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मध्‍य प्रदेश

फर्जी बैंक खाते, करोड़ों का लेनदेन, भोपाल पुलिस ने ठगों को ऐसे दबोचा

भोपाल में फर्जी दस्तावेज बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यह गिरोह भोपाल के अलावा देश के कई शहरों में फर्जी बैंक खाते बनाकर लोगों से ठगी कर चुका है, लेकिन पुलिस ने अब इन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

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Raj Singh
17 Nov 2024 09:37 IST

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फर्जी दस्तावेज बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, इस गिरोह का पर्दाफाश भोपाल पुलिस ने किया है। इस सिलसिले में पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह बिहार का एक अंतरराज्यीय गिरोह है, जो फर्जी दस्तावेज बनाता है। जानकारी के मुताबिक पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी राजधानी में किराए के मकान में रह रहे थे जहां वे फर्जी काम में लगे हुए थे। आरोपियों ने इब्राहिमपुरा में एक कमरे में कॉल सेंटर भी बना रखा था, ताकि लोगों को आसानी से ठगा जा सके।

1800 फर्जी खातों को बेचा 

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ में पता चला कि इन सभी ने देश के 6 अलग-अलग शहरों में रहकर फर्जी दस्तावेज बनाए थे। इनमें इंदौर, भोपाल, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद जैसे बड़े शहर शामिल हैं। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने इन शहरों में फर्जी बैंक खाते बनाए थे। आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों पर बनाए गए 1800 खातों को बेचा भी है। पुलिस को इन खातों में करोड़ों रुपए के लेन-देन के सबूत मिले हैं।

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मामले की हो रही गहन जांच

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि आरोपी एक फर्जी अकाउंट को करीब 10 हजार रुपये में बेचते थे। साइबर जालसाज इन फर्जी अकाउंट का इस्तेमाल करते थे। पुलिस को आरोपियों द्वारा बेचे गए फर्जी अकाउंट में करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन के सबूत मिले हैं। इस संबंध में डीसीपी रियाज इकबाल ने बताया कि बड़ी संख्या में फर्जी बैंक अकाउंट आसानी से खुलने की वजह से बैंक कर्मचारियों, डाक कर्मचारियों और कई अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। धोखाधड़ी में बैंक कर्मचारियों के शामिल होने के एंगल की भी जांच की जा रही है।

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चौथी से 12वीं तक पढ़े लिखे हैं आरोपी

पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि इस मामले में गिरफ्तार सभी आरोपी चौथी से 12वीं तक पढ़े हैं। इस मामले का मुख्य आरोपी शशिकांत कुमार उर्फ ​​मनीष है, जो किसी भी शहर में दो महीने से ज्यादा तक नहीं रुका। पुलिस ने इस मामले में कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपियों ने यह भी खुलासा किया कि वे दस्तावेजों में एडिटिंग कर फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते और सिम खरीदे जाते थे, ताकि भोले-भाले लोगों के साथ साइबर ठगी की जा सके। 

जांच में यह भी पता चला कि ये सभी आरोपी एक महीने से भोपाल में रह रहे थे। शशिकांत कुमार उर्फ ​​मनीष के अलावा सपना, अंकित कुमार साहू, कौशल माली, रोशन कुमार, रंजन कुमार और मोहम्मद टीटू को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है, ये सभी बिहार के ही रहने वाले हैं।

FAQ

भोपाल में फर्जी दस्तावेज बनाने वाला गिरोह क्या करता था?
भोपाल में पकड़ा गया गिरोह फर्जी दस्तावेज बनाता था और इन दस्तावेजों का उपयोग करके फर्जी बैंक खाते खोलता था। ये फर्जी खाते फिर साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। गिरोह ने 1800 फर्जी खातों को बेचा था, जिनमें करोड़ों रुपये के लेन-देन के सबूत मिले हैं।
आरोपी कहां से थे और वे भोपाल में कैसे पहुंचे?
यह गिरोह बिहार का एक अंतरराज्यीय नेटवर्क था, जो भोपाल में किराए के मकान में छिपकर फर्जी दस्तावेज बनाने का काम कर रहा था। आरोपियों ने भोपाल में एक कॉल सेंटर भी बनाया था, जहां वे लोगों को ठगने की योजना बनाते थे।
फर्जी बैंक खातों का क्या इस्तेमाल हो रहा था?
फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी, ठगी और अन्य अपराधों के लिए किया जा रहा था। इन खातों के माध्यम से ट्रांजेक्शन किए जा रहे थे, जिससे करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की जा रही थी।

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