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भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में बन रहे रेल ओवरब्रिज (आरओबी) को लेकर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप सामने आए हैं। कांग्रेस के एक नेता ने इस मामले में लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में 6 वरिष्ठ पीडब्ल्यूडी अधिकारियों और एक ठेकेदार के खिलाफ नामजद एफआईआर की मांग की गई है।
तय समय में नहीं बन सका ब्रिज
शिकायत के मुताबिक, ऐशबाग आरओबी का निर्माण कार्य वर्ष 2022 में शुरू हुआ था और इसे 18 महीनों में पूरा किया जाना था, लेकिन वर्ष 2025 तक भी ब्रिज अधूरा पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माण में देरी का कारण भ्रष्टाचार और तकनीकी अनदेखी है, जिससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ बल्कि जनता की सुरक्षा से भी खिलवाड़ किया गया।
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18 करोड़ का बजट, भ्रष्टाचार में फंसी परियोजना
शिकायतकर्ता मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने दावा किया कि ऐशबाग आरओबी भोपाल की अनुमानित लागत 18 करोड़ रुपए थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने "90 डिग्री का मोड़" देकर इस ब्रिज को तकनीकी रूप से असुरक्षित बना दिया और भ्रष्टाचार का नया उदाहरण पेश किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पुल "सीधे स्वर्ग ले जाने वाला आरओबी" बन गया है, जिसमें निर्माण की गुणवत्ता बेहद घटिया रही है।
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NHAI की रिपोर्ट में भी उजागर हुई खामियां
एनएचएआई द्वारा की गई निरीक्षण रिपोर्ट में भी कई गंभीर तकनीकी अनियमितताएं सामने आई हैं। राकेश यादव ने कहा कि यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है और इसके जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार पर तत्काल एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
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इन पर की गई नामजद शिकायत:
के.पी.एस. राणा - इंजीनियर इन चीफ, पीडब्ल्यूडी
जी.पी. वर्मा - चीफ इंजीनियर (सेतू)
जावेद शकील - कार्यपालन यंत्री
रवि शुक्ला - एसडीओ
संजय खाड़े - चीफ इंजीनियर
आर.के. मेहरा - ईएनसी, पीडब्ल्यूडी
मेसर्स पुनीत चड्ढा - ठेकेदार
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तत्काल कार्रवाई की मांग
राकेश सिंह यादव ने अपनी शिकायत में लिखा है कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव भले ही जांच की बात कह रहे हों, लेकिन मामला साफ तौर पर भ्रष्टाचार की गहराई और अधिकारियों की मिलीभगत को दर्शाता है। उन्होंने लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू से मांग की है कि तत्काल एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
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