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BHOPAL. भोपाल एम्स में हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि वर्मा ने आत्महत्या का प्रयास किया था। इस घटना ने डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर दबाव को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। वहीं, रविवार, 14 दिसंबर को एम्स प्रशासन और स्वास्थ्य मंत्रालय की एक आपात बैठक हुई।
बैठक में यह तय हुआ कि इस मामले की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाएगी। साथ ही, ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग के एचओडी डॉ. मोहम्मद यूनुस को पद से हटा दिया गया।
एम्स के टॉक्सिक वर्क कल्चर की होगी जांच
रविवार को हुई इस आपात बैठक में डॉ. रश्मि के आत्महत्या करने की कोशिश के कारणों पर चर्चा की गई। प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया और माना कि ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग का काम का माहौल इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसके साथ ही, प्रशासनिक दबाव को भी इस घटना का कारण माना गया।
इमरजेंसी विभाग के एचओडी को पद से हटाया
बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है। इसके तहत, ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग के एचओडी डॉ. मोहम्मद यूनुस को पद से हटा दिया गया है। अब वे एनेस्थीसिया विभाग में डॉ. वैशाली के अधीन काम करेंगे। इस कदम से प्रशासन ने यह संकेत दिया कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
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ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग को बांटा गया
साथ ही, एक और अहम फैसला लिया गया है। इसके तहत, ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन को अलग किया गया है। ट्रॉमा विभाग अब न्यूरो सर्जरी विभाग के तहत काम करेगा। इमरजेंसी मेडिसिन को अब मेडिसिन विभाग के तहत अलग से चलाया जाएगा।
हाई लेवल कमेटी के जरिए होगी गोपनीय जांच
बैठक में यह तय किया गया कि डॉ. रश्मि के आत्महत्या प्रयास की जांच होगी। इसके लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाएगी, जो गोपनीय जांच करेगी। कमेटी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी। जांच में वर्क प्लेस स्ट्रेस, गुटबाजी और प्रशासनिक दबाव जैसी परिस्थितियों की समीक्षा की जाएगी।
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हाइ डोज से सात मिनट तक रुका था दिल
रविवार को सामने आई रिपोर्ट ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। एम्स अधिकारियों के अनुसार, डॉ. रश्मि ने बहुत ज्यादा एनेस्थीसिया लिया था। इस कारण उनका दिल लगभग सात मिनट तक रुक गया था। बाद में एमआरआई रिपोर्ट में पता चला कि उनके मस्तिष्क की कोशिकाएं गंभीर रूप से डैमेज हो गई हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति ग्लोबल हाइपोक्सिया ब्रेन नामक गंभीर चिकित्सा स्थिति का परिणाम है। इसमें मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह स्थायी नुकसान का कारण बन सकती है।
पहले से दर्ज की गई थी शिकायतें
इससे पहले ट्रॉमा विभाग में काम करने वाली डॉ. श्रुति ने डॉ. यूनुस के खिलाफ शिकायत की थी। इस शिकायत की रिपोर्ट अब तक लंबित है। नई जांच समिति इस मामले को भी देखेगी। साथ ही, गुटबाजी, नोटिस कल्चर और स्टाफ पर दबाव जैसी समस्याओं की भी जांच होगी।
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अन्य विभागों पर भी हो सकती है कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, एम्स प्रशासन अब सिर्फ ट्रॉमा विभाग तक सीमित नहीं रहेगा। वे नेफ्रोलॉजी और ऑप्थैल्मोलॉजी से जुड़ी शिकायतों की भी जांच करेंगे। इसके अलावा, जिन डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने या खास संस्थानों से दवाइयां लिखवाने का दबाव है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
आखिर क्या हुआ था भोपाल एम्स में…
TheSootr को मिली जानकारी के अनुसार 10 सितंबर 2025 की शाम करीब पांच बजे उन्हें एक नोटिस दिया गया था।
नोटिस था- ‘सीरियस मिसकंडक्ट’ का… डॉ. रश्मि ने आखिर ऐसा क्या किया था, जो ऐसा नोटिस जारी किया गया? इधर अपने लिखित जवाब में डॉ. रश्मि ने इस नोटिस को अपमानजनक बताया था।
उन्होंने कहा कि यह भाषा उनके लिए बेहद पीड़ादायक और झकझोरने वाली थी। उन्होंने साफ किया कि उन्होंने जानबूझकर कोई नियम नहीं तोड़ा था। नोटिस के बाद वे गहरे तनाव में चली गईं थी।
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