में जान गंवाने वाले शहीद के परिजनों को सरकार देती है आर्थिक मदद, जानिए कैसे

HC ने याचिकाकर्ताओं के इरादों पर भी उठाए सवाल

जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यह याचिका तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और कानून की गलत व्याख्या करने की एक कोशिश प्रतीत होती है। याचिकाकर्ताओं ने केवल “अस्थायी” जैसे शब्दों के भाषाई खेल से अदालत को भ्रमित करने की कोशिश की, जो कि अदालत के सामने टिक नहीं सका। अदालत ने दो टूक कहा कि ऐसे प्रयास न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के अंतर्गत आते हैं और इन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

ये खबर भी पढ़िए... कर्नल सोफिया से विजय शाह ने फिर मांगी माफी, एक्स पर लिखित और मौखिक माफीनामा

जनहित के नाम पर अदालत का दुरुपयोग नहीं चलने वाला

जस्टिस अग्रवाल की डिविजनल बेंच ने इस आदेश के जरिए यह साफ किया  है कि जनहित याचिकाओं का उद्देश्य समाज की भलाई और कानून के अनुपालन की निगरानी है, न कि दुर्भावनापूर्ण इरादों से अदालत का समय बर्बाद करने का माध्यम बनाना। इस प्रकार की याचिकाएं, जो न तो तथ्यों पर आधारित ना हों, वे कोर्ट की गरिमा और संसाधनों का अपमान करती हैं।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सनवर पटेल ने कहा

इस फैसले से यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि वक्फ बोर्ड द्वारा की जा रही कृषि भूमि की लीज नीलामी पूरी तरह से वैध है और कानून के दायरे में है। अदालत ने एक बार फिर यह प्रमाणित किया है कि जनहित के नाम पर की जाने वाली दुर्भावनापूर्ण याचिकाएं उन संस्थाओं को नुकसान नहीं पहुंचा सकतीं जो नियमों और संविधान के अनुसार कार्य कर रही हैं। हम माननीय न्यायालय की पारदर्शिता, समझदारी और दृढ़ता को सलाम करते हैं।

 

वक्फ बोर्ड मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट MP News