बड़े अफसरों के ड्राइवर-रसोइयों ने सरकारी मकान पर किए कब्जे, संपदा कर्मचारी वसूल रहे थे किराया

मध्यप्रदेश के भोपाल में सरकारी महकमों की लापरवाही का नमूना सामने आया है। बड़े अफसरों के वाहन चालक, रसोइए और घरेलू कर्मचारियों ने सरकारी मकानों के ताले तोड़कर उन पर कब्जा कर लिया। इसकी भनक तक सरकार को नहीं लगी...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. भोपाल में सरकार की नाक के नीचे बड़े अफसरों के ड्राइवर, रसोइए और घरेलू कर्मचारियों ने सरकारी मकानों के ताले तोड़कर कब्जे कर लिए। इस पर हद ये है कि इन अवैध कब्जेधारियों से संपदा कर्मचारी किराया वसूली कर रहे थे। सरकारी महकमे की लापरवाही देखिए कि सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी। 'द सूत्र' इस बड़े मामले का खुलासा कर रहा है, पढ़िए कैसे बड़े अफसरों के सेवकों ने सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा किया।

'द सूत्र' के पास 19 मकानों की सूची 

दरअसल, भोपाल के 1100 क्वाटर के सरकारी मकानों पर सचिव स्तर के अफसरों के यहां तैनात ड्राइवर और रसोइयों ने ताले तोड़कर रहने लगे। लंबे समय से इन मकानों में ये लोग अवैध तौर पर रह रहे हैं। कुछ समय पहले एक शिकायत गृह विभाग के सचिव संजय दुबे को मिली। दुबे ने जब शिकायत के आधार पर अधिकारियों को मामले की जांच करने के निर्देश दिए तो संपदा कर्मचारियों की किराया वसूली की पोल खुल गई। इसी तरह भरत नगर क्षेत्र में भी सरकारी आवासों पर अफसरों के कर्मचारियों ने अवैध कब्जे किए थे। 'द सूत्र' के पास ऐसे 19 मकानों की सूची मौजूद है जिसमें मकान नंबर सहित अवैध कब्जा होना दर्ज है।

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आनन-फानन में बेदखली 

गृह विभाग के दखल के बाद 19 मकानों में अवैध रूप से रह रहे कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है। जानकारी है कि इन्हें बेदखल कर दो लोगों पर मामला भी दर्ज करवाया जाएगा। हालांकि, अब तक उन संपदा के कर्मचारियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई है जिन्होंने अवैध कब्जेधारियों से मकान का किराया वसूल किया है।

अब समझिए जिम्मेदार कौन ?

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास सुविधा देने के लिए सरकार विभिन्न इलाकों में मकान निर्माण कराती है। इन मकानों के आवंटन और खाली कराने की जिम्मेदारी संपदा विभाग की होती है। मकान की मरम्मत और अन्य कार्य पीडब्ल्यूडी विभाग के जिम्मे होता है, जबकि इनकी मॉनिटरिंग गृह विभाग करता है। सरकारी आवास में ताला तोड़कर अवैध रूप से रहने के मामले में संपदा और पीडब्ल्यूडी विभाग ने गृह विभाग को जानकारी नहीं दी या यूं कहें कि भनक ही नहीं लगने दी। गृह विभाग के सूचना तंत्र भी इतना कमजोर साबित हुआ कि सरकारी मकानों पर अवैध कब्जे हो गए और अधिकारियों तक खबर भी नहीं पहुंची।

और कितने मकानों पर अवैध कब्जे

फिलहाल हुई जांच में 19 मकानों पर अवैध कब्जे होना सामने आया है। यदि पूर्ण रूप से जांच की जाएगी तो 1100 क्वाटर, भरत नगर में अन्य मकानों में भी अफसरों के कर्मचारी अवैध रूप से रहते हुए पाए जा सकते हैं।

'द सूत्र' का सवाल के पांच सवाल...

  1. क्या नियम और कानून सिर्फ आम आदमी के लिए हैं।
  2. सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करना कानूनी अपराध है तो कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं।
  3. सरकारी विभाग संपदा के कर्मचारियों को बचाने के लिए लीपापोती क्यों कर रहा है।
  4. क्या इस मामले में संपदा के उच्च अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं होती।
  5. संपदा के कर्मचारियों से क्या किराए की वसूली नहीं होनी चाहिए?

इस तरह से है 19 मकानों की सूची...

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सरकारी मकान पर किए कब्जे :

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