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देश के वीर जवानों और आम नागरिकों के लिए आतंकवाद, नक्सली हमलों और सांप्रदायिक दंगों का दर्द कभी भी कम नहीं होता। पहलगाम हमले जैसे भयानक हादसों की छाप हमारे दिलों पर आज भी गहरी है।
हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर जैसी सफलताओं ने इन घावों पर मरहम लगाया है, फिर भी पाकिस्तान और अन्य दुश्मन ताकतें अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रही हैं। हमारी सेना लगातार इन्हें करारा जवाब दे रही है और आतंकवादियों का सफाया कर रही है।
ऐसे संकट के समय सरकार भी पीड़ित परिवारों का सहारा बनने के लिए तैयार है। केंद्र सरकार ने एक विशेष योजना शुरू की है, जो आतंकवादी, नक्सली और सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों को आर्थिक मदद प्रदान करती है। आइए इस योजना के बारे में जानते हैं।
💰 योजना का नाम और उद्देश्य
इस योजना को Central Scheme for Assistance to Civilian Victims of Terrorist, Communal and Naxal Violence कहा जाता है। यह योजना साल 2008 में लागू हुई थी जिसका मकसद टेररिस्ट या ऐसे किसी भी हमले में पीड़ित के परिवारों को आर्थिक मदद की जाती है।
इस योजना के तहत पीड़ित परिवारों को ₹3 लाख की सहायता दी जाती है। नक्सल प्रभावित SRE जिलों में रहने वाले परिवारों को अतिरिक्त ₹1 लाख भी दिया जाता है।
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🌍 विदेशी नागरिक और NRI भी करैक्टर
यह योजना केवल भारतीय नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी नागरिकों और NRIs के लिए भी लागू होती है। इससे पीड़ित परिवारों को हेल्थ कार्ड दिया जाता है, जिससे वे सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज का लाभ करा सकते हैं।
साथ ही, शहीद हुए लोगों के बच्चों को भी शिक्षा और अन्य सहायता दी जाती है। इस योजना में आर्थिक सहायता के लिए किसी आय या वर्ग की सीमा नहीं है।
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🚫 इन्हें मिलेगा लाभ
यह स्पष्ट नियम है कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों के परिवारों को इस योजना के तहत कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जाएगी।
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📝 आवेदन प्रक्रिया
पीड़ित परिवार घटना के तीन साल के भीतर जिला मजिस्ट्रेट (DM) या राज्य सरकार के संबंधित कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ पुलिस रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मेडिकल सर्टिफिकेट और अन्य आवश्यक डाक्यूमेंट्स जमा करने होंगे।
आर्थिक मदद तुरंत उपलब्ध नहीं होती। सरकार मारे गए व्यक्ति के नाम से बैंक में एक फिक्स डिपोजिट (FD) करती है, जिसमें हर तिमाही ब्याज भी जुड़ता रहता है।
तीन साल बाद यह राशि परिवार के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। यदि मृतक का कोई नाबालिग बच्चा है, तो वह 18 साल की उम्र होने पर राशि प्राप्त कर सकता है।
आवेदन के बाद एक कमेटी डाक्यूमेंट्स की जांच करती है और एलिजिबिलिटी तय करती है।
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