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BHOPAL.भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय प्रबंधन के हस्तक्षेप के बाद पूर्व छात्र आदित्य कुमार दुबे को ट्रांसफर सर्टिफिकेट मिल गया। हालांकि, इसके लिए पूर्व छात्र को लगभग एक महीने तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। शुक्रवार को यह ट्रांसफर सर्टिफिकेट पूर्व छात्र को जारी कर दिया गया।
बिहार के एक अखबार में विश्वविद्यालय की अव्यवस्था से संबंधित समाचार प्रकाशित करने की वजह पूर्व छात्र का सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा रहा था। छात्र और विभागाध्यक्ष के बीच इस संबंध में बातचीत का ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
पहले जारी किए गए ट्रांसफर सर्टिफिकेट में छात्र आदित्य दुबे का सामान्य आचरण बुरा (BAD) बताया गया था। यह ट्रांसफर सर्टिफिकेट 9 अक्टूबर 2025 को जारी किया गया था।
वहीं, 10 अक्टूबर को जारी किए ट्रांसफर सर्टिफिकेट में आदित्य दुबे को सामान्य आचरण में अच्छा (GOOD) दिखाया गया है।
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डेढ़ महीने तक रूका रहा सर्टिफिकेट
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (एमसीयू) देश का प्रमुख संस्थान है। यहां से कई नामचीन पत्रकार तैयार हुए हैं। लेकिन, विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले छात्र आदित्य कुमार दुबे की ओर से व्यवस्था पर सवाल उठाने वाले समाचार लिखना यूनिवर्सिटी को अच्छा नहीं लगा। एमसीयू में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विभागाध्यक्ष मोनिका वर्मा ने करीब डेढ़ महीने पहले आदित्य कुमार की ओर से किए गए स्थानांतरण और चरित्र प्रमाण पत्र के आवेदन को रोक दिया। यानी निष्पक्ष पत्रकारिता के जो सिद्धांत आदित्य कुमार को पढ़ाए गए थे। उन्हें प्रतिष्ठा का विषय बनाकर एमसीयू प्रबंधन ने ही उस पर विचार नहीं किया।
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विभागाध्यक्ष ने बनाया दवाब
बिहार के चंपारण नीति अखबार के पत्रकार और पूर्व छात्र आदित्य कुमार पर दवाब बनाने के लिए एमसीयू ने सारी हदें पार कर दीं। केवल उसका ट्रांसफर सर्टिफिकेट ही नहीं रोका गया बल्कि उस पर अनुशासनहीन होने की टीप दर्ज कर करियर से खिलवाड़ करने की कोशिश भी की गई।
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आदित्य कुमार ने द सूत्र को बताया कि विभागाध्यक्ष मोनिका वर्मा ने उन पर समाचार प्रकाशित करने पर माफीनामा लिखकर लेने का दवाब बनाया था। जब वे इसके लिए तैयार नहीं हुए तो 9 अक्टूबर 25 को ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी कर उस पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और अनुशासनहीन होने की टीप लगा दी। हालांकि बाद में मामला चर्चा में आने और कुलगुरू के हस्तक्षेप से अगले ही दिन 10 अक्टूबर 25 को इस टीप को हटाकर नया सर्टिफिकेट जारी कर उन्हें ई-मेल के जरिए भेज दिया गया।
द सूत्र की टीम ने पूरे मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विभागाध्यक्ष मोनिका वर्मा से बात करने की कोशिश की। हालांकि, उनकी ओर से किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।