बैतूल : नदी पार था ससुराल, पति को छोड़ महिला बोली- पुल बनने पर आऊंगी

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आज भी ऐसा गांव है, जहां पहुंचने के लिए नदी नाले पार करना पड़ता है। इसी के साथ  विकासखंड बैतूल की ग्राम पंचायत सावंगा के ताप्ती नदी किनारे बसे सिहार गांव से एक अनोखा मामला सामने आया है।

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Dolly patil
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आपने टॉयलेट-एक प्रेम कथा मूवी देखी होगी। इस फिल्म में घर के अंदर शौचालय बनवाने को लेकर पति-पत्नी के बीच की नोक-झोंक भी आपने देखी होगी। इस तरह का ही एक मामला मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से सामने आया है। दरअसल यहां आज भी ऐसा गांव है, जहां पहुंचने के लिए नदी-नाला पार करना पड़ता है। इसी के साथ विकासखंड बैतूल की ग्राम पंचायत सावंगा के ताप्ती नदी किनारे बसे सिहार गांव से एक अनोखा मामला सामने आया है। दरअसल यहां पत्नी ने पति का साथ सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि गांव में जाने से पहले उन्हें ताप्ती नदी पार करना पड़ता है। 

पुल नहीं होने के कारण नदी में पानी का बहाव तेज होने की स्थिति में चक्कर लगाकर गांव पहुंचना पड़ता था। राशन के लिए भी बरसात में गांव का संपर्क दूसरे गावों से कट जाता है। ऐसे में उन्हें कई परेशानी होती है।

पहले भी हुआ ऐसा मामला

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में मूलभूत सुविधाएं ना होने के चलते पति का घर छोड़ने का ये पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी भीमपुर ब्लॉक के ग्राम झीटूढाना में घर में टॉयलेट न होने के कारण एक महिला ने ससुराल छोड़ दिया था।

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कब हुई थी शादी 

बैतूल जिले के सिहार गांव निवासी अनिल पाड़लीवार ने बताया कि उसकी पत्नी सुमित्रा बीजादेही ( शाहपुर ) की निवासी है। पत्नी ने सिर्फ इसलिए साथ छोड़ दिया कि ताप्ती नदी पर पुल नहीं है, लेकिन अब उसने बताया कि जिस दिन ताप्ती नदी पर पुल बन जाएगा मैं खुद ही ससुराल चली आऊंगी। जानकारी के मुताबिक सुमित्रा सात महीने से अपने मायके में रह रही है। डेढ़ साल पहले ही उसका विवाह अनिल से हुआ था। 

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बरसात में होती है ज्यादा परेशानी

गावं के मंगल परमार बताते हैं बरसात में पूरे चार माह परेशानी होती है। उन्हें अगर राशन लेना है तो पहाड़ी से दो किलोमीटर चढ़ने के बाद जंगल के रास्ते से दस किलोमीटर दूर सावंगा जाना पड़ता है।

बरसात में किसी महिला को प्रसव के लिए बैतूल या सेहरा स्वास्थ्य केंद्र ले जाना हो तो जननी एक्सप्रेस पहाड़ी के दूसरी तरफ खड़ी रहती है और गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर पहाड़ी चढ़ना होता है फिर दस किलोमीटर दूर सेहरा नहीं तो जिला मुख्यालय बैतूल जो कि इस गांव से लगभग पच्चीस किलोमीटर दूर है।

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