भोपाल में हिंदू छात्राओं के साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का मामला सामने आया है। इस प्रकरण में राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आयोग की टीम ने इस मामले में पुलिस द्वारा संगठित अपराध की धाराएं न जोड़ने, वित्तीय मदद की जांच और क्लब की भूमिका पर गौर करने के निर्देश दिए हैं।
महिला आयोग की टीम ने की जांच
झारखंड की पूर्व डीजीपी निर्मल कौर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय महिला आयोग की टीम रविवार को भोपाल पहुंची। इस मामले की जांच शुरू की। टीम ने पुलिस अधिकारियों से इस मामले में अब तक की एफआईआर और जांच की स्थिति जानी और एक पीड़ित छात्रा से मुलाकात कर उसके बयान दर्ज किए। टीम ने पाया कि हिंदू युवतियों को सुनियोजित तरीके से फंसाया गया। आरोपियों ने उनका दुष्कर्म कर वीडियो बनाया और बाद में उन्हें ब्लैकमेल किया। इसके बाद टीम ने पुलिस अधिकारियों से पूछा कि जब गिरोह का खुलासा हुआ, तो संगठित अपराध की धाराएं क्यों नहीं लगाई गईं?
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फंडिंग की जांच करने के निर्देश
आयोग की टीम ने मामले की जांच करते हुए यह पाया कि आरोपियों की पृष्ठभूमि आर्थिक रूप से कमजोर है। फिर भी उनके पास महंगी बाइक, कार, किराए पर कमरे और क्लब में जाने के लिए पैसे कहां से आए? टीम ने पुलिस को निर्देश दिए कि वे आरोपियों को आर्थिक रूप से सहयोग देने वालों की जांच करें और उन पर भी कार्रवाई की जाए।
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सोमवार को तीन पीड़िताओं के बयान
सोमवार को महिला आयोग की टीम तीन पीड़ित छात्राओं के बयान दर्ज करेगी। टीआइटी कॉलेज और क्लब 90 में जाकर जांच करेगी। जहां आरोपियों ने छात्रों को निशाना बनाया था। टीम ने बागसेवनिया और अशोका गार्डन थाना प्रभारी को भी बुलाया और उनसे तथ्य समझने के बाद टीआइटी कॉलेज की जांच करने की सलाह दी। टीम ने यह भी निर्देश दिए कि यह देखा जाए कि कॉलेज में महिला सुरक्षा से संबंधित गाइडलाइनों का पालन किया गया या नहीं।
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग ने बताया कि तीन पीड़ित लड़कियों ने आयोग से संपर्क किया है। इसके आधार पर आयोग ने भोपाल पुलिस को नोटिस भेजा है और दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने यह भी कहा कि पीड़िताओं की संख्या बढ़ सकती है और जल्द ही आयोग की टीम भोपाल जाकर मामले की गहराई से जांच करेगी।
मध्य प्रदेश, एमपी हिंदी न्यूज, MP NEWS