नेपानगर.
मध्यप्रदेश की सहकारी बैंकिंग व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। बुरहानपुर जिले के नेपानगर नागरिक सहकारी बैंक में करीब 9 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। इसने न सिर्फ बैंक को दिवालिया बना दिया,बल्कि आम लोगों का बैंकिंग तंत्र पर विश्वास भी चकनाचूर कर दिया है।
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घोटाला उजागर,लेकिन न्याय अधूरा
बैंक के कुछ कर्मचारियों द्वारा वर्षों तक जमाकर्ताओं की रकम में गबन किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि अब जमाकर्ता अपनी ही राशि के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कई बुजुर्ग, बीमार और जरूरतमंद लोग इलाज और जीवन-यापन के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहे।
संचालक मंडल की चेतावनियां रहीं अनसुनी
बताया गया कि बैंक के संचालक मंडल ने दो साल पहले ही संबंधित विभागों को घोटाले की आशंका जताई थी,लेकिन न ऑडिट हुआ,न निगरानी। कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ कुछ कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई है,जबकि प्रमुख आरोपी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
कलेक्टर ने मांगी 6 मई तक की मोहलत
सूत्रों के मुताबिक,हाल ही में पीड़ितों ने बुरहानपुर कलेक्टर हर्ष सिंह से मिलकर न्याय की गुहार लगाई। कलेक्टर ने 6 मई तक ठोस कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। पर जमाकर्ता अब इस बात को लेकर आशंकित हैं कि क्या यह आश्वासन भी कागज़ी साबित होगा? हालांकि इस बारे में जब जिला कलेक्टर से पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए फोन काट दिया।
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राज्यभर में बिगड़ते हालात
नेपानगर की घटना कोई अपवाद नहीं है। मध्यप्रदेश के कई सहकारी बैंक संकट में हैं, जहां सालों से लोगों की राशि अटकी हुई है। सेवाएं ठप हैं और नियामकीय निगरानी नाम मात्र की रह गई है।पीड़ितों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें मुआवजा दिया जाए, दोषियों को कड़ी सजा मिले और सहकारी बैंकों की सख्त निगरानी व नियमित ऑडिट सुनिश्चित किया जाए।
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