इंदौर लोकायुक्त ने नगर निगम में अपर आयुक्त रहे IAS सिद्धार्थ जैन पर अवैध निर्माण को संरक्षण देने के मामले में जांच के लिए एक केस पंजीबद्ध किया था, लेकिन अब दो और केस पंजीबद्ध हो गए हैं। जैन लोकायुक्त जांच में बुरी तरह उलझ गए हैं, उनके खिलाफ अवैध निर्माण को संरक्षण देने की तीन शिकायतें पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने की और बयानों के बाद तीनों में ही लोकायुक्त को जांच का मुद्दा दिखा। इसके बाद लोकायुक्त ने तीन केस जांच के लिए पंजीबद्ध कर लिए। इन तीन केस में नगर निगम के करीब 25 अधिकारी जांच के घेरे में आ गए हैं।
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इस केस में लोकायुक्त ने किया दूसरा केस
आईएएस जैन के साथ ही भवन अधिकारी सुनील जादौन, भवन निरीक्षक विशाल राठौर, आर्किटेक्ट राहुल शाक्य, भवन अधिकारी असित खरे, नागेंद्र भदौरिया, देवेश कोठारी पर लोकायुक्त ने जांच प्रकरण 353/ई/2024 पंजीबद्द किया है। यह आईडीए की स्कीम 59 में भूखंड़ 4 सेक्टर 12 में देवी अहिल्यी सब्जी मंडी के पास मल्टी से जुड़ा है। इस मल्टी को आवासीय की मंजूरी थी लेकिन इसका व्यावसायिक उपयोग हुआ। इस अवैध निर्माण को रोकने की किसी ने कोशिश नहीं की। शिकायत में है कि जैन ने अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई रोक कर रखी, यहां व्यावसायिक की जगह आवासीय शुल्क लिया सभी कनेक्शन की दर आवासीय ही ली, इस तरह 10 करोड़ का नुकसान निगम को पहुंचाया गया। इसमें निगम के भवन अधिकारी, इंस्पैक्टर, आर्किटेक्ट के साथ ही मीरा मेंधानी, लोकचंद मेंधानी, ज्योति मेंधानी, राजकुमार मेंधानी सभी दोषी है।
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जैन के खिलाफ यह तीसरा केस
लोकायुक्त ने अन्य केस प्रकरण 355/ई/2024 दर्ज किया है, इसमें संदीप सोनी, आईएएस सिद्धार्थ जैन, भवन अधिकारी ओमप्रकाश गोयल, विवेश जैन, असित खरे, कार्यपालन यंत्री अश्विन जनपदे, परसराम अरोलिया व अन्य 28 लोग है। इसमें निगम के राकेश शर्मा, नदीम खान, राजेश सिंह चौहान, अजय करारे, आनंद रैदास, दिनेश तलनीकर, महेश शर्मा, अंकुर गोयल, पीएस कुशवाह राहुल सूर्यवंशी, पंकज शर्मा, राहुल सूर्यवंशी भी शामिल है। शिकायत में आर्किटेकट नवीन वाधवानी, विक्की खत्री, रोहित दिनकर, गुरमुखदास छाबरिया, दीपा छाबरिया, पुनीत उपाध्याय आर्किटेक्ट, प्रतीक रूनवाल, लोकचंद मेघनी, मीरे मेंधानी, ज्योति मेंधानी, संकल्प गंगवाल व अन्य शामिल है। इसमें है कि सिंधु नगर व राजमहल कॉलोनी जोन 12 में चार बहुमंजिला भवनों में मंजूरी एफएआर से तीन गुना अवैध निर्माण होने दिया गया, आवासीय की जगह व्यावसायिक उपयोग शुरू हुआ., लेकिन अधिकारी केवल नोटिस-नोटिस खेलते रहे। इस मामले में शपथपत्र लेकर सील हुए भवन खोल दिए गए और कोई कार्रवाई अधिकारियों द्वारा नहीं की गई।
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इसके पहले एक केस यह दर्ज हुआ था
इसके पहले लोकायुक्त ने प्रकरण क्रमांक 354/ई/24 के तहत आईएएस व तत्कालीन अपर आयुक्त निगम (वर्तमान में भोपाल में पदस्थ) सिद्धार्थ जैन, भवन अधिकारी गजल खन्ना, सहायक यंत्री पीसी जैन व अन्य 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। पूर्व पार्षद द्वारा लोकायुक्त में 3 अक्टूबर को दी गई शिकायत में इनके साथ ही श्रद्धा गोयल, सत्येंद्र राजपूत, सुरेश चौहान, वैभव देवालासे, अवधेश जैन, उदयसिंह भदौरिया, विशाल राठौर, रवि सनोतिया, गजेंद्र, अनुराग शर्मा, राजू रावेरकर के साथ ही विजय जैसवानी, बद्रीलाल पंवार, शिवराज यादव व अन्य की शिकायत थी। शिकायत में है कि विजय पिता अर्जुन जैसवानी एसके वन कंपाउंड ग्राम लसूड़िया मोरी ने सर्वे नंबर 67/2/3 पर बिना मंजूरी एसके कंपाउंड निर्मित कर इसमें बिना मंजूरी मेसर्स केमको च्यू फूड्स प्रालि संचालित किया है। निगम अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर यह अवैध निर्माण किया गया है। शिकायत में है कि इस भवन को औद्योगिक उपयोग के अधिभोग यानी ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी नहीं हुए हैं। ना ही इनके पास किसी तरह के कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र है।
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इसके बाद होगी FIR
लोकायुक्त में यह तीनों केस अभी जांच में पंजीबद्ध हुए हैं। लोकायुक्त में प्रक्रिया के अनुसार पहले शिकायत होती है, इसकी प्रारंभिक जांच होती है, जिसमें पक्षकारों के बयान भी लिए जाते हैं। इनके परीक्षण के बाद लोकायुक्त देखता है कि यह आगे जांच करने योग्य मामला है या नहीं। जांच योग्य लगने पर केस नंबर दिया जाता है और जांच के लिए केस पंजीबद्ध होता है, यह दूसरी प्रक्रिया होती है। इसके बाद जांच में यदि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता प्रमाण मिलते हैं तो फिर FIR दर्ज की जाती है, जो मोटे तौर पर लोक सेवकों के खिलाफ पद के दुरुपयोग की होती है।
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