बंशीलाल गुर्जर के संघर्ष और धैर्य का परिणाम राज्यसभा सांसद का पद

राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने मध्यप्रदेश से जिन 4 नामों का ऐलान किया है, उनमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम किसान नेता बंशीलाल गुर्जर का है। दूधवाले से लेकर सांसद तक का सफर उनके लिए बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा है।

Advertisment
author-image
Rahul Garhwal
New Update
Banshilal Gurjar
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

कमलेश सारडा, NEEMUCH. आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश से बीजेपी ने जिन 4 नामों की घोषणा की, उनमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम रहा किसान नेता बंशीलाल गुर्जर (Banshilal Gurjar) का, लेकिन सही मायने में ये नाम इस पद का हकदार भी है। पार्टी के एक आदेश पर खड़े हो जाने वाले बंशीलाल गुर्जर ने पार्टी के लिए कई काम किए हैं, अब जाकर पार्टी ने उन्हें एक सम्मानित पद देकर सम्मान दिया।

45 साल का राजनीतिक करियर

बंशीलाल गुर्जर का 45 साल से ज्यादा का राजनीतिक करियर बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन ये करियर आज के युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है, क्योंकि छोटी-सी नाकामी से हार मानने वाले आज के युवा बंशीलाल की कहानी से प्रेरणा ले सकते हैं। एक समय था जब बंशीलाल गुर्जर ने मंदसौर नगर पालिका का अध्यक्ष पद लिया (उनकी पत्नी रमादेवी गुर्जर मंदसौर नगर पालिका की अध्यक्ष हैं) तब अनेक राजनीतिक जानकारों और पत्रकारों ने कहा कि अब बंशलाल के राजनीतिक करियर पर पूर्ण विराम लग जाएगा। अब वे इसके आगे नहीं जा पाएंगे, लेकिन आज सब्र और परिश्रम का फल सबके सामने है।

मंदसौर की राजनीति में बड़ा नाम

बंशीलाल गुर्जर मंदसौर की राजनीति में हमेशा से एक बड़ा नाम रहे हैं। मंदसौर विधानसभा और नीमच जिले की मनासा विधानसभा से उनका नाम हमेशा आगे रहा, लेकिन टिकट कभी नहीं मिला। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी उनका नाम मनासा विधानसभा से तेजी से चला, लेकिन टिकट नहीं आ पाया। इससे पहले साल 2014 लोकसभा चुनाव में भी सांसद के लिए मंदसौर संसदीय क्षेत्र से उनका नाम चला। उस समय बीजेपी की सरकार बनाने के लिए योग गुरु रामदेव जी की टीम सर्वे कर रही थी, उसमें मंदसौर संसदीय क्षेत्र से उनके द्वारा बंशीलाल गुर्जर का नाम आगे किया गया था, लेकिन टिकट नहीं आ पाया। 45 सालों के लंबे करियर में पार्टी सिंबल पर कभी चुनाव नहीं लड़ पाए। गुर्जर का धैर्य जवाब देने लगा। इस दौरान कई लोगों ने उन्हें भड़काया भी, लेकिन पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण भाव से वे कार्य करते रहे और उसी का परिणाम है राज्यसभा सांसद का पद।

जनआशीर्वाद यात्रा में की खूब मेहनत

बंशीलाल गुर्जर ने विधानसभा चुनाव 2023 से पहले बीजेपी की जनआशीर्वाद यात्रा में खूब मेहनत की थी। जब उन्हें पार्टी द्वारा उज्जैन संभाग का प्रभारी बनाया गया था, लेकिन उनके कार्यों से प्रभावित होकर बीजेपी का आलाकमान उन्हें भोपाल तक ले गया। सुबह 5 बजे उठने से लेकर रात को 12 बजे तक 63 साल की उम्र में बिना थकान के जनआशीर्वाद यात्रा में पूरी एनर्जी के साथ काम किया, तब लग रहा था कि इस बार बंशीलाल को विधानसभा टिकट मिलेगा। मंदसौर और मनासा से तेजी से नाम भी चला, लेकिन टिकट नहीं आया। कुछ समय के लिए गुर्जर हताश भी हुए, लेकिन हार नहीं मानी। पार्टी के खिलाफ बगावती सुर नहीं उठाए। उसी का परिणाम रहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की गुड लिस्ट में बंशीलाल फिट हो गए।

जो मिला उसे स्वीकारते चले गए बंशीलाल

बंशीलाल गुर्जर हमेशा विधानसभा और लोकसभा के दावेदार रहे, लेकिन टिकट कभी नहीं मिला। जो मिला पार्टी का आदेश मानकर उसे लेते हुए आगे बढ़ते रहे। बंशीलाल गुर्जर राजनीति में आने से पहले दूध का व्यवसाय करते थे। वहां से राज्यसभा सांसद तक सफर संघर्षों की कई कहानियों से भरा पड़ा है। सरपंच रहे, जिला पंचायत सदस्य रहे, उसके बाद पार्टी के आदेश पर बीजेपी जिलाध्यक्ष बने, पत्नी रमादेवी गुर्जर को जनपद पंचायत मंदसौर का अध्यक्ष बनाया। स्वयं मंडी अध्यक्ष बने। उसके बाद पत्नी रमादेवी को मंडी अध्यक्ष बनाया। यहां से किसान नेता की छवि प्रदेश स्तर तक बनी और मंदसौर मंडी का भी कायाकल्प किया।

ये खबर भी पढ़िए..

कमलनाथ के बीजेपी में आने को लेकर वीडी शर्मा बोले- दरवाजे खोल रखे हैं

नीमच के शराब कारोबारी की हत्या की साजिश का खुलासा, 8 आरोपी गिरफ्तार

बीजेपी के आदेश पर गुर्जर ने कभी ना नहीं की

किसान नेता की ऐसी छवि बनी कि पार्टी ने किसान मोर्चे का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया, इसके बाद वर्तमान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है। हुडको में डायरेक्टर है, बीजेपी प्रदेश महामंत्री का पद भी संभाला। कुल मिलाकर पार्टी के आदेश पर कभी ना नहीं निकली। इस दौरान कई झटके भी लगे, लेकिन हार नहीं मानी। त्रिस्तरीय चुनाव 2022 में उनके बेटे हितेश गुर्जर और रिश्तेदार जगदीश गुर्जर जनपद एवं जिला पंचायत का चुनाव हार गए। इससे बंशीलाल गुर्जर की साख भी प्रभावित हुई, क्योंकि ये चुनाव सीधे तौर पर उनसे जुड़े थे, लेकिन हार नहीं मानी। मंदसौर नगर पालिका में पत्नी रमादेवी गुर्जर को पार्षद का चुनाव लड़वाया और 40 ही वार्डों में सर्वाधिक मतों से प्रचण्ड बहुमत से जीत हासिल कर नगर पालिका अध्यक्ष बनवाया। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने गरोठ विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया। उस समय ऐसा लग रहा था कि मंदसौर की चारों विधानसभाओं में बीजेपी के लिए गरोठ विधानसभा कमजोर है, लेकिन बंशीलाल ने यहां भी अपना जादू चलाया था और प्रचण्ड मतों से बीजेपी के चंदरसिंह सिसौदिया को जिताया था।

Banshilal Gurjar BJP MP BJP Rajya Sabha Candidate rajya sabha elections