सोनम रघुवंशी केस के बाद युवाओं ने कहा, शादी पुराना रिवाज, बैचलर रहना ही ज्यादा बेहतर...

सोनम रघुवंशी केस के बाद युवाओं में बैचलर लाइफ पर बहस तेज हो गई है। इस दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल पारिवारिक रिश्तों को सवालों के घेरे में डाला, बल्कि युवाओं के बीच एक नई बहस शुरू कर दी। युवा कहने लगे हैं अकेले रहना ही बेहतर।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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सोनम रघुवंशी ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या करवाई और यह सब शादी के महज 11 दिन बाद हुआ।

इस घटना के बाद न केवल पारिवारिक रिश्तों को सवालों के घेरे में खड़ा किया, बल्कि युवाओं के बीच एक नई बहस भी शुरू कर दी। कुछ युवा, विशेषकर लडक़े, अब यह कहने लगे हैं कि ऐसे रिश्तों के डर को देखते हुए अकेला रहना ही बेहतर है। सवाल यह उठता है कि क्या अकेले रहकर असल में खुशी पाई जा सकती है? क्या बैचलर लाइफ सच में सुखमय और आरामदायक होती है? इस प्रश्न का उत्तर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और हालिया शोध के आधार पर ढूंढते हैं।

सोनम रघुवंशी हत्याकांड - ये था मामला

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इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या महज 11 दिन बाद हुई, जब उनकी पत्नी सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा और तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उनके पति की हत्या कर दी। यह घटना 23 मई 2025 को शिलांग में हुई, जब राजा और सोनम हनीमून पर गए थे। राजा की हत्या के बाद शव को खाई में फेंक दिया गया। यह सब एक सुपारी के बदले हुआ था, जो सोनम ने 20 लाख रुपये में दी थी। जांच में यह सामने आया कि सोनम अपने प्रेमी से प्यार करती थी, लेकिन पारिवारिक और सामाजिक दबावों के कारण उसने राजा से शादी की। हत्या के बाद सोनम गाजीपुर पहुंची, जहां उसे एक ढाबे पर रोते हुए देखा गया।

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क्या बैचलर लाइफ सच में बेहतर है?

इस घटना ने युवाओं को रिश्तों और शादी के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। कई लोग, जैसे कि कानपुर के एक्टर और इंफ्लूएंसर सुधांशु शर्मा, कहते हैं, "जब ऐसी घटनाएं सुनता हूं, तो लगता है कि शादी का रिस्क क्यों लें? अकेले रहकर अपनी जिंदगी जीना ज्यादा सुरक्षित है।" सोशल मीडिया पर भी बैचलर लाइफ पर चर्चा जोरों पर है, जहां लोग अकेले रहने के फायदे बताते हैं। लेकिन क्या अकेलापन वाकई वह तरीका है, जिसे अपनाना चाहिए?

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अकेलापन और एकाकीपन- दोनों में फर्क है

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, अकेलापन और एकाकीपन में बड़ा फर्क है। भोपाल के सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं, "अकेलापन तब होता है जब आप सामाजिक जुड़ाव चाहते हैं, लेकिन वह नहीं मिल पाता। जबकि एकाकीपन वह स्थिति होती है जिसे आप खुद चुनते हैं, और यह आत्म-खोज और रचनात्मकता के लिए एक अवसर बन सकता है।"

बीबीसी की एक रिपोर्ट में फ्लोरा त्सापोव्स्की ने लिखा है कि अकेलापन मानसिक शांति प्रदान करने के साथ-साथ रचनात्मकता और आत्म-जागरूकता भी बढ़ाता है। 2010 में डंडी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि जो लोग अकेले समय बिताते हैं, वे ज्यादा आत्मनिर्भर और रचनात्मक होते हैं।

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रिश्तों में भावनात्मक स्थिरता का महत्व

सोनम और राजा का केस यह दिखाता है कि जब रिश्ते दबाव या सामाजिक अपेक्षाओं पर बनते हैं, तो वे विनाशकारी हो सकते हैं। सोनम ने राज से प्यार किया, लेकिन पारिवारिक दबाव के कारण उसने राजा से शादी की। पुलिस को मिले संदेशों में सोनम ने यह बताया था कि वह राजा के साथ अंतरंग संबंधों में असहज महसूस कर रही थी और उसे खत्म करना चाहती थी। डीयू के शिक्षक डॉ. चंद्र प्रकाश के अनुसार, "यदि सोनम अकेले समय बिताती और अपनी भावनाओं को समझती, तो शायद यह त्रासदी टल सकती थी।"

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क्या बैचलर लाइफ सचमुच खुशी का रास्ता है?

वैश्विक स्तर पर भी बैचलर लाइफ को लेकर रुझान बदल रहे हैं। ब्रिटेन में अकेले रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है और 2023 में हुए एक अमेरिकी सर्वे में 40% GEN-Z और मिलेनियल्स ने शादी को पुराना रिवाज बताया। भारत में भी युवा शादी के लिए दबाव महसूस नहीं करना चाहते। गुरुग्राम के 29 वर्षीय निखिल तिवारी कहते हैं, "मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी रहा हूं। यात्रा करता हूं, दोस्तों के साथ समय बिताता हूं। शादी का प्रेशर नहीं है।"

बैचलर लाइफ और खुशी

देखा जाए तो सोनम और मुस्कान जैसे मामलों ने युवाओं को रिश्तों के बारे में पुन: सोचने पर मजबूर किया है। नोएडा के कॉलेज छात्र वंश शुक्ला कहते हैं, "ऐसी घटनाओं को देखकर लगता है कि अब रिश्तों पर विश्वास करना मुश्किल हो गया है। बैचलर रहकर अपनी जिंदगी आसान बनाना ज्यादा बेहतर है।" मनोवैज्ञानिक डॉ. विधि एम पिलनिया का मानना है कि अकेलापन तभी फायदेमंद होता है जब आप इसे सकारात्मक रूप से अपनाएं। "अगर आप अकेलेपन को सजा के तौर पर देखेंगे, तो वह एकाकीपन में बदल सकता है।"

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सोनम रघुवंशी केस 

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