भोपाल लव जिहाद केस : गरीब और अनाथ छात्राओं को ही जाल में फंसाता था गिरोह

भोपाल के टीआइटी कॉलेज में जिहादी गिरोह ने कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की छात्राओं को निशाना बना कर दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग की वारदातें की। पांच छात्राओं ने एफआइआर दर्ज कराई है।

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Jitendra Shrivastava
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bhopal-love-jihad-gang Photograph: (thesootr)

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भोपाल के टीआइटी कॉलेज में एक जिहादी गिरोह द्वारा की गई घिनौनी वारदातें सामने आई हैं, जिसमें आरोपितों ने अनाथ और कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति की हिंदू छात्राओं को भावनात्मक जाल में फंसा कर उनके साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग की घटनाओं को अंजाम दिया। पांच पीड़िताओं ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कराई है, और जांच में कॉलेज प्रशासन की मिलीभगत के संकेत भी मिले हैं। यह मामला शहर के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इसमें ना सिर्फ छात्राओं की सुरक्षा, बल्कि कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी भी सवालों के घेरे में है।

गिरोह का ऐसे शिकार बनीं छात्राएं

टीआइटी कॉलेज में हुए इस दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के मामले में पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि गिरोह मुख्य रूप से ऐसी छात्राओं को निशाना बनाता था जिनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कमजोर थी। इन छात्राओं में से तीन का माता-पिता पहले ही निधन हो चुका था और वे अपनी पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लेने आई थीं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के मुख्य आरोपित फरहान ने इन छात्राओं की निजी जानकारी हासिल की और धीरे-धीरे दोस्ती का झूठा भरोसा दिलाया।

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भावनात्मक जाल में फंसाता था गिरोह

पुलिस पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि फरहान और उसके साथी छात्राओं के साथ दोस्ती करने का बहाना बनाकर उन्हें अपने जाल में फंसा लेते थे। एक पीड़िता ने बताया कि वह बचपन में ही अपने माता-पिता को खो चुकी थी और उसे टीआइटी कॉलेज में दाखिला लेने में रिश्तेदारों ने मदद की थी। फरहान ने उसकी कमजोर स्थिति का फायदा उठाया और धीरे-धीरे उसे अपने साथ लेकर होटल और अन्य स्थानों पर ले जाता था, जहां उसके अन्य साथी मौजूद रहते थे। इसी दौरान पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया गया और बाद में वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया गया।

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कमजोर स्थिति वाली छात्राएं निशाना

जांच में यह भी पता चला कि यह गिरोह जानबूझकर कमजोर पृष्ठभूमि वाली हिंदू छात्राओं को निशाना बनाता था। खासतौर पर ऐसे छात्राओं को चुना जाता था जो गांवों से आती थीं या जिनके परिवार की निगरानी कम थी। इन छात्राओं को भावनात्मक सहारे का लालच देकर गिरोह अपनी चाल चलता था। इन लड़कियों की जानकारी एक सुनियोजित तरीके से जुटाई जाती थी, और जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि कॉलेज प्रशासन के कुछ लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

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गिरोह के पैटर्न की जांच

पुलिस के अनुसार, गिरोह का काम पूरी तरह से सुनियोजित था। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से शिकार बनी छात्राएं नए छात्रों की जानकारी गिरोह को देती थीं। गिरोह कॉलेज में प्रवेश लेने वाली नई छात्राओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाता था और उन्हें अपनी योजनाओं का शिकार बनाता था। फरहान और उसके साथी पहले इन छात्राओं को अकेला महसूस कराकर उनके साथ दोस्ती करते और फिर उनका शोषण करते थे।

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आगे की जांच और कार्रवाई

पुलिस इस मामले में गिरोह के अन्य सदस्य और कॉलेज प्रशासन से जुड़े लोगों की जांच कर रही है। इसके अलावा, यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस गिरोह को किसने फंडिंग की और उनका लाइफस्टाइल कैसे इतना महंगा था। डीसीपी प्रियंका शुक्ला को आरोपियों के पनाहगारों के खिलाफ कार्रवाई करने का जिम्मा सौंपा गया है।

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