मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में एक अजीब घटना घटी। ग्राम खुड़सोड़ी के 25 वर्षीय सचिन नगपुरे को एक जहरीले सांप ‘डोंगरबेलिया’ ने डस लिया। कुछ ही मिनटों में सांप खुद तड़प-तड़प कर मर गया। पीड़ित युवक को अस्पताल में भर्ती किया गया और सांप को भी अस्पताल लाया गया।
युवक का कहना है कि वह सात-आठ वर्षों से औषधीय गुणों वाली पेड़ों की लकड़ी से मंजन करता आ रहा है। फॉरेस्ट विभाग के रेंजर धर्मेन्द्र बिसेन ने कहा कि ऐसी घटनाएं दुर्लभ होती हैं। यह तभी संभव है जब सांप की विष ग्रंथि फट जाए।
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युवक का अनोखा दावा
पीड़ित सचिन नगपुरे ने डॉक्टरों और मीडिया को बताया कि वह पिछले सात-आठ वर्षों से दांतों की सफाई के लिए विभिन्न पेड़ की लकड़ियों से बना मंजन इस्तेमाल करता है। इसमें चिढ़चिडिया, पल्सा, नीम, आम, करंजी, तुअर जैसे पेड़ शामिल हैं। सचिन का मानना है कि इन्हीं प्राकृतिक तत्वों ने उसके शरीर में जहर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर दी होगी, जिससे सांप का जहर उस पर असर नहीं कर सका और उल्टे सांप की मौत हो गई।
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डोंगरबेलिया सांप
परिजनों ने बताया कि डसने वाला सांप डोंगरबेलिया प्रजाति का था, जो अत्यधिक विषैला होता है। यह सांप इंसान के लिए घातक माना जाता है। इस प्रकार के सांपों के काटने पर कुछ ही मिनटों में गंभीर असर दिखने लगता है। हालांकि, इस मामले में उल्टा हुआ। युवक जीवित रहा और सांप मरा।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत दुर्लभ
फॉरेस्ट विभाग के रेंजर धर्मेन्द्र बिसेन ने इस घटना को ‘अत्यंत दुर्लभ’ बताया। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव हो सकता है जब डसने के दौरान सांप की विष ग्रंथि फट जाए या उसके शरीर में कोई समस्या हो। इंसानी शरीर में प्राकृतिक प्रतिरोधकता का इतना तीव्र असर असामान्य है, लेकिन पूरी संभावना को नकारा भी नहीं जा सकता।
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अस्पताल में भर्ती युवक की हालत स्थिर
सचिन को जिला अस्पताल में प्राथमिक इलाज दिया गया है और डॉक्टर उसकी हालत पर नजर रखे हुए हैं। फिलहाल वह खतरे से बाहर है। मृत सांप को फॉरेस्ट विभाग ने जांच के लिए भेजा है, ताकि यह पता चल सके कि उसकी मौत का कारण विष ग्रंथि की क्षति है या कुछ और। इस घटना को लेकर गांव और सोशल मीडिया में चर्चा हो रही है।
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