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BHOPAL. देश के प्रमुख पत्रकारिता संस्थान माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में अब पत्रकार नहीं गढ़े जा रहे, चाटुकार तैयार किए जा रहे हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि उस ऑडियो की चुगली है जिसमें विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष एक पत्रकार से बात कर रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो दो दिन पहले मोबाइल पर हुई बातचीत का है। समाचारों में विश्वविद्यालय की आलोचना प्रकाशित करने की वजह से इस पत्रकार का चरित्र और स्थानांतरण पत्र रोका गया था। विभागाध्यक्ष ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के इस पूर्व छात्र पर माफीनामा देने का दवाब बनाया। यही नहीं ऑडियो में विभागाध्यक्ष द्वारा विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर निकले देश के नामचीन पत्रकारों की खबरों की निगरानी की बात भी कही गई है।
पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए मध्य प्रदेश का माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान रखता है। विश्वविद्यालय ने देश को कई नामचीन पत्रकार दिए हैं लेकिन अब प्रबंधन में बैठे लोग ही इसकी साख पर बट्टा लगा रहे हैं।
बिहार के चंपारण नीति अखबार के पत्रकार आदित्य कुमार दुबे ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस ऑडियो की पुष्टि की है। उनका कहना है एक माह से भी पहले उन्होंने एमसीयू को मेल के जरिए चरित्र एवं स्थानांतरण प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। उनका आवेदन इस वजह से रोककर रखा गया था क्योंकि उनके द्वारा एमसीयू की अव्यवस्था उजागर करने समाचार प्रकाशित किए गए थे।
जो सिखाया उसी पर ऐतराज
एमसीयू में पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों के साथ ही अव्यवस्था को उजागर करने की सीख भी दी जाती है, लेकिन प्रबंधन को अब अपनी ही सीख पर ऐतराज है। व्यवस्थागत समस्या समाचार के माध्यम से उजागर करने की वजह से आदित्य एमसीयू की विभागाध्यक्ष मोनिका वर्मा के निशाने पर आ गए।
मोबाइल पर छात्र के साथ हुई बातचीत में भी विभागाध्यक्ष साफ तौर पर यह कहती भी सुनाई दे रही है। वे कह रही है कि एक छात्र होते हुए आप विश्वविद्यालय और विभाग की छवि को धूमिल कर रहे हैं। या तो आप पत्रकारिता कर लीजिए अच्छे से फिर, विश्वविद्यालय ऐसे किसी भी छात्र को टीसी देने से पहले सोचेगा दस बार। आप बिंदास कुछ भी लिखते हैं।
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दबाव बनाने रोका सर्टिफिकेट
एमसीयू से डिग्री लेने वाले प्रदेश और देश के मीडिया संस्थानों में काम कर रहे पत्रकारों की निगरानी भी प्रबंधन द्वारा कराई जा रही है। पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के संबंध में लिखे जाने वाले समाचारों की स्कैनिंग हो रही है। इसी वजह से आदित्य कुमार दुबे का नाम प्रबंधन की नजर में आया था।
आदित्य कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष उन पर दबाव बना रही थीं। विभागाध्यक्ष मोनिका वर्मा ने उनसे कहा था कि ऐसे ही समाचार लिखने की वजह से ही उनका ट्रांसफर सर्टिफिकेट रोका गया है। वे लिखित में स्पष्टीकरण दें कि समाचार भूलवश लिखे थे अब ऐसा नहीं होगा। ऐसा आश्वासन देने पर ही सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है।
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ऐसे पत्रकार बनाएगा एमसीयू !
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ही समाचार लिखने से रोकने के लिए सर्टिफिकेट अटकाना व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। एमसीयू में जब छात्रों पर ऐसे दबाव बनाया जाएगा तो यहां से वे पत्रकार नहीं चाटुकार बनकर ही निकल पाएंगे।
एचओडी वर्मा ने नहीं की बात
देश में अलग पहचान रखने वाले विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष मोनिका वर्मा से छात्र को सर्टिफिकेट न देने और सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो के संबंध में बात की तो उनका कहना था वे फिलहाल किसी काम से मुंबई आई हैं और अभी वे इस संबंध में बात नही कर पाएंगी।