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BHOPAL. सरकार अपने खजाने की बर्बादी पर कसावट के प्रयास कर रही है, लेकिन उसकी अपनी संस्थाएं फिजूलखर्ची कर रही हैं। करोड़ों रुपए किसी न किसी काम या योजना के नाम पर पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। इसी फेहरिस्त में श्रम विभाग के भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल का नाम भी शुमार हो गया है।
कर्मकार मंडल श्रमिक परिवारों के लिए 22 से अधिक योजनाएं चला रहा है। बजट की कमी के कारण योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। प्रचार पर बेफिक्री से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मामला कर्मकार कल्याण मंडल की योजनाओं के प्रचार- प्रसार के खर्च से जुड़ा है। मंडल की बोर्ड बैठक ने प्रचार- प्रसार को स्वीकृति दी गई, लेकिन इसमें भी अधिकारियों ने बाजीगरी दिखा डाली।
मंडल ने पहले 55 जिलों में 1031 फ्लैक्स के प्रचार पर 2.36 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया। मध्यप्रदेश माध्यम से दरें भी बुलाई गईं। फिर श्रम मंत्री के विशेष सहायक के हवाले से फ्लैक्स की संख्या 1031 से बढ़ाकर 3365 कर दी गई। इसके साथ बजट भी 2.36 करोड़ से बढ़ाकर 7.72 करोड़ कर दिया गया।
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योजनाओं के लाभ से ज्यादा प्रचार की चिंता
भवन और संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल श्रम विभाग का एक संस्थान है। यह श्रमिक परिवारों के लिए विभागीय योजनाओं का संचालन करता है। श्रमिक परिवारों के लिए संबल, कल्याणी सहायता, शिक्षा प्रोत्साहन, विवाह सहायता, औजार खरीद योजना, अनुग्रह सहायता, कौशल प्रशिक्षण, विदेश अध्ययन जैसी योजनाओं के लिए सरकार से मंडल को 10026 करोड़ रुपए का बजट मिला है। इसी में येाजनाओं के प्रचार- प्रसार के लिए 10 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।
मंडल ने साल 2008 से 2023 के बीच 17.275 श्रमिकों को 8.55 करोड़ रुपए की सहायता दी है। लेकिन कई योजनाओं के हितग्राहियों को साल- दो साल बाद भी मदद नहीं मिल पाई है। अधिकारी तकनीकी कारण, केवायसी अपडेशन या बजट की कमी का हवाला देकर उन्हें टालते आ रहे हैं।
ऐसे में मंडल द्वारा इन्हीं योजनाओं के प्रचार- प्रसार के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करना बेमानी लगता है। जब सैंकड़ों हितग्राहियों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा, तो फ्लैक्स बोर्ड लगाने का उद्देश्य क्या रह जाता है?
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विदेश अध्ययन के लिए श्रमिक परिवारों को नहीं मदद
मध्य प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की एक ओर योजना बजट की कमी के कारण बेदम बनी हुई है। श्रमिक परिवार के मेधावी छात्र विदेश में पढ़ाई कर सकें। इसके लिए मध्य प्रदेश में विदेश अध्ययन योजना साल 2019 से चल रही है।
प्रदेश के 63 लाख श्रमिक कर्मकार मंडल में रजिस्टर्ड हैं। इनमें से किसी भी परिवार के छात्र को विदेश में पढ़ाई के लिए नहीं भेजा जा सका है। सरकार विदेश में पढ़ाई पर सालाना 44 लाख रुपए खर्च करती है, फिर भी श्रमिक परिवार के मेधावी छात्र आगे क्यों नहीं आ रहे? अधिकांश परिवारों के पास अच्छे स्कूल या कॉलेज की फीस जमा करने का भी इंतजाम नहीं है। ऐसे में मंडल द्वारा योजना चलाने का मकसद समझ से बाहर है।
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बढ़ती चली गई मंडल की नोटशीट
कैसे सरकारी खजाने से करोड़ों बर्बाद किए जा रहे हैं इसकी भी लम्बी कहानी है। भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की 39वी बोर्ड बैठक में नई एवं हितग्राहीमूलक योजनाओं के प्रचार- प्रसार की जरूरत को देखते हुए निर्णय लिया गया है। इन योजनाओं को जिला एवं ब्लॉक स्तर तक फ्लैक्स- बैनर के माध्यम से आमजन तक पहुंचाया जाना था।
इसके लिए भंडार क्रय नियम का हवाला देकर निविदा की अनिवार्यता को खारिज कर मध्य प्रदेश माध्यम से दरें आमंत्रित की गईं। बैठक में लिए गए निर्णय के बाद सचिव के मौखिक निर्देश पर 11 अप्रेल को नोटशीट पर प्रदेश के बीएमओ कार्यालयों को भी फ्लैक्स बोर्ड लगाना तय कर लिया गया। नोटशीट के पेज नंबर 12 पर उन स्थानों को सूचीबद्ध किया गया जहां फ्लैक्स बोर्ड लगाए जाने थे।
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पहले 1031 जगह चुनी फिर तीन गुना फ्लैक्स बढ़ाए
प्रदेश के सभी 55 जिलों में 1031 स्थानों पर फ्लैक्स बोर्ड लगाने थे। इन स्थानों में कलेक्टर कार्यालय, जिला पंचायत, श्रम कार्यालय और अस्पताल परिसर शामिल थे। नोटशीट के पेज नंबर 13 पर खर्च 2,36,78,977 रुपए दर्ज हैं। इसके बाद अधिकारियों ने फ्लैक्स बोर्ड की संख्या तीन गुना बढ़ा दी।
पहले 1031 बोर्ड लगाने थे, बाद में यह संख्या 3365 हो गई। इसमें कलेक्टर कार्यालय, जिला पंचायत और अस्पतालों में दो-दो बोर्ड, श्रम कार्यालयों में 55, नगरीय निकायों में 498, तहसील कार्यालयों में 428 और जनपद कार्यालयों में 313 बोर्ड लगाने थे।
नोटशीट में झलक रही अधिकारियों की चिंता
कर्मकार मंडल के जिम्मेदार योजनाओं के प्रचार- प्रसार की जरूरत के मुताबिक बजट बढ़ाने की सफाई दे रहे हैं। वहीं इसके लिए बोर्ड बैठक के बाद चली नोटशीट पर दर्ज टीप अधिकारियों की बजट की चिंता उजागर करती है। नोटशीट पर अधिकारी ने लिखा है कि सालाना बजट 10 करोड़ है। इसमें से जिंगल रेडियो के लिए 1.54 करोड़ का बजट निर्धारित है। पुरानी देनदारियां भी चुकाई जानी हैं।
मंडल की योजनाओं के प्रचार पर 7.72 करोड़ रुपए, जिंगल रेडियो के लिए 1.54 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद मंडल के पास इस मद में करीब 70 लाख ही बचेंगे। इस राशि से पुरानी देनदारी, कार्यक्रमों के आयोजनों का खर्च कैसे उठाना मुश्किल हो जाएगा।
बजट भरपूर फिर भी श्रमिक को नहीं मदद
श्रम कल्याण मंडल की विभिन्न योजनाओं में 6646 श्रमिकों को 4 करोड़ 30 लाख 67 हजार रुपए की सहायता दी गई। चालू वित्त वर्ष में मंडल की विभिन्न योजनाओं में 2043 मजदूरों को एक करोड़ 41 लाख 18 हजार रुपए की सहायता ही दी गई है।
इन योजनाओं के प्रारंभ से अब तक 5 लाख 86 हजार मजदूरों को 35 करोड़ 77 लाख की सहायता दी गई। इसके बावजूद संबल योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद के इंतजार करने वालों की शिकायतें सीएम हेल्पलाइन तक पहुंच रही हैं।
ये हैं मंडल की योजनाएं
- शैक्षणिक छात्रवृत्ति योजना
- शिक्षा प्रोत्साहन योजना (सुपर 5000)
- कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना
- विवाह सहायता योजना
- औजार/उपकरण खरीद योजना
- मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल 2.0) योजना
- स्वास्थ्य एवं सुरक्षा योजनाएं
- चिकित्सा सहायता योजना
- प्रसूति सहायता योजना
- अंतिम संस्कार/मृत्यु सहायता
- अनुग्रह सहायता योजना
- कल्याणी सहायता योजना
- उत्तम श्रमिक पुरस्कार योजना
- कौशल प्रशिक्षण योजना
- आवास सहायता योजना
क्या बोले बसंत कुर्रे
भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल एमपी के सचिव आईएएस बसंत कुर्रे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कर्मकार मंडल की बोर्ड बैठक में प्रचार प्रसार के संबंध में प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। आवश्यकता के आधार पर ही फ्लेक्स बोर्ड की संख्या बढ़ाई या घटाई जा सकती सकती है। किसी भी नियम का उल्लंघन हुआ हो ऐसा नहीं है।
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