बेनामी प्रॉपर्टी मामले में राजधानी अव्वल, आदिवासी इलाकों पर IT की नजर

आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बेनामी प्रॉपर्टी के मामलों में लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके चलते आयकर विभाग ने अपनी जांच को तेज कर दिया है। विभाग ने आदिवासी भूमि पर बेनामी कारोबार पर नजर बनानी शुरू की।

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Sourabh Bhatnagar
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प्रदेश में आदिवासियों की जमीन और संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर बढ़ते बेनामी कारोबार को लेकर आयकर विभाग की सक्रियता में इजाफा हुआ है। विशेष रूप से आदिवासी बहुल इलाकों में बेनामी संपत्तियों के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। पेंच टाइगर रिजर्व इलाके में एक आदिवासी की प्रॉपर्टी पर रिसोर्ट के निर्माण के मामले में बेनामी संपत्ति का खुलासा होने के बाद आयकर विभाग ने आदिवासी भूमि के मालिकाना हक पर फोकस करना शुरू किया है। अब, विभाग इन बेनामी संपत्तियों से जुड़े मामलों की जांच और कार्रवाई में तेजी ला रहा है। 

प्रमुख मामले जो चर्चा में हैं

भोपाल की एक नामी लिस्टेड कंपनी द्वारा बेनामीदारों के माध्यम से करोड़ों रुपए के शेयर खपाने का मामला सामने आया है। इस कंपनी के मालिक और प्रमोटरों के पास 600 करोड़ रुपए के शेयर हैं, जिन पर आयकर विभाग ने बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्रवाई की है। इसी तरह, सीधी जिले में एक व्यक्ति ने अपनी ज़मीन के 150 खसरे अपने करीबियों के नाम पर दर्ज कराकर अपना कारोबार बढ़ाया है, और इस पर भी विभाग ने कार्यवाही शुरू की है। पेंच टाइगर रिजर्व के रिसोर्ट मामले में भी आयकर विभाग ने बेनामी प्रतिषेध अधिनियम के तहत जांच की है।

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भोपाल में बेनामी संपत्तियों की अटैचमेंट में पहले स्थान पर 

जानकारी के अनुसार, बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्रवाई करने के मामले में भोपाल देश में नंबर एक स्थान पर है। 2016 में इस एक्ट के लागू होने के बाद से अब तक यहां 1400 बेनामी प्रॉपर्टी अटैच की जा चुकी हैं, जिनका कुल मूल्य लगभग 900 करोड़ रुपए है। डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन, सतीश कुमार गोयल अपनी टीम के साथ इन मामलों में सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। इसके अलावा, संयुक्त आयकर आयुक्त सागर श्रीवास्तव इन मामलों की गहन जांच कर विभाग के केस को मजबूत कर रहे हैं। इसके चलते अधिकांश मामलों को अपीलेट ट्रिब्यूनल से मंजूरी मिल रही है।

प्रदेश में बढ़ती बेनामी प्रॉपर्टी के मामले 

प्रदेश के 20 आदिवासी बहुल जिलों में बेनामी प्रॉपर्टी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। यहां गैर आदिवासी लोग आदिवासी परिवारों के नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीद रहे हैं। इस प्रक्रिया में सामान्य आदिवासी परिवारों को मोहरा बना कर दूसरे लोग कारोबार और कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा, चुनावों के दौरान सीज की जाने वाली संपत्तियां भी बेनामी प्रॉपर्टी के दायरे में आती हैं। इसके अलावा, बेनामी शेयर, बैंक अकाउंट और वाहनों से जुड़े मामले भी सामने आ रहे हैं। बैंक फ्रॉड और सरकारी कर्मचारियों के मामलों में भी बेनामी प्रॉपर्टी की जांच की जा रही है।

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IT ने की थी राजेश शर्मा की 250 करोड़ की संपत्ति अटैच

बीते दिनों राजधानी भोपाल में जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में आयकर विभाग के लपेटे में आए त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के सर्वेसर्वा राजेश शर्मा और उनकी पत्नी राधिका शर्मा को बेनामी संपत्ति का नोटिस जारी किया गया है। कुल 24 संपत्तियों को लेकर ये नोटिस जारी हुआ है। संपत्तियों की कुल कीमत गाइडलाइन के अनुसार लगभग 40 करोड़ रुपए है, लेकिन बाजार मूल्य 250 करोड़ रुपए आंका गया है। आपको बतो दें कि विभाग द्वारा बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया गया है। इन संपत्तियों की खरीद बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है, यानी अब राजेश शर्मा और उनकी पत्नी को इन संपत्तियों से जुड़ी जानकारी विभाग को देनी होगी, साथ ही आय का सोर्स भी बताना होगा। जानकारी न मिलने पर ये संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं।

FAQ

1. आयकर विभाग बेनामी संपत्ति पर कब से कार्रवाई कर रहा है?
आयकर विभाग 2016 से बेनामी प्रतिषेध अधिनियम के तहत बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई कर रहा है।
2. भोपाल में बेनामी संपत्तियों का क्या हाल है?  
भोपाल में अब तक सबसे ज्यादा 1400 बेनामी संपत्तियां अटैच की जा चुकी हैं, जिनकी कुल कीमत 900 करोड़ रुपए है।
3. आदिवासी क्षेत्रों में बेनामी संपत्ति के मामलों में कौन सी कार्रवाई हो रही है?  
आदिवासी इलाकों में गैर आदिवासी लोगों द्वारा बेनामी संपत्तियों की खरीद की जा रही है, और आयकर विभाग इन मामलों पर सख्त जांच कर रहा है।
4. बेनामी संपत्तियों के मामले में कौन से प्रमुख आरोपी हैं?  
भोपाल की एक लिस्टेड कंपनी के प्रमोटर, सीधी जिले के उद्योगपति, और पेंच टाइगर रिजर्व में रिसोर्ट खोलने वाले व्यक्ति शामिल हैं।
5. आयकर विभाग बेनामी संपत्ति की जांच किस आधार पर करता है?  
आयकर विभाग बेनामी प्रतिषेध अधिनियम के तहत संपत्ति की जांच करता है, ताकि इस तरह के धोखाधड़ी वाले मामलों को रोका जा सके।

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