BHOPAL. आबकारी के एक डिप्टी कमिश्नर अब पेंशन के साथ ही सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले दूसरे लाभ नहीं ले सकेंगे। शराब ठेकों के दस्तावेजों हेराफेरी के मामले के दोषी डिप्टी कमिश्नर की पेंशन और ग्रेच्युटी की राशि को सरकार ने राजसात करने का निर्णय लिया है। यानी भ्रष्टाचार और गड़बड़ी में लिप्त रहे अधिकारी और सहयोगी क्लर्क को पेंशन और अन्य लाभों से वंचित रहना होगा। केबिनेट बैठक के निर्णय के बाद आबकारी विभाग को भी निर्देशित कर दिया गया है।
सेवानिवृत्त कमिश्नर ने की थी हेराफेरी
भोपाल में कार्यरत रहे सेवानिवृत्त डिप्टी कमिश्नर विनोद रघुवंशी ने ठेकों के टेंडर के दस्तावेजों में हेराफेरी की थी। विनोद रघुवंशी साल 2002 से भोपाल में डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। इस हेराफेरी में शामिल रहे तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी आरके गोयल और क्लर्क ओपी शर्मा भी जिम्मेदार पाए गए थे। ठेकों के टेंडर के साथ जो पार्टनरशिप डीड जमा कराई गई थी उसे अधिकारी के इशारे पर बदल दिया गया। ठेकेदार को फायदा पहुंचाने 5 मार्च 2003 की पार्टनरशिप डीड की जगह एक साल बाद यानी 6 मार्च 2003 की नई पार्टनरशिप डीड टेंडर दस्तावेजों की फाइल में जोड़ दिया गया।
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खुलासे के बाद आबकारी विभाग द्वारा जांच कराई गई जिसमें तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर रघुवंशी और उनके सहयोगी पर लगे आरोप सही पाए गए। इसके बाद प्राथमिक जांच के बाद पुलिस द्वारा साल 2008 में विनोद रघुवंशी और आबकारी क्लर्क ओपी शर्मा पर अपराध दर्ज किया गया था। विभागीय दायित्वों के उल्लंघन और पद का दुरुपयोग कर की गई धांधली का यह मामला तब खूब चर्चा में रहा था।
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सेवानिवृत्त हो चुके हैं अधिकारी-क्लर्क
न्यायालय में सुनवाई जारी रहने के दौरान साल 2021 में विनोद रघुवंशी और उनका साथी क्लर्क सेवानिवृत्त हो गए। दो साल बाद साल 2023 में न्यायालय द्वारा दोनों को तीन-तीन साल की जेल और पांच-पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान का प्रकरण विभाग विभाग के सामने लंबित था। मप्र लोकसेवा आयोग से भी प्रशासकीय निर्णय पर सहमति प्रदान की गई। वहीं सीएम की सहमति के बाद पेंशन-ग्रेच्युटी भुगतान प्रकरण पर केबिनेट में चर्चा की गई। जिसमें मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के नियम 9(1) के तहत सेवानिवृत्त डिप्टी कमिश्नर और क्लर्क की पूरी पेंशन रोकने का निर्णय लिया गया है।
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