छिंदवाड़ा का रण: BJP के लिए 497 बूथ हैं खतरे की घंटी, जानिए क्यों...!

छिंदवाड़ा में इंटरनल रिपोर्ट में 63 फीसदी बूथों पर बीजेपी की स्थिति बेहद खराब है। 2013 के बाद हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कुल 1934 बूथों में से 497 बूथ ऐसे हैं, जहां पांच चुनाव में बीजेपी कभी नहीं जीती। आइए आपको बताते हैं सबसे हॉट सीट का गणित...

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Jitendra Shrivastava
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छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का सियासी गणित।

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रविकांत दीक्षित, BHOPAL. छिंदवाड़ा का सियासी रण जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस पूरी ताकत झोंक रही हैं। MP की इस हॉट सीट पर BJP से विवेक बंटी साहू मैदान में हैं। Congress ने अपने मौजूदा सांसद नकुलनाथ को मैदान में उतारा है। छिंदवाड़ा का रण यानी मिशन- 29 को फतह करने के लिए बीजेपी ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को इस सीट का जिम्मा दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस में कमलनाथ, नकुलनाथ और उनका परिवार अपना 'किला' बचाने की कोशिश में जुटे हैं। पिछले परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है। BJP के लिए इस सीट पर 497 बूथ खतरा बने हुए हैं। इन्हें जीतने के लिए बीजेपी ने 94 हजार कार्यकर्ता मोर्चा संभाले हुए हैं। 

जानिए, छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का पूरा सियासी गणित...

सातों सीट जीती थी कांग्रेस 

आज छिंदवाड़ा में परिस्थिति अलग है। कांग्रेस के किले को जीतने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है। बड़े नेता छिंदवाड़ा के दौरे कर रहे हैं। कांग्रेसियों को अपने पक्ष में किया जा रहा है। यदि पिछले चुनाव के वोट परसेंट को देखें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को 50.51 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 40.09 फीसदी रहा था। हालांकि, 2019 के चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटकर 47.70 प्रतिशत पर आ गया था। इस चुनाव में बीजेपी को 45.09 प्रतिशत वोट मिले थे। इधर, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है। 

आसान नहीं बीजेपी की राह 

बीजेपी के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं है। पार्टी की इंटरनल रिपोर्ट में 63 फीसदी बूथों पर बीजेपी की स्थिति बेहद खराब है। 2013 के बाद हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कुल 1934 बूथों में से 497 बूथ ऐसे हैं, जहां पांच चुनाव में बीजेपी कभी नहीं जीती। यानी इन बूथों पर कांग्रेस का भारी दबदबा है। वहीं, 250 बूथ ऐसे हैं, जहां पांच चुनाव में बीजेपी कभी नहीं हारी है। बीजेपी ने अपने मजबूत और कमजोर बूथों को पांच भागों में बांटा है। इनमें सबसे ज्यादा 37 फीसदी बूथ C ग्रेड के हैं। 26 फीसदी बूथ D ग्रेड के हैं। यानी इन बूथों पर जीत के लिए बीजेपी को काफी मेहनत करनी होगी। 

क्या कहता है अंक गणित?

  1. सात विधानसभा सीटों को अपने में समेटे छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में कुल 16 लाख 19 हजार 101 वोटर्स हैं। 
  2. लोकसभा क्षेत्र का एरिया 75 फीसदी ग्रामीण है। सिर्फ 25 प्रतिशत वोटर्स शहरी क्षेत्र में निवास करते हैं।
  3. 8 लाख 18 हजार 257 पुरुष तो 8 लाख 826 महिला वोटर्स हैं। प्रतिशत में यह आंकड़ा 50.58% पुरुष तो 49.42% महिला वोटर्स का है।
  4. छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा 25 प्रतिशत वोटर्स 31 से 40 एज ग्रुप के हैं। 20 फीसदी वोटर्स 24 से 30 वर्ष के हैं। 
  5. इस सीट पर ओबीसी और एसटी वोटर्स 36-36 प्रतिशत हैं, जबकि 11 फीसदी आबादी एससी वर्ग की है।

क्या हितग्राही जाएंगे बीजेपी की ओर?

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बीजेपी इस चुनाव में अपने विकास और योजनाओं का भी प्रचार कर रही है। दावा है कि छिंदवाड़ा में इन दिनों 3 लाख 91 हजार 166 महिलाओं को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिल रहा है। 1 लाख 87 हजार 285 किसान सम्मान निधि पा रहे हैं। 1 लाख 33 हजार 293 लाड़ली लक्ष्मी हैं। संबल योजना के हितग्राहियों की संख्या 5 लाख 32 हजार 999 है। 38 हजार 595 परिवार को सरकार की ओर से आवास मिला है। 

कार्यकर्ताओं की भारी भरकम फौज 

दरअसल, छिंदवाड़ा सीट बीजेपी के लिए साख का सवाल है। लिहाजा, पार्टी यहां कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। जीत के लिए बीजेपी ने अपने 94 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारा है। रणनीति के तहत 15 हजार 876 बूथ समिति कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। ऐसे ही 18 हजार 104 पन्ना प्रभारी, 54 हजार 250 पन्ना प्रमुख, 1 हजार 868 शक्ति केंद्र सदस्य और 4 हजार 29 त्रिवेद बूथ प्रभारी हैं, जो पार्टी को जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत में जुटे हुए हैं। 

पटवा ने लगा दी थी सेंध 

वर्ष 1952 में अस्तित्व में आई छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर बीजेपी को सिर्फ एक बार जीत नसीब हुई है। यदि 1997 का उपचुनाव छोड़ दें तो यहां हमेशा कांग्रेस का सांसद चुना गया है। 1997 के उपचुनाव में बीजेपी ने छिंदवाड़ा में सुंदरलाल पटवा पर दांव खेला और उन्होंने 38 हजार वोटों से जीत हासिल की थी।

छिंदवाड़ा का रण BJP