गांव की बेटियों की स्कॉलरशिप डकार गए प्राचार्य, 27 खातों में ट्रांसफर कराए 76.25 लाख

बंडा के सरकारी कॉलेज में गांव की बेटी योजना के तहत मिलने वाली छात्राओं की छात्रवृत्ति को प्राचार्य ने दूसरे खातों में ट्रांसफर करा ली। 561 अपात्र छात्राओं के नाम जोड़कर राशि निकाली गई।

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Rohit Sahu
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मध्य प्रदेश के बंडा स्थित शासकीय राजीव गांधी कॉलेज में बड़ा स्कॉलरशिप स्कैम सामने आया है। जहां गांव की बेटी योजना के तहत मिलने वाली छात्रवृत्ति में 2019 से 2023 तक कॉलेज में ये स्कैम चला। यहां पर प्राचार्य रहे डॉ. एचजी सेन, डॉ. एसएच गणवीर और डॉ. बीडी अहिरवार ने इस दौरान 561 अपात्र छात्राओं के नाम जोड़कर 28.05 लाख रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर करवाई।

इनके खाते में राशि आई

स्कैम की यह राशि कॉलेज में काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर नीलेश खरे, उनके पिता राजाराम खरे और दादा प्रेमनारायण खरे समेत 27 लोगों के खातों में भेजी गई। बता दें गांव की बेटी योजना के नियमानुसार, एक छात्रा को साल में 5 हजार दिए जाने थे। जबकि प्राचार्य ने कई बार एक छात्रा के नाम पर ही 5-5 हजार रुपए अपने करीबियों के खातों में ट्रांसफर कराए गए।

पात्र 964 छात्राओं को आज तक नहीं मिला पैसा

2019 से 2023 कॉलेज की 1500 छात्राओं ने आवेदन किए। जबकि भुगतान 2061 छात्राओं को हुआ। इसमें 561 अपात्र छात्राओं के नाम जाेड़े गए। इनके नाम पर 28.05 लाख रुपए दूसरे खातों में डालकर निकाले लिए गए। वहीं 964 पात्र छात्राओं को इस छात्रवृत्ति का लाभ मिलना था लेकिन उन्हें आज तक एक भी रुपया नहीं मिला।

घोटाले की टाइमलाइन

2019 में 365 छात्राएं पात्र थीं, पर सिर्फ एक को पैसा मिला।

2020 में 327 छात्राओं के हिस्से का पैसा 16.35 लाख कहीं और ट्रांसफर हुआ।

2021 में 273 छात्राओं के हिस्से का पैसा 13.65 लाख का पेमेंट नहीं हुआ।

तीनों सालों में कुल 76.25 लाख की छात्रवृत्ति की गड़बड़ी हुई।

किस-किसके खाते में गई राशि

एक मामला उज्मा कुरैशी का है, जिन्होंने 2018 में कॉलेज में एडमिशन लिया था और 2021 तक उन्हें कोई स्कॉलरशिप नहीं मिली। उनके खाते में 2023 में एक बार 5 हजार जमा हुए पर ई-ट्रेजरी के रिकॉर्ड में उनके नाम से 11 बार 5 हजार यानी कुल 55 हजार जमा दिखाए गए हैं। यह राशि जिस खाते में जमा हुई, वह नीलेश खरे के नाम पर है।

ज्‍योति सेन और अभिलाषा के नाम पर ट्रांसफर हुए 1.75 लाख

एक अन्य केस में ज्योति सेन और अभिलाषा अहिरवार के नाम पर पर कुल 1.75 लाख रुपए का पेमेंट हुआ। ज्योति सेन के नाम पर 26 मार्च को 9 बार 5 हजार यानी कुल 45 हजार ट्रांसफर हुए। अभिलाषा के नाम पर 26 बार 5 हजार यानी कुल 1.30 लाख रुपए ट्रांसफर हुए। यह पैसा एक्सिस बैंक सागर के खाते में गया, जो नीलेश खरे के नाम पर ही है। 

सीएम हेल्पलाइन से शिकायत के बाद की गई खानापूर्ति

जब छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गईं, तो जनभागीदारी समिति के खाते क्रमांक 1926825664 से कुछ छात्राओं के बैंक खातों में 2023 में भुगतान किया गया। लेकिन यह भी अपूर्ण और अनियमित था। 

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इन प्राचार्यों के समय हुई गड़बड़ी

डॉ. एचजी सेन (2015-20) ने कहा कि कोरोना काल में देरी हुई, बाद में भुगतान किया गया।

डॉ. एसएच गणवीर (2020-21) तक प्राचार्य रहे इस दौरान भी गड़बड़ी हुई, लेकिन प्राचार्य ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

डॉ. बीडी अहिरवार (2021 से वर्तमान) ने कहा कि जिन्हें छात्रवृत्ति नहीं मिली वे आवेदन करें, पात्रता होने पर देंगे।

अतिरिक्त संचालक ने भी नहीं दी जानकारी

उच्च शिक्षा की अतिरिक्त संचालक डॉ. रेखा बरेठिया का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। जबकि कलेक्टर कार्यालय से 9 अप्रैल को शिकायत पत्र उनके विभाग को भेजा गया था। इससे साफ है कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।

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