एमपी के शिक्षक और डॉक्टरों के रिटायरमेंट बढ़ेगी उम्र , जल्द होगा बड़ा बदलाव!

आयुष डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल करने का प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा गया है, साथ ही 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खुलेंगे। इस साल जनवरी में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह घोषणा की थी।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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MP News: भारत में आयुष (AYUSH) क्षेत्र के डॉक्टरों और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को एलोपैथी डॉक्टरों की तरह 65 साल करने का प्रस्ताव शासन स्तर पर तैयार किया गया है। यह कदम आयुष डॉक्टरों की कमी को दूर करने और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए उठाया जा रहा है। साथ ही, सरकार 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने की योजना भी बना रही है, जिससे आयुष शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।

सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव

आयुष विभाग ने आयुष कॉलेजों के डॉक्टरों और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट को भेज दिया है। इस प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद ही यह संशोधन लागू होगा। वर्तमान में आयुष डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु कम होने के कारण हर वर्ष लगभग 15 से 20 डॉक्टर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन उनकी जगह नए डॉक्टरों की भर्ती अपेक्षित संख्या में नहीं हो पा रही है।

इस कमी को दूर करने के लिए यह प्रस्ताव पांच साल से अधिक समय से शासन स्तर पर लंबित था, जिसे वित्तीय आपत्ति के कारण रोका गया था। स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में भी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु पहले 62 साल थी, जिसे अब बढ़ाकर 65 साल किया जा चुका है।

नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने की योजना

सरकार 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज शुरू करने जा रही है। इनमें से पाँच कॉलेज अगले साल चालू होने की संभावना है। इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जनवरी 2025 में राजधानी में आयोजित आयुर्वेद महापर्व में इसकी घोषणा की थी। नए कॉलेज खोलने से आयुष शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि होगी।

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सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग क्यों?

तकनीकी शिक्षा एवं चिकित्सा क्षेत्र में समानता: मेडिकल, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और पशु चिकित्सा शिक्षा के कॉलेजों में पहले से ही फैकल्टी की सेवानिवृत्ति 65 साल है।

डॉक्टरों की कमी: अस्पतालों और कॉलेजों में डॉक्टरों की संख्या आवश्यकता से कम है। इस कमी को पूरा करने के लिए आयुष डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाना जरूरी हो गया है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: अधिक अनुभवी डॉक्टरों को सेवामुक्त करने के बजाय उनकी सेवा को जारी रखने से स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

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