अधिकारों में कटौती पर तमतमाए सरपंच, सरकार को दी चेतावनी
सरपंचों ने एक बार फिर भोपाल में डेरा जमा लिया है। राष्ट्रीय सरपंच संघ तुलसी नगर स्थित अंबेडकर पार्क में अनशन कर धरना दे रहे हैं। तीन दिनों से चल रहे अनशन के बावजूद अब तक इसे खत्म कराने कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।
Bhopal Panchayat Sarpanch powers cut Protest Photograph: (the sootr)
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BHOPAL : पंचायतों की अनदेखी से नाराज प्रदेश भर के सरपंचों ने एक बार फिर भोपाल में डेरा जमा लिया है। राष्ट्रीय सरपंच संघ तुलसी नगर स्थित अंबेडकर पार्क में अनशन कर धरना दे रहे हैं। तीन दिनों से चल रहे अनशन के बावजूद अब तक इसे खत्म कराने कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से अनशन और धरने में शामिल होने सरपंच पहुंच रहे हैं। सरपंचों का आरोप है सरकार पंचायती राज व्यवस्था को जानबूझकर कमजोर कर रही है। National Sarpanch Association ने प्रदेश सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश के 23 हजार पंचायतों की अनदेखी की जा रही है। यदि सरपंचों की मांगों को अनसुना किया जाता रहा तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। संघ आगे बढ़े आंदोलन की रणनीति बना रहा है।
मंत्री के आश्वासन भी रहे कोरे
National Sarpanch Association अध्यक्ष राजवीर सिंह तोमर का कहना है सरकार की अनदेखी के कारण पंचायती राज व्यवस्था कमजोर हुई है। जो सरपंच कमीशन नहीं देता, अफसरों के इशारे पर उसे कलेक्टर के जरिए धारा 40 का नोटिस थमा के पद से हटा दिया जाता है। उस पर केस दर्ज करा दिया जाता है। मनरेगा के काम उपयंत्री, सीईओ के जरिए होते हैं। कामों का सत्यापन से लेकर भुगतान सब अधिकारी के हाथों में होता है लेकिन किसी भी गड़बड़ी पर नोटिस देकर कार्रवाई Sarpanch पर की जाती है। ऐसी ही तमाम विसंगतियां हैं जिनसे सरपंचों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी ही समस्याओं को लेकर Sarpanch जुलाई और अक्टूबर में भी प्रदर्शन कर चुके हैं। तब सरकार की ओर से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने उन्हें आश्वस्त किया था। अधिकारियों को बैठाकर इन मांगों पर चर्चा भी हुई थी लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसलिए अब सरपंच अनशन और धरना देने विवश हुए हैं।
सरकार ने नल योजना ठेकेदारों को दे दी। उसका रिजल्ट जनता ने देख लिया है। सब ठप पड़ी हैं, पैसा पूरा खा गए। सरकार को लगता है Sarpanch दोषी हैं। सरपंच दोषी नहीं, ग्राम पंचायत दोषी नहीं, Sarpanch तो गांव का विकास कराना चाहते हैं। गरीब वृद्धजनों को पेंशन के लिए बीपीएल की अनिवार्यता कर दी है। बीपीएल सरपंच कैसे बना दे, उसके लिए तहसीलदार को 10 हजार रुपए चाहिए, गरीब 10 हजार कहां से दे देगा। ये अधिकार पंचायत के पास नहीं है। खाद्यान्न पर्ची सभी जरूरतमंदों को देना है लेकिन वो भी सरपंच नहीं बना सकते। सरकार ने गौ शालाओं को चलाने की घोषणा कर दी। एक गाय के लिए 40 रुपए देंगे लेकिन समय पर 20 रुपए भी नहीं मिलता। गायें मर रही हैं। इस पर एक मंत्री ने कहा सरपंचों पर एफआईआर होनी चाहिए। अरे भाई पहले मुख्यमंत्री-मंत्री के खिलाफ एफआईआर करो, इतनी हिम्मत है तो। आप भी तो विधायक बने, मंत्री बने, जनप्रतिनिधि हो। आप सिर्फ पेंशन लेने, तनख्वाह लेने का काम करोगे। बड़ी-बड़ी योजनाओं से कमीशन लेने का काम करोगे ओर सरपंच को जूते मारोगे। सरपंच पंचायती राज व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। उसे खत्म करना चाह रही है ये सरकार, इसलिए हम अनशन-धरना कर रहे हैं। सरकार ने पंचायतों के अधिकार ही खत्म कर दिए हैं।