भोपाल कलेक्टर के खिलाफ वारंट जारी होने में थी वकील की गलती, HC ने कहा कार्रवाई करो

भोपाल कलेक्टर, कौशलेंद्र विक्रम सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया गया था, क्योंकि उन्होंने रेरा भोपाल द्वारा जारी RRC से जुड़े आदेश का पालन नहीं किया था।

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Neel Tiwari
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भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के हाईकोर्ट में पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किया गया था। इसका कारण शासन की ओर से अधिवक्ता की गलती थी। अब हाईकोर्ट ने भोपाल कलेक्टर को ही निर्देश दिया है कि उक्त अधिवक्ता पर कार्रवाई की जाए।

रेरा भोपाल के द्वारा जारीमसे जुड़े एक हाईकोर्ट के आदेश का पालन ना करने पर भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के खिलाफ अवमानना का मामला दायर किया गया था। 25 फरवरी को मामले की हुई सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष से किसी भी अधिवक्ता के पेश न होने के बाद कोर्ट ने भोपाल कलेक्टर के खिलाफ 500 रुपए का जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें पेश होने का आदेश दिया था। इस मामले में अब हाईकोर्ट ने उस अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं जो कोर्ट में पेश नहीं हुए थे।

रेरा के मुआवजा आदेश से जुड़ा है मामला

ग्वालियर निवासी भानु प्रताप सिंह की भोपाल की एक प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ रेरा ने रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट पारित किया था। भोपाल कलेक्टर को लगभग 70 लाख रुपए के भुगतान की इस RRC का निष्पादन करना था। इस आरआरसी का भुगतान न होने के बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। जिसमें 10 जुलाई 2023 को जस्टिस विवेक अग्रवाल के द्वारा भोपाल कलेक्टर को इस आरआरसी के निष्पादन के लिए आदेश दिया गया था। लेकिन इस आदेश के भी पालन ना होने के बाद भानु प्रताप सिंह ने भोपाल कलेक्टर के खिलाफ अवमानना का मामला दायर किया। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ। इसके बाद, हाईकोर्ट ने भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के खिलाफ 500 का जमानती वारंट जारी किया। कोर्ट ने उन्हें पेश होने के लिए आदेश दिया था।

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वकील पर एक्शन लें कलेक्टर - HC

बुधवार को ही सुनवाई में भोपाल कलेक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट में पेश हुए। हाईकोर्ट में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भोपाल कलेक्टर से पूछा कि आपने कैसे वकील इंगेज किए हुए हैं, इनके खिलाफ एक्शन लीजिए। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि 25 फरवरी 2025 को प्रतिवादी की ओर से किसी अधिवक्ता यह प्रस्तुत न होने के कारण कोर्ट ने जिला कलेक्टर की उपस्थिति के लिए वारंट जारी किया था। शासन की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में मुख्य काउंसिल आयुष देव बाजपेई हैं, जो कोर्ट के समक्ष पेश होने में असफल रहे थे। जिसके कारण भोपाल कलेक्टर की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी किया गया था। क्योंकि भोपाल कलेक्टर वीडियो कॉम्फ्रेंस के जरिए उपस्थित हो गए हैं इसलिए उनकी उपस्थिति दर्ज की जाती है। इसके साथ ही भोपाल कलेक्टर को निर्देश दिए जाते हैं कि आयुष देव बाजपेई के खिलाफ कोर्ट के समक्ष पेश ना होने के लिए एक्शन लिया जाए। साथ ही बार काउंसिल में भी प्रोफेशनल मिसकंडक्ट की शिकायत दर्ज कराई जाए क्योंकि उन्होंने अपनी जगह किसी और की उपस्थिति भी सुनिश्चित नहीं की थी। भोपाल कलेक्टर को इस कार्यवाही की रिपोर्ट 7 दिनों में हाईकोर्ट में सबमिट करने के लिए निर्देशित किया गया है।

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अब एचपी वर्मा पर लटकी अवमानना की तलवार

आगे हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने जब यह पूछा कि मुख्य आदेश का पालन कब तक किया जाएगा। तब शासन की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि जिस RRC का निष्पादन किया जाना है उस पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लगी हुई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का कोई भी आदेश कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया था। अब जस्टिस अग्रवाल ने आदेश दिया है कि एच पी वर्मा डिप्टी सेक्रेटरी एमपी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी भोपाल के पत्र के अनुसार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्टे आदेश है, तो इस आदेश को एक दिन में कोर्ट में पेश किया जाए। वरना अब एमपी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी भोपाल के डिप्टी सेक्रेटरी एच पी वर्मा के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया जाएगा। अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार 13 मार्च को तय की गई है।

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