मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी, 6 हजार से ज्यादा पद खाली

मध्यप्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कुल 6289 शैक्षणिक पद रिक्त हैं। ये प्रदेश के शैक्षणिक स्तर और गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News :राज्य के उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़े प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली की चिंताजनक स्थिति उजागर करते हैं। मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कुल 6 हजार 289 शैक्षणिक पद खाली पड़े हैं, जो कि एक गंभीर शैक्षणिक संकट की ओर इशारा करता है।

ये सभी पद राजपत्रित शैक्षणिक संवर्ग (Gazetted Academic Cadre) के अंतर्गत आते हैं, जिनमें प्राध्यापक, सह-प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक शामिल होते हैं। प्रदेश भर में 69 विषय ऐसे हैं जिनमें योग्य फैकल्टी का अभाव है।

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किन विषयों में सबसे अधिक कमी?

अंग्रेज़ी (English), वाणिज्य (Commerce), और अर्थशास्त्र  (Economics) जैसे प्रमुख विषय सबसे अधिक प्रभावित हैं:

अंग्रेज़ी -  458 पद

वाणिज्य - 440 पद

अर्थशास्त्र - 387 पद

इन तीन विषयों में ही कुल रिक्तियों का लगभग 20% हिस्सा शामिल है। यह सीधे तौर पर छात्रों की पढ़ाई और भविष्य की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

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जिलेवार स्थिति: रीवा सबसे ऊपर

यदि जिलों के हिसाब से रिक्तियों की बात करें, तो रीवा जिला में सबसे अधिक 196 पद खाली हैं। इसके बाद सागर (193 पद) और छतरपुर (190 पद) आते हैं।

रिक्त पदों वाले टॉप 10 जिले:

जिला  -  रिक्त पद

रीवा    -  196
सागर  -   193
छतरपुर  - 190
(टॉप 10 जिलों में उज्जैन, सीधी, सिंगरौली, सीहोर, सतना, मुरैना और शिवपुरी भी शामिल हैं।)

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प्रमुख शहरों की हालत भी चिंताजनक

भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे शैक्षणिक केंद्रों की स्थिति भी बेहतर नहीं है।

भोपाल:

23 विषयों में 102 पद रिक्त

इंग्लिश में सबसे ज्यादा 15 पद खाली

इंदौर:

19 विषयों में 79 पद रिक्त

कॉमर्स में सबसे अधिक 13 पद खाली

ग्वालियर:

21 विषयों में 94 पद रिक्त

इंग्लिश में 14 पद रिक्त

जबलपुर:

22 विषयों में 88 पद रिक्त

इंग्लिश में 12 पद रिक्त

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विशेषज्ञों की राय:

शिक्षा की गुणवत्ता पर असर :-

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इन पदों को भरा नहीं गया तो छात्रों की पढ़ाई, शोध और नवाचार पर बुरा असर पड़ेगा। रिक्त पद न केवल कक्षा शिक्षण को प्रभावित करते हैं बल्कि संस्थानों की हृ्र्रष्ट ग्रेडिंग और फंडिंग पर भी असर डालते हैं।

रिक्त पदों का असर

  • छात्रों को जरूरी विषयों के लिए बाहर जाना पड़ता है
  • शोध कार्य ठप हो जाता है
  • गेस्ट फैकल्टी पर निर्भरता बढ़ती है
  • सरकारी कॉलेजों की विश्वसनीयता कम होती है

निष्कर्ष :- अब सरकार की परीक्षा

6,289 रिक्त पद सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की सेहत का पैमाना हैं। यदि समय रहते इन पर भर्ती नहीं हुई तो यह संकट और गहरा सकता है। सरकार को चाहिए कि वह भर्ती प्रक्रिया को प्राथमिकता दे और शिक्षकों की तैनाती शीघ्र सुनिश्चित करे।

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