आयुष्मान अस्पताल पर एमपी सरकार की सख्ती, यदि यह सर्टिफिकेट नहीं रहा तो योजना से होंगे बाहर

सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों के लिए एक कड़ा निर्देश जारी किया है। इसके अनुसार, 1 अप्रैल 2026 से एनएबीएच (NABH) सर्टिफिकेट न होने पर अस्पताल आयुष्मान योजना से बाहर हो जाएंगे।

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Amresh Kushwaha
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सरकार ने अब आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों के लिए एक सख्त निर्देश जारी किया है। इसके अनुसार, 1 अप्रैल 2026 से केवल वही अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत इलाज कर सकेंगे, जिनके पास एनएबीएच (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स) का फाइनल लेवल क्वालिटी सर्टिफिकेट होगा। यह सर्टिफिकेट अस्पतालों के लिए एक अहम प्रमाणपत्र माना जाता है, जो उनके इलाज की गुणवत्ता और सेवाओं की स्तरता को सुनिश्चित करता है।

एमपी में केवल 295 को मिला सर्टिफिकेट

मध्यप्रदेश में कुल 984 सरकारी और 640 प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इन सभी में से केवल 295 अस्पतालों को एनएबीएच सर्टिफिकेट प्राप्त है। इसी तरह भोपाल में 29 सरकारी और 194 प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान से जुड़े हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 85 अस्पतालों को एनएबीएच सर्टिफिकेट मिला है। सरकार के निर्देश के अनुसार, जिन अस्पतालों के पास यह सर्टिफिकेट नहीं है, उन्हें 31 मार्च 2026 तक इसे हासिल करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उनकी आयुष्मान योजना से संबद्धता समाप्त कर दी जाएगी।

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90% अस्पताल नहीं कर पाएंगे मानक पूरा

अस्पताल संचालकों का कहना है कि अधिकतर आयुष्मान अस्पताल इस मानक को पूरा नहीं कर पाएंगे। उनका कहना है कि बुखार, डेंगू, टायफाइड जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए आयुष्मान कार्डधारक अस्पतालों में आते हैं। यदि ये अस्पताल मानक पूरा नहीं कर पाते, तो उन्हें इन सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा। इससे मरीजों को परेशानी हो सकती है। अस्पतालों का यह भी कहना है कि बड़े अस्पतालों में छोटी बीमारियों का इलाज करने से अक्सर कतराते हैं। ऐसे मामलों में मरीज भी बड़े अस्पतालों तक नहीं पहुंचते हैं।

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एनएबीएच सर्टिफिकेट की खबर को एक नजर में समझें...

  • आयुष्मान भारत योजना के नए निर्देश: 1 अप्रैल 2026 से केवल वे अस्पताल जो एनएबीएच (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स) का फाइनल लेवल क्वालिटी सर्टिफिकेट प्राप्त करेंगे, आयुष्मान योजना के तहत इलाज कर सकेंगे।

  • मध्यप्रदेश में सर्टिफिकेट की कमी: मध्यप्रदेश में कुल 984 सरकारी और 640 प्राइवेट अस्पतालों में से केवल 295 अस्पतालों को एनएबीएच सर्टिफिकेट प्राप्त है।

  • 31 मार्च 2026 तक सर्टिफिकेट अनिवार्य: सरकार ने निर्देश दिया है कि जिन अस्पतालों के पास एनएबीएच सर्टिफिकेट नहीं है, उन्हें 31 मार्च 2026 तक इसे प्राप्त करना होगा, अन्यथा उनकी आयुष्मान योजना से संबद्धता समाप्त कर दी जाएगी।

  • 90% अस्पताल मानक नहीं पूरा कर पाएंगे: अस्पताल संचालकों का कहना है कि अधिकतर आयुष्मान अस्पताल एनएबीएच के मानकों को पूरा नहीं कर पाएंगे, जिससे मरीजों को परेशानी हो सकती है।

  • एनएबीएच सर्टिफिकेट का महत्व: एनएबीएच सर्टिफिकेट अस्पतालों के सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ की योग्यताओं, और इलाज की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है, और केवल वे अस्पताल इसे प्राप्त कर सकते हैं जो सभी मानकों को पूरा करते हैं।

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बड़े अस्पतालों में इलाज से बचने मरीज

भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे बड़े शहरों के अस्पतालों में केवल गिने-चुने ही एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में से अधिकांश सामान्य बीमारियों का इलाज करने में रुचि नहीं रखते। इसके पीछे कारण यह है कि यह अस्पताल अधिकतर जटिल सर्जरी और गंभीर बीमारियों का इलाज करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए आयुष्मान कार्डधारक अक्सर छोटे अस्पतालों में जाने को प्राथमिकता देते हैं।

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शिकायतों के बाद कड़ा कदम

सरकार ने यह सख्त कदम कई अस्पतालों से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया है। कुछ अस्पतालों के खिलाफ यह शिकायतें मिली थीं कि उनके पास जितने बेड थे, उतने बेड उपलब्ध नहीं थे। इन शिकायतों की पुष्टि निरीक्षण के दौरान की गई। इसी वजह से सरकार ने एनएबीएच सर्टिफिकेट को अनिवार्य करने का फैसला लिया।

जानें एनएबीएच सर्टिफिकेट क्या है?

एनएबीएच सर्टिफिकेट (NABH Certificate) अस्पतालों का सर्वोच्च ग्रेड माना जाता है। यह 600 से अधिक मानकों पर अस्पतालों की जांच करता है। इसमें अस्पतालों के सुरक्षा मानक, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ की योग्यताएँ, प्रक्रियाओं और डॉक्यूमेंटेशन का विशेष ध्यान रखा जाता है। एनएबीएच सर्टिफिकेट केवल उन्हीं अस्पतालों को मिलता है जो इन मानकों को पूरा करते हैं, और यह मरीजों को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण इलाज सुनिश्चित करने में मदद करता है।

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